सिक्किम त्रासदी का 1 साल पूरा: तीस्ता नदी विकराल बनने को बेकरार!
पिछले साल 3-4 अक्टूबर को तीस्ता त्रासदी हुई थी. सिक्किम के इतिहास में यह कभी नहीं भूलने वाली त्रासदी है. जिसके बाद पूरा
पिछले साल 3-4 अक्टूबर को तीस्ता त्रासदी हुई थी. सिक्किम के इतिहास में यह कभी नहीं भूलने वाली त्रासदी है. जिसके बाद पूरा
मौसम विभाग एलर्ट मोड पर है. सिक्किम और दार्जिलिंग जैसे क्षेत्रों के लिए कोई अच्छी खबर तो नहीं है. इस बीच केंद्र सरकार
आज एक बार फिर से पहाड़ के चाय बागान श्रमिकों ने दार्जिलिंग, कर्सियांग और पहाड़ के विभिन्न इलाकों में धरना प्रदर्शन शुरू कर
रात्रि के अंतिम पहर में सन्नाटे को चीरते हुए जब सिलीगुड़ी के मंदिरों और देवालयों के घंटे बजने लगे तथा चौराहों पर जहां-तहां
सिलीगुड़ी के आसपास निकट भविष्य में बिल्डिंग निर्माण के कई प्रोजेक्टों की सूची तैयार कर ली गई है. इनमें से ज्यादातर प्रोजेक्ट जलपाईगुड़ी
सिक्किम में बर्फबारी हुई है आगे भी होगी. जिस तरह का मौसम यहां दिख रहा है, उसके अनुसार यह कह सकते हैं कि
सितंबर गुजरा और आज 1 अक्टूबर है. आज का दिन काफी महत्वपूर्ण है. क्योंकि आज से कई बदलाव होने जा रहे हैं, जिनका
पहाड़ बंद से किसको क्या और कितना नुकसान हुआ? इससे बड़ी और महत्वपूर्ण बात तो यह है कि चाय बागान श्रमिकों को क्या
2 दिन बाद दुर्गा पूजा शुरू हो जाएगी. लेकिन कल से ही सिलीगुड़ी के बाजार में सब्जियों एवं फलों की कीमतों में भारी
उत्तर बंगाल और सिक्किम की जीवन रेखा कही जाने वाली तीस्ता नदी में हर साल बाढ़ आती है और बाढ़ से एक तरफ