इन दिनों दार्जिलिंग और पहाड़ की राजनीति में अजय एडवर्ड्स अपना दम दिखाकर विरोधियों को जैसे चारों खाने चित कर रहे हैं. विरोधी उन्हें किसी न किसी मामले में अटकाना चाहते हैं, भटकाना चाहते हैं, लेकिन अजय एडवर्ड ने खुद को इस मुकाम पर लाया है, जहां वे विपक्षी नेताओं की किसी भी धमकी से नहीं डर कर उन्हें उनकी औकात दिखा रहे हैं. वे खुद को तेजी से पहाड़ की राजनीति में सिरताज बनने की चेष्टा कर रहे हैं.
एडवर्ड्स फाउंडेशन को लेकर पहाड़ में चर्चाएं शुरू हो गई है. उनके पास संपत्ति और संपत्ति के स्रोतों की जानकारी के लिए दार्जिलिंग पुलिस ने उनके चार्टर्ड अकाउंटेंट को फोन किया था और संपत्तियों का ब्यौरा मांगा था. दार्जिलिंग की जनता के लिए ब्रिज बनाने वाले के रूप में खुद को स्थापित कर चुके अजय एडवर्ड के पास इतनी सारी संपत्ति कैसे आई और उनके फाउंडेशन का वित्तीय आधार क्या है. इस बारे में दार्जिलिंग पुलिस ने सीधा उनके CA को फोन मिलाया.
इसके जवाब में अजय एडवर्ड्स ने अपने फेसबुक अकाउंट पर एडवर्ड्स फाउंडेशन की बैलेंस शीट, उसके सारे दस्तावेज, लाभ और हानि संबंधित सभी विवरण, संपत्ति, स्रोत इत्यादि संपूर्ण ब्यौरा जनता के बीच रख दिए. जैसे इसके जरिए वे यह बताना चाहते हो कि वे दूसरे राजनीतिक नेताओं की तरह दोहरे चरित्र के व्यक्ति नहीं है. वह एक खुली किताब है. कोई भी उन्हें और उनकी संस्था को पढ़ सकता है. अगर किसी में दम है तो उन्हें गलत साबित करके दिखाए.
पहाड़ की राजनीति में ताल ठोक कर मैदान में जुटे अजय एडवर्ड से किसे डर लगता है? उनका इशारा जीटीए के चेयरमैन अनित थापा की ओर सीधा है. सूत्र बता रहे हैं कि अनित थापा और पहाड़ के अन्य विपक्षी नेता उनके बढ़ते कद और तेवर से चिंतित हैं. बंगाल में 2026 में विधानसभा का चुनाव है. जिस तरह से अजय एडवर्ड्स पहाड़ की जनता का विश्वास हासिल करने में जुटे हुए हैं, ऐसे में अनित थापा को अपने राजनीतिक भविष्य और स्थिरता पर संकट नजर आ रहा है. जानकार मानते हैं कि अनित थापा ने दार्जिलिंग पुलिस का राजनीतिक रूप से इस्तेमाल किया है, ताकि अजय एडवर्ड्स को बेनकाब किया जा सके.
लेकिन अजय एडवर्ड्स के पास छुपाने के लिए कुछ नहीं है. उन्होंने दार्जिलिंग पुलिस को विवरण देने से बेहतर यही समझा कि क्यों नहीं उनकी जनता के सामने सच्चाई रख दी जाए और उन्होंने ऐसा ही किया. अपने फेसबुक अकाउंट से उन्होंने फाउंडेशन से जुड़ी एक-एक सच्चाई सामने रख दी है और अब जैसे वे दूसरों को ललकार रहे हैं कि अगर आपमें भी दम हो तो अपनी संपत्ति को सार्वजनिक करके दिखाओ. अन्यथा दूसरों को बदनाम करने से बचो. अजय एडवर्ड पूछते हैं कि आखिर उनके विरोधी उनसे डर क्यों रहे हैं?
अजय एडवर्ड ने पहाड़ में अपनी जनता के लिए काफी काम किया है. और लगातार सड़कों से लेकर पुल बनवा रहे हैं. उनकी बढ़ती लोकप्रियता से घबराकर कुछ नेता उनकी टांग खींचने में लगे हैं. लेकिन जिसके अंदर कुछ खोट हो तो उसे डर लगता है.लेकिन जो बाहर से और भीतर से पाक साफ हो, उसे भला किस बात का डर? बहर हाल अजय एडवर्ड्स और उनके फाउंडेशन की राजनीति का तीर आने वाले समय में और किस पर ठीक बैठता है, यह देखना होगा! इसमें दार्जिलिंग पुलिस की क्या भूमिका होती है, यह भी पता चल जाएगा!
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