सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद आरजीकर मामले को लेकर इंसाफ की मांग में प्रदेश के जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं. डॉक्टरों की हड़ताल, धरना प्रदर्शन और रैलियों के चलते पश्चिम बंगाल के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकीय और स्वास्थ्य व्यवस्था अत्यंत चिंता जनक स्थिति में पहुंच गई है. उत्तर बंगाल में सिलीगुड़ी ही नहीं बल्कि सभी सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों का धरना प्रदर्शन जारी है. मरीज परेशान है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दुष्कर्म के मामले में एक विधेयक भी सदन में ला रही है. अस्पतालों में महिला सुरक्षा को लेकर विशेष सतर्कता बरती जा रही है. इन सभी उपायों और सावधानियों के बावजूद सच तो यह है कि महिलाओं का यौन उत्पीड़न जारी है.
महिला असुरक्षा की बढ़ती घटनाओं ने देश और विदेश में बंगाल की छवि को धूमिल किया है. आलम यह है कि दुर्गा पूजा के दौरान यहां के प्रमुख त्योहार को देखने के लिए देश-विदेश से बहुत से पर्यटक कोलकाता अथवा बंगाल के दूसरे शहरों में जाते हैं. इस समय उन्होंने अपनी ट्रिप को कैंसिल कर दिया है. सरकार माहौल को सकारात्मक बनाने की कोशिश में जुटी है. टूर ऑपरेटर और ट्रैवल एजेंट भी जमीनी स्तर पर माहौल को बदलने में लगे हुए हैं. परंतु मौजूदा हालात विदेशी पर्यटकों के लिए उपयुक्त नहीं है. दुर्गा पूजा के दौरान हर साल एक बड़ी तादाद में एनआरआई अमेरिका, आस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, इटली, थाईलैंड ,आयरलैंड, अफ्रीका आदि देशों से आते हैं. इस बार उन्होंने या तो अपनी यात्रा स्थगित कर दी है या फिर वॉच एंड वेट की स्थिति में पहुंच गए हैं.
प्रदेश की नकारात्मक छवि को बदलने में जुटी पश्चिम बंगाल सरकार अस्पतालों और अन्य सार्वजनिक स्थानों में महिला सुरक्षा को लेकर गंभीर प्रयास कर रही है. पर ऐसा लगता है कि बंगाल को अभी और द॔श झेलना बाकी रह गया है. क्योंकि इसी बीच एक ऐसी घटना घट गई है, जहां सरकार की साख ही खतरे में पड़ गई है.
आरजीकर का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ कि यौन उत्पीड़न के एक और मामले ने पूरे प्रदेश को सकते में डाल दिया है. जूनियर महिला डॉक्टर से दरिंदगी की घटना को लेकर पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन के बीच एक और नाबालिग बालिका से छेड़छाड़ की घटना ने काफी तूल पकड़ लिया है. इस घटना में आरोपी को बचाने की कोशिश कर रहे तृणमूल कांग्रेस के एक नेता के घर पर लोगों ने धावा बोल दिया और उनके घर में तोड़फोड़ की है. बाद में पुलिस ने लाठी चार्ज कर मामले को शांत करने की कोशिश की.
इस घटना से गुस्साई लोगों की भीड़ ने पुलिस को भी नहीं बख्शा, जो आरोपी को बचाने की कोशिश कर रही थी. गुस्साए लोग पुलिस से ही भिड़ गये. पुलिस ने लाठी चार्ज किया और आंसू गैस के गोले भी दागे. यह घटना उत्तर 24 परगना के मध्यग्राम थाना अंतर्गत रोहंडा पंचायत के रजवाड़ी इलाके में घटी है. 7 साल की एक मासूम बच्ची का यौन शोषण हुआ है. लोग आरोपी की गिरफ्तारी की मांग करते हुए शनिवार और रविवार दोनों ही दिन सड़क पर उतर आए. जमकर तोड़फोड़ की. जिसने आरोपी को बचाने की कोशिश की, उसकी दुकान में लूटपाट करने की बात कही जा रही है.
फिलहाल मध्यमग्राम इलाके में पुलिस की गश्त बढ़ा दी गई है. यौन शोषण के आरोपी दुकानदार अब्दुल रऊफ को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है.आरोप है कि उसने एक बच्ची को प्रलोभन देकर दुकान के अंदर बुलाया और उसका यौन शोषण किया. इस आरोपी को तृणमूल कांग्रेस के नेता अब्दुल हफीज बचाने का प्रयास कर रहे थे. पुलिस ने उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया है. फिलहाल इलाके में इस मामले को लेकर लोग सड़कों पर हैं. दूसरी तरफ हावड़ा जिला अस्पताल में एक लैब टेक्नीशियन पर किशोरी के यौन उत्पीड़न का आरोप लगा है. जबकि बीरभूम जिले के इलम बाजार स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक मरीज ने स्ट्रेचर पर लेटे-लेटे नर्स का यौन उत्पीड़न किया.
मिली जानकारी के अनुसार यह घटना उस समय घटी, जब एक नाबालिक लड़की सिटी स्कैन के लिए हावड़ा सदर अस्पताल गई थी.बालिका ने आरोप लगाया है कि टेक्नीशियन ने उसके साथ छेड़छाड़ की. इस घटना के बाद अस्पताल प्रशासन तुरंत हरकत में आया और हावड़ा पुलिस स्टेशन में आरोपी के खिलाफ FIR दर्ज कराया. पुलिस ने आरोपी को हिरासत में ले लिया है. हावड़ा सरकारी अस्पताल के सुपरिंटेंडेंट नारायण चट्टोपाध्याय ने कहा है कि इस पर हमने तुरंत संज्ञान लिया है. लेकिन जिस व्यक्ति पर बालिका के साथ दुराचार का आरोप है, वह एक अर्द्ध सरकारी संस्थान का कर्मचारी है.
जबकि दूसरी घटना बीरभूम जिले में घटी है. यहां सरकारी अस्पताल में एक मरीज ने ड्यूटी पर तैनात एक नर्स को दबोचने की कोशिश की. उत्तर बंगाल में पिछले लगभग 15 दिनों मे महिला यौन उत्पीड़न की चार-चार घटनाएं घट चुकी है. सिलीगुड़ी, माटीगाड़ा,फांसी देवा, जलपाईगुड़ी, राजगंज, एनजेपी इलाका सब जगह दुष्कर्म और छेड़छाड़ की घटनाएं घट चुकी है. ऐसा लगता है कि अपराधियों का पुलिस और कानून का कोई खौफ नहीं रहा है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही कह चुकी है कि दुष्कर्मियों के लिए 10 दिनों में फांसी का कानून होना चाहिए. लेकिन यह संभव ही नहीं है. 10 दिनों में तो आरोपी का आरोप भी सिद्ध नहीं होता है.
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