सिलीगुड़ी गलियारा कितना संवेदनशील है और इसकी सुरक्षा कितना आवश्यक है, यह बताने की आवश्यकता नहीं है. लेकिन जरा सी लापरवाही इस सिलीगुड़ी गलियारे को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचा सकती थी. सिलीगुड़ी से लेकर पूर्वोत्तर भारत तबाह हो सकता था. लेकिन वक्त से पहले असम पुलिस ने बांग्लादेश के इस आतंकी संगठन के सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया है और उनसे पूछताछ के बाद ऐसे ऐसे राज सामने आ रहे हैं, कि बंगाल पुलिस भी हडकंप में आ गई है.
एबीटी का मतलब है, बांग्लादेशी आतंकी संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला टीम. पुलिस ने ABT के जिन 8 सदस्यों को गिरफ्तार किया है, उनसे पूछताछ में पता चला है कि उनकी योजना सिलीगुड़ी गलियारा में उथल-पुथल मचाने और तबाही करने की थी. इन आतंकी संगठन के लोगों को असम की स्पेशल टास्क फोर्स एसटीएफ ने गिरफ्तार किया था. समझा जा रहा है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की सिलीगुड़ी यात्रा को बाधित करने की आतंकवादियों की योजना थी.
सिलीगुड़ी गलियारा शुरू से ही संवेदनशील रहा है. अगर चिकन नेक में कोई घटना घटती है, तो इसका प्रभाव उत्तर पूर्व भारत पर पड़ना लाजमी है. उत्तर पूर्व के सभी राज्यों के लिए सिलीगुड़ी से रास्ता जाता है. इसलिए सिलीगुड़ी गलियारे की सुरक्षा अत्यंत जरूरी है. आतंकियों से पूछताछ में कई बातों का पता चलता है. बंगाल पुलिस के लिए यह चिंता का विषय है. राज्य पुलिस के एडीजी सुप्रतिम सरकार ने इस तथ्य को स्वीकार किया है.
पुलिस के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार आतंकवादियों का मकसद स्लीपर सेल के माध्यम से गुप्त रूप से हथियार इकट्ठा करना और भारत विरोधी काम को अंजाम देना था. उनका लक्ष्य यहां के नौजवानों का ब्रेन वास करना था तथा उन्हें प्रलोभन देकर अपना मकसद पूरा करना था. आतंकवादी स्थानीय लोगों को हथियार उठाने और उन्हें भारत विरोधी गतिविधियों में लगाना चाहते थे.
STF ने गुप्त सूचना के आधार पर असम, केरल और मुर्शिदाबाद जिले में छापेमारी की थी. पश्चिम बंगाल में मिनारूल शेख और मोहम्मद अब्बास अली की संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी एसटीएफ को पहले से ही थी. इन सभी के खिलाफ एसटीएफ ने गैरकानूनी गतिविधि अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है. आतंकवादियों की गिरफ्तारी में बंगाल पुलिस ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. ऐसे समय में उनकी गिरफ्तारी हो रही है जब बांग्लादेश में आग लगी है. इनकी गिरफ्तारी से स्पष्ट है कि एबीपी का स्लीपर सेल असम की तरह बंगाल में भी सक्रिय था.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद वहां की सरकार ने जेल में बंद कई आतंकवादियों को रिहा किया है. उनमें से एबीटी का प्रमुख जसीमुद्दीन रहमानी भी शामिल है.उसने भारत विरोधी गतिविधियों का नेतृत्व करना शुरू कर दिया है.उसके कहने और सहयोग करने पर ही आतंकवादी मोहम्मद शाद भारत आया और अपने संगठन के विस्तार में जुट गया.
लेकिन असम पुलिस के खुफिया विभाग को समय रहते जानकारी मिल गई. असम पुलिस ने मोहम्मद शाद को केरल से गिरफ्तार किया. उसके बाद अन्य लोगों की गिरफ्तारी हुई.
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