6 दिसंबर यानी शनिवार को बंगाल में क्या होगा? कौन सा तूफान उठेगा? कानून एवं व्यवस्था की क्या स्थिति होगी? क्या हाई कोर्ट इसमें दखल दे सकेगा? बाबरी मस्जिद का शिलान्यास नहीं होने देने के लिए ममता बनर्जी की सरकार क्या कार्रवाई करेगी? क्या भरतपुर के विधायक हुमायूं कबीर को गिरफ्तार किया जाएगा? इत्यादि बहुत सी बातें सवालों के घेरे में है.
मुर्शिदाबाद के बेलडांगा में कुछ उसी तरह की शांति है जैसे तूफान आने से पहले की होती है. हालांकि पर्याप्त पुलिस बल तैनात है. प्रस्तावित स्थल पर बाबरी मस्जिद की नींव रखी जानी है. टीएमसी से लेकर प्रदेश की सभी पार्टियां इसके खिलाफ हैं. हुमायूं कबीर को ऐसा करने से रोकने के लिए साम, दाम, दंड, भेद, भय सबका सहारा लिया जा चुका है. लेकिन हुमायूं कबीर किसी की बात सुनने वाले नहीं है. उन्हें अपना अंजाम भी पता है. इसलिए कल का दिन बंगाल और खासकर मुर्शिदाबाद में काफी महत्वपूर्ण रखता है.
टीएमसी से निष्कासित विधायक हुमायूं कबीर मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा में बाबरी मस्जिद का शिलान्यास करने वाले हैं. आज उन्होंने बाबरी मस्जिद बनाने के लिए उचित जगह का निरीक्षण भी किया है और तैयारियों का जायजा भी लिया है. हुमायूं कबीर ने कहा है कि अगर उन्हें रोकने की कोशिश की गई तो वह अपने समर्थकों के साथ राष्ट्रीय पथ को जाम कर देंगे. उन्होंने कहा कि वह धरना प्रदर्शन करेंगे और अपनी गिरफ्तारी देंगे.
हुमायूं कबीर को ऐसे कार्यक्रमों से रोकने और प्रदेश में कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के संदर्भ में एक जनहित याचिका कोलकाता हाई कोर्ट में डाली गई थी, जिस पर सुनवाई करते हुए कोलकाता हाई कोर्ट की बेंच ने स्पष्ट कर दिया है कि अदालत ऐसे मामलों में कोई दखल नहीं देगी. जहां तक कानून एवं व्यवस्था की बात है तो यह राज्य सरकार का मसला है. लेकिन अदालत हुमायूं कबीर द्वारा प्रस्तावित बाबरी मस्जिद शिलान्यास कार्यक्रम को रोकने के मामले से अलग रहेगी. इस तरह से कोलकाता हाई कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि हुमायूं कबीर के मामले में अदालत कोई दखल देने वाली नहीं है.
हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद इस मामले में राज्य सरकार की पूरी जवाबदेही आ गई है. अगर हुमायूं कबीर प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार बेलडांगा में बाबरी मस्जिद का शिलान्यास कार्यक्रम करते हैं तो पुलिस प्रशासन उसे रोकने के लिए क्या कार्रवाई करेगा? प्रस्तावित स्थल पर भारी संख्या में राज्य और केंद्रीय बल तैनात किए गए हैं. टीएमसी प्रशासन धर्म संकट में है और राजनीतिक नफा नुकसान का आकलन करने में लगा है.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हुमायूं कबीर को जैसे चुनौती देते हुए कहा है कि उनकी सरकार को ऐसे लोगों से निबटना अच्छी तरह आता है. उन्होंने अपने एक बयान में कहा है कि कभी-कभी कुछ कीड़े मकोड़े आ जाते हैं. ऐसे कीड़े मकोड़े को उखाड़ कर फेंकना जरूरी हो जाता है. उनका इशारा हुमायूं कबीर की तरफ था. ममता बनर्जी के बयान से लगता है कि 6 दिसंबर को मुर्शिदाबाद के बेलडांगा में धार्मिक सौहार्द बनाए रखने के लिए पुलिस को उचित कार्रवाई करने का निर्देश दे दिया गया है.
प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एस आई आर विरोधी एक रैली में बोलते हुए भाजपा और केंद्र सरकार पर जोरदार हमला किया है. भारतीय जनता पार्टी के नेता यह कह रहे हैं कि अगर SIR बंगाल में समय पर पूरा नहीं होता है तो राज्य में विधानसभा चुनाव समय पर नहीं होंगे. ऐसे में केंद्र सरकार को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की आवश्यकता होगी. लेकिन मुख्यमंत्री ने जो बात कही है और उनका बयान सुर्खियों मे है, उसके अनुसार अगर बंगाल में SIR को वह रोक देती तो केंद्र सरकार यहां राष्ट्रपति शासन लगा देती.
इस समय बंगाल के राजनीतिक गलियारे में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और टीएमसी से निष्कासित निलंबित विधायक हुमायूं कबीर के बयान सुर्खियों में है. हुमायूं कबीर टीएमसी से इस्तीफा देकर अपनी नई पार्टी बनाने की बात करते हैं. संभवत वह आज टीएमसी से इस्तीफा दे देंगे. उन्होंने 22 दिसंबर को नई पार्टी बनाने की बात कही है और यह भी कहा है उनकी पार्टी बंगाल विधानसभा चुनाव में 100 से भी ज्यादा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी और ममता बनर्जी को हराने के लिए काम करेगी. हुमायूं कबीर ने साफ शब्दों में कहां है कि 2026 का विधानसभा चुनाव ममता बनर्जी नहीं जीत पाएगी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि अमित शाह ने खूब सोच समझकर बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की योजना बनाई थी. लेकिन उन्होंने उनकी योजना पर पानी फेर दिया. वह उनकी चालाकी में नहीं फंसी. ममता बनर्जी को केंद्र से इस बात का गुस्सा है कि केंद्र सरकार उन सीमावर्ती राज्यों में SIR नहीं करा रही है, जहां भाजपा की सरकार है. ममता बनर्जी को भाजपा से तो लड़ना पड़ ही रहा है. इसके साथ ही पार्टी को नुकसान पहुंचाने वाले तत्वों से भी निबटना पड़ रहा है.
टीएमसी से निलंबित हुमायूं कबीर ममता बनर्जी पर काफी भड़के हुए हैं. वे आगामी विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी को हराने की बात कह रहे हैं. वे 6 दिसंबर को मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा में बाबरी मस्जिद की आधारशिला रखे जाने की बात कह रहे हैं. हुमायूं कबीर के यह सारे बयान सुर्खियों में है. अब उन्होंने यह कहना शुरू कर दिया है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मेरी हत्या करवा सकती है.
हालांकि बंगाल की राजनीति में हुमायूं कबीर को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया जाता. क्योंकि हुमायूं कबीर की पृष्ठभूमि ऐसी है कि वह किसी एक पार्टी के होकर कभी नहीं रहे. उन्होंने कांग्रेस, बीजेपी और टीएमसी जैसी कई पार्टियां ज्वाइन की. जब तक उनकी दाल गलती रही और जहां उनकी दाल नहीं गली, उन्होंने पार्टी छोड़ दी और नई पार्टी को ज्वाइन किया. अनेक लोग उनकी फितरत को देखते हुए उन्हें बंगाल का पलटू राम भी कहते हैं.
हुमायूं कबीर ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चुनौती दी है कि 2026 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी बुरी तरह हारेगी. ममता बनर्जी उनकी फितरत को अच्छी तरह समझती हैं. परंतु एक बड़ा सवाल है कि अगर कल मुर्शिदाबाद में हुमायूं कबीर कार्यक्रम करने में सफल हो जाते हैं अथवा उन्हें कार्यक्रम करने से रोका जाता है, तो क्या होगा?
