बुद्धं शरणं गच्छामि।
धर्मं शरणं गच्छामि।
संघं शरणं गच्छामि।
बुद्ध का अर्थ है, जो हमें अंधकार से प्रकाश की ओर, ज्ञान की ओर ले जाए और आज बुद्ध पूर्णिमा है | भगवान गौतम बुद्ध का जन्म वैशाख मास की पूर्णिमा को हुआ था, इस महीने की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है। वैशास मास की पूर्णिमा का संबंध केवल गौतम बुद्ध के जन्म से ही नहीं है बल्कि इसी दिन उन्हें बोध गया में बोधिवृद्ध के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। उस दिन भी वैशाख मास की पूर्णिमा ही थी। उन्हें इस दिन बुद्धत्व की प्राप्ति हुई।
पद्म पुराण के अनुसार महात्मा बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवां अवतार माना जाता है। वहीं इतिहासकार मानते हैं कि गौतम बुद्ध का जन्म 563-483 ई.पू. के मध्य में हुआ था। उनका जन्म स्थल लुम्बिनी में हुआ था जो कि वर्तमान में नेपाल का हिस्सा है। महात्मा बुद्ध ने बुध पूर्णिमा के दिन ही कुशीनगर में देह त्याग किया था ।
बौद्ध और हिंदू धर्म के लोग बुद्ध पूर्णिमा को बहुत श्रद्धा के साथ मनाते हैं। बुद्ध पूर्णिमा का पर्व बुद्ध के आदर्शों और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। यह पर्व सभी को शांति का संदेश देता है। बौद्ध धर्म के अनुयायी इस दिन बोधगया जाकर पूजापाठ करते हैं। लोग बोधिवृक्ष की पूजा करते हैं। पीपल के पेड़ को बोधिवृक्ष कहा जाता है और इस दिन इसकी पूजा को विशेष धार्मिक महत्व दिया गया है। वृक्ष पर दूध और इत्र मिला हुआ जल चढ़ाया जाता है। सरसों के तेल का दीपक जला कर पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है | बुद्ध पूर्णिमा भारत के अलावा चीन, नेपाल, सिंगापुर, वियतनाम, थाइलैंड, जापान, कंबोडिया, मलेशिया, श्रीलंका, म्यांमार, इंडोनेशिया में मनाई जाती है | इन देशों में बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं, जो महात्मा बुद्ध के आदर्शों पर चलते हुए उन्हें अपना भगवान मानते हैं। बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग इस दिन अपने घर को फूलों से सजाते हैं व दीपक जलाते हैं और श्रद्धा भाव से बुद्ध पूर्णिमा को मनाते हैं |