सिक्किम समेत उत्तर पूर्वी राज्यों पर केंद्र सरकार पूरी तरह मेहरबान है. सिक्किम और नॉर्थ ईस्ट को भारत के विकसित अंग के रूप में केंद्र सरकार ले रही है और यही कारण है कि सिक्किम और उत्तर पूर्वी राज्यों के विकास के लिए एक पर एक कई योजनाएं ला रही है. सिक्किम के उत्तर पूर्वी क्षेत्रों में सड़कों का जाल बिछाया जाएगा ताकि यह क्षेत्र रोड कनेक्टिविटी से जुड़ सकें. इसके लिए केंद्र सरकार ने 551 करोड रुपए अलाट किए हैं. इनमें से 388 करोड रुपए अनुमोदित कर दिए गए हैं. जबकि 387 करोड रुपए जारी भी कर दिए गए हैं.
केंद्र सरकार की जो योजना है उसके अनुसार 2024 सिक्किम और उत्तर-पूर्वी राज्यों के नाम रहेगा. 2024 में सिक्किम के उत्तर पूर्वी क्षेत्रों में चमचमाती सड़कें दिखने लगेंगी. देखा जाए तो मोदी सरकार शुरू से ही सिक्किम और उत्तर पूर्वी राज्यों पर मेहरबान रही है. इन क्षेत्रों में रेल, सड़क और वायु यातायात की अनेक योजनाएं हैं. मिली जानकारी के अनुसार उत्तर पूर्वी राज्यों में 19 रेलवे प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है. कार्य या तो पूरे होने के कगार पर हैं या फिर तेजी से पूर्णता की ओर चल रहा है.
अगर योजना के अनुसार काम पूरा होता है तो राज्यों के 1900 किलोमीटर का दायरा पूरा हो जाएगा. इस पर लगभग 82 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे. इसकी योजना केंद्र और राज्यों के साथ मिलकर बनाई जा रही है. जल्द ही अंतिम रूप दे दिया जाएगा. सरकार ने हवाई यातायात कनेक्टिविटी के अंतर्गत उड़ान स्कीम लाई है. इसके तहत सिक्किम के पेकयोंग हवाई अड्डे के साथ-साथ उत्तर पूर्वी राज्यों के 16 हवाई अड्डों को यातायात के लिए चालू किया जाएगा.
उत्तर पूर्वी राज्यों में कुल 16 हवाई अड्डे और 64 रूट्स हैं. उड़ान स्कीम के अंतर्गत इन सभी हवाई अड्डों को संचालित किया जाएगा. इनमें से 9 हवाई अड्डे पहले से ही संचालित हो रहे हैं. 2014 के बाद 7 और हवाई अड्डों का यहां विकास हुआ है. यह सभी उत्तर पूर्वी राज्यों के अलग-अलग क्षेत्र में स्थित है. केंद्र सरकार ने अरुणाचल प्रदेश के अंतर्गत जीरो हवाई अड्डे को भी शीघ्र संचालित करने का फैसला किया है.
. केंद्र सरकार ने सिक्किम और उत्तर पूर्वी राज्यों में 261 सड़क मार्ग परियोजना को पूरा करने का लक्ष्य रखा है. यह सभी कार्य केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत पूरे किए जाएंगे. सड़क परिवहन और हाईवे मंत्रालय के अधीन इन सभी कार्यों पर लगभग एक सौ हजार करोड रुपए खर्च किए जाएंगे. नेशनल हाईवे अथॉरिटी, नेशनल हाईवे एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डिपार्टमेंट कॉरपरेशन तथा राज्यों के पीडब्ल्यूडी के सहयोग से इस लक्ष्य को प्राप्त किया जाएगा.