November 17, 2024
Sevoke Road, Siliguri
राजनीति

आखिर पवन चामलिंग को है, किस का डर !

बजट सत्र के दौरान पवन चामलिंग पर लगे विधायकों को बेचने का आरोप !
जनता की सहानुभूति पाने के लिए आतुर दिखे चामलिंग !

सिक्किम की राजनीति में फिर आया भूचाल | सिक्किम में बजट सत्र के दौरान हुआ हंगामा, इस हुए हंगामे में कुछ ऐसी बातें या फिर कहें ऐसे राज सामने आए, जिसने सिक्किम की राजनीति को फिर से गर्मा दिया है | इस बजट सत्र के दौरान पवन चामलिंग ने बताया कि एसडीएफ में वे अकेले विधायक के रुप में है सभी ने उनका साथ छोड़ दिया , उनके इस बात का खंडन करते हुए पिंचों लामगेल लेप्चा ने कहां कि, पवन चामलिंग ने 10 विधायकों को दिल्ली ले जाकर भाजपा में शामिल कराया था | उन्होंने इसके अलावा यह भी बताया कि, पवन चामलिंग विधायकों को छोड़कर वापस आ गए | तब भाजपा के नेताओं ने कहा कि, एसकेएम सरकार से मिलकर काम करें | उसके बाद विधायकों ने अपने-अपने क्षेत्र में काम किया, पिंचों लामगेल लेप्चा ने यह भी बताया कि प्रेम सिंह तमांग ने हमेशा सभी का सहयोग किया, कभी भेदभाव नहीं किया और हमेशा क्षेत्र के विकास के लिए काम किया |
इन दिनों लगता है, पवन चामलिंग की मुश्किलें बढ़ गई है, आरोप सिर्फ यही तक सीमित नहीं रहे ,पुर्व मंत्री केएन उप्रेती ने एक आरोप लगाते हुए , अपने फेसबुक अकाउंट पर एक पोस्ट किया जो काफी चौंकाने वाला है |
उन्होंने फेसबुक पोस्ट के जरिए यह उजागर करने की कोशिश कि, किस तरह पवन चामलिंग ने अपनी 10 विधायकों को भाजपा में शामिल किया या फिर कहें उन्होंने अपने 10 विधायकों को भाजपा को बेच दिया | उन्होंने इस वाक्य को काफी दुर्भाग्यपूर्ण बताया, पवन चामलिंग ने 25 साल सिक्किम के सत्ता पर राज किया था, वह अपने विधायकों के साथ विपक्ष में रह कर काम कर सकते थे,लेकिन उन्होंने दूसरा रास्ता चुना | खुद को सीबीआई और अन्य एजेंसियों की जांच से बचाने के लिए उन्होंने अपने विधायकों को ही भाजपा को बेच दिया, ताकि वे खुद एसडीएफ के अकेले विधायक बने रहे | देखा जाए तो उन्होंने अपने 10 विधायकों को धोखा दिया है, जो काफी दुर्भाग्यपूर्ण है |
गौर करने वाली बात यह है कि, आखिर भाजपा ने 10 विधायकों को अपने पार्टी में शामिल क्यों किया ? कहीं बीजेपी ने पवन चामलिंग को सीबीआई जांच की धमकी तो नहीं दी, जिससे डरकर चामलिंग ने विधायकों को भाजपा में शामिल किया ? पवन चामलिंग पर आरोप के बाद बहुत से सवाल सामने आ रहे हैं, जिसके घेरे में भाजपा भी आ चुकी है, लेकिन क्या आम जनता को इन सारे सवालों के जवाब मिलेंगे ?
इस तरह के वाक्य से ही शायद राजनीति को कीचड़ की संज्ञा मिलती है | इन दिनों सिक्किम की राजनीतिक काफी गर्मा चुकी है, अब देखना यह है कि, क्या सिक्किम में शांति बनी रहती है या फिर सिक्किम की राजनीति में कोई बड़ा बदलाव आने वाला है |

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