सेवक रंगपु रेल परियोजना को आज एक और बड़ी कामयाबी मिली, जब टनल संख्या 6 का ब्रेक थ्रू सफलता पूर्वक पूरा कर लिया गया . यह 3935 मीटर लंबा है. इसके साथ ही सेवक रंगपु रेल परियोजना के विकास की एक नई गति प्राप्त हो गई है. प्रोजेक्ट डायरेक्टर श्री महेंद्र सिंह की उपस्थिति में इसकी सफलता का जश्न मनाया गया. इस अवसर पर भारी संख्या में श्रमिक, मजदूर, इंजीनियर आदि उपस्थित थे. उन्होंने भगवान विश्वकर्मा की जय जयकार की.
आपको बता दें कि 22 पुलों तथा 14 सुरंगों के साथ सेवक रंगपो रेल परियोजना इंजीनियरिंग के चमत्कारों में से एक है. यह अपनी तरह की पहली परियोजना है जो बंगाल और सिक्किम के बीच संपर्क बढ़ाती है. यह पूर्वोत्तर राज्य में रेलवे की शुरुआत का प्रतीक है. इससे पहले सुरंग संख्या 7 का ब्रेकथ्रू सफलतापूर्वक किया गया था जो तीस्ता बाजार स्टेशन के पास है. सुरंग की लंबाई 650 मीटर है.
पूरी रेल लाइन 44.96 किलोमीटर लंबी है. इसमें 41.55 किलोमीटर लंबाई पश्चिम बंगाल में और 3.41 किलोमीटर सिक्किम में आती है. कुल 44.96 किलोमीटर लंबाई में से 38.65 किलोमीटर के अंतर्गत सुरंग, पुल और स्टेशन यार्ड की खुली कटाई शामिल है. लगभग 86% तो सुरंगे हैं. इस परियोजना का लगभग 70 से 80%% काम पूरा हो चुका है.
लगभग 86% सुरंग का निर्माण NATM नामक नवीनतम तकनीक से किया गया है. इस परियोजना के काम की देखरेख अंतरराष्ट्रीय सलाहकारों द्वारा की जाती है. ताकि सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके. इस परियोजना को 2025 में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. कुल 14 सुरंग में से लगभग सभी सुरंग की खुदाई का काम लगभग पूरा हो चुका है. पूरे मार्ग में पांच रेलवे स्टेशन हैं. यह है सेवक, रियांग,तीस्ता बाजार, मेली और रंगपु.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लाइनिंग आदि का कार्य पूरा हो चुका है. थोड़ा सा काम रह गया है. लेकिन जिस तेजी से काम चल रहा है, उम्मीद की जा रही है कि वक्त से पहले ही पूरा हो जाएगा. सबसे लंबी सुरंग 5.3 किलोमीटर है. पुलों की अधिकतम ऊंचाई 85 मीटर है. इसका निर्माण अपने आप में एक कठिन काम था.
इरकॉन के अधिकारियों का कहना है कि चुनौती पूर्ण भौगोलिक परिस्थितियों और ऊबर खबर इलाके का सामना करने के बावजूद SSRP की टीम लगातार प्रगति कर रही है. इस परियोजना को 2009-10 में ही मंजूरी मिल गई थी. लेकिन भूमि अधिग्रहण और वन विभाग की अनुमति में देरी ने इसकी प्रगति को धीमा कर दिया. यह रेल लाइन महानंदा वन्य जीव अभयारण्य, कर्सियांग वन मंडल, दार्जिलिंग वन मंडल, कालिमपोंग वन मंडल और पूर्वी सिक्किम वन मंडल से होकर गुजरती है.
आज की ब्रेकथ्रू की सफलता अब तक की सबसे बड़ी सफलता मानी जा रही है.