श्रीलंका में भारी तबाही मचाने के बाद चक्रवाती तूफान दित्वा अब भारत की ओर बढ़ रहा है। श्रीलंका में इस तूफान के कारण आई भीषण बाढ़, तेज़ हवाओं और भूस्खलन ने व्यापक तबाही मचाई है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अब तक 123 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि लगभग 130 लोग अभी भी लापता हैं। डिज़ास्टर मैनेजमेंट सेंटर का कहना है कि लगभग 44(चौवालीस) हज़ार लोग बेघर हो चुके हैं और राहत कैंपों में आश्रय ले रहे हैं। कई दूरदराज के क्षेत्रों में अब भी बचावकर्मी नहीं पहुंच पाए हैं, जिससे मृतकों की संख्या बढ़ने का अनुमान है। सोशल मीडिया पर साझा किए गए वीडियो और तस्वीरों में रातभर हुए भूस्खलन से तबाह हुए गांव और मलबे में दबे कई घरों की झलक देखने को मिली है। पिछले एक सप्ताह से श्रीलंका अत्यधिक खराब मौसम की चपेट में है, जिसने लोगों के जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है।
मौसम विभाग के मुताबिक अब यह तूफान भारत की ओर बढ़ रहा है और 30 नवंबर की सुबह तक दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी होते हुए उत्तरी तमिलनाडु, पुडुचेरी और दक्षिण आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों के बेहद करीब पहुंच जाएगा। इस कारण तटीय राज्यों में प्रशासन हाई अलर्ट पर है। समुद्र में लहरों की ऊंचाई बढ़ रही है और मौसम वैज्ञानिकों ने मछुआरों को समुद्र में न जाने की सख्त चेतावनी जारी की है।
29 नवंबर से 2 दिसंबर तक तूफान के असर से दक्षिण भारत के कई राज्यों में भारी से अत्यधिक भारी बारिश की संभावना जताई गई है। मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि–
तमिलनाडु, पुडुचेरी और कराईकल में 29 व 30 नवंबर को भारी बारिश होगी।
तटीय आंध्र प्रदेश, यनम और रायलसीमा में 29 नवंबर से 2 दिसंबर के बीच अलग-अलग स्थानों पर बहुत तेज बारिश हो सकती है।
तेलंगाना में 1 दिसंबर को भारी बारिश की संभावना है।
केरल और माहे में 29 नवंबर को भारी वर्षा का अलर्ट जारी है।
इसके साथ ही कई इलाकों में आंधी, बिजली गिरने और पेड़ों के गिरने जैसी घटनाओं की भी आशंका है। तटीय क्षेत्रों में हवाओं की गति बढ़कर 70–90 किलोमीटर प्रतिघंटा तक पहुंच सकती है।
भारत के उत्तरी राज्यों में भी मौसम का मिजाज बदला हुआ है। जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश में न्यूनतम तापमान छह डिग्री से नीचे रिकॉर्ड किया गया है। वहीं उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई क्षेत्रों में तापमान 6 से 10 डिग्री के बीच दर्ज किया जा रहा है। इस तेजी से गिरते तापमान ने उत्तर भारत में सर्दी का असर और बढ़ा दिया है।
चक्रवात दित्वा के संभावित प्रभावों को देखते हुए संबंधित राज्य सरकारों ने प्रशासन को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं। राहत और बचाव दलों को तैयार रखा गया है, जबकि तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करने की तैयारी शुरू कर दी गई है।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA), राज्य आपदा प्राधिकरणों और मौसम विभाग लगातार स्थिति की निगरानी कर रहे हैं।
श्रीलंका में भारी जनहानि और व्यापक नुकसान को देखते हुए भारत में भी चिंता का माहौल है। चक्रवात के अगले 48 घंटे बेहद महत्वपूर्ण बताए जा रहे हैं। तटीय क्षेत्रों में रहने वालों को प्रशासन की ओर से जारी निर्देशों का पालन करने की अपील की गई है।
चक्रवात दित्वा के संभावित प्रभावों को देखते हुए संबंधित राज्य सरकारों ने प्रशासन को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं। राहत एवं बचाव दलों को तैयार रखा गया है। इसी बीच उत्तर बंगाल के पर्वतीय क्षेत्रों—विशेषकर दार्जिलिंग—में ठण्ड का असर साफ देखा जा रहा है। तापमान अचानक गिरने से सर्दी का प्रकोप बढ़ गया है और कंचनजंघा बादलों की मोटी चादर में पूरी तरह ढकी हुई है। सुबह-शाम ठंडी हवाओं के साथ धुंध छाई रहने से दृश्यता प्रभावित हो रही है, जिसका असर पर्यटन गतिविधियों पर भी पड़ा है। मॉल रोड और प्रमुख दर्शनीय स्थलों पर पर्यटकों की आवाजाही सामान्य से काफी कम दिख रही है। स्थानीय लोग बता रहे हैं कि पिछले दो दिनों से मौसम लगातार ठंडा और नम बना हुआ है। चक्रवात दित्वा के असर और तेजी से बदलते मौसम ने प्रशासन को और अधिक सतर्क कर दिया है। वही सिलीगुड़ी में भी लगातार ठण्ड बढ़ रही है।
चक्रवाती तूफान ‘दित्वा’ की बढ़ती रफ्तार और इसके व्यापक प्रभाव ने न केवल श्रीलंका में भारी तबाही मचाई है, बल्कि अब भारत के कई तटीय व पर्वतीय राज्यों के लिए भी गंभीर चुनौती पैदा कर दी है। अगले 48 घंटे इस तूफान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं। दक्षिण भारत में भारी बारिश, तेज़ हवाओं और समुद्र में उफान का खतरा बना हुआ है, जबकि उत्तर भारत और विशेषकर उत्तर बंगाल में तापमान गिरने से मौसम का असर साफ महसूस किया जा रहा है।
प्रशासन, आपदा प्रबंधन एजेंसियाँ और मौसम विभाग लगातार स्थिति पर नज़र बनाए हुए हैं। लोगों से अपील है कि वे किसी भी अफवाह पर विश्वास न करें और सरकारी निर्देशों का पालन करें। तूफान की ताक़त चाहे जितनी भी हो, सतर्कता और तैयारी ही नुकसान को कम करने की सबसे बड़ी कुंजी है।
