आजकल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जहां भी जाती हैं, वह एक ही बात दोहराती हैं कि क्या बंगाल के बिना भारत की कल्पना की जा सकती है? वह रवींद्रनाथ टैगोर का उदाहरण देती हैं जिन्होंने राष्ट्रगान लिखा. वह बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय का उल्लेख करती हैं, जिन्होंने वंदे मातरम की रचना की. वह स्वामी विवेकानंद की बात करती हैं जो सभी धर्मो का सम्मान करते थे. वह रामकृष्ण परमहंस की उस शिक्षा की बात करती हैं जिसमें सभी धर्मो की एकता की बात की गई है. मुख्यमंत्री इसके जरिए आगामी बंगाल विधानसभा चुनाव की अपनी पार्टी की तैयारी की पूर्व झलक दे रही हैं.
बंगाल विधानसभा का चुनाव अगले साल होगा. लेकिन उससे पहले तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के द्वारा चुनाव जीतने की रणनीति बनाई जा रही है. तृणमूल कांग्रेस का इस समय बंगाली अस्मिता एवं बांग्ला भाषा पर जोर है. सूत्र बता रहे हैं कि ममता बनर्जी विधानसभा चुनाव में इस मुद्दे को जोर शोर से उठाएगी. दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी ममता बनर्जी के आंदोलन को रोहिंग्या और घुसपैठियों से जोड़कर देख रही है और इस मुद्दे पर बंगाल की जनता का ध्यान आकर्षित कर रही है.
भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि ममता बनर्जी ने बांग्लादेशियों को पनाह दी है. भाजपा बांग्लादेशियों और रोहिंग्या मुसलमानों को वापस बांग्लादेश भेजना चाहती है. वर्तमान में देश के अलग-अलग राज्यों खासकर भाजपा शासित राज्यों में बांग्ला भाषी मजदूरों एवं कारीगरों पर अत्याचार का आरोप ममता बनर्जी लगा रही है. भाजपा द्वारा स्पष्टीकरण दिया जा रहा है कि जिन लोगों को हिरासत में लिया जा रहा है, वे वास्तव में बांग्लादेशी हैं ना कि बंगाल वासी. इस बीच बंगाल में चुनाव आयोग ने वोटर वेरीफिकेशन का आदेश जारी कर दिया है.
आगामी बंगाल विधानसभा के चुनाव की तस्वीर कैसी होगी, इसकी झलक कूचबिहार जिले के खगराबाड़ी में सुवेंदु अधिकारी की कार पर हमला से ही पता लग जाता है. इस हमले में शुभेंदु अधिकारी और पूर्व केंद्रीय मंत्री निशित प्रमाणिक बाल बाल बच गए थे. शुभेंदु अधिकारी ने इस हमले की प्रतिक्रिया में अपने बयान में रोहिंग्या और बांग्लादेश से आए तृणमूल समर्थकों से जोड़ा है. अभी चुनाव में देर है लेकिन उससे पहले ही तस्वीर साफ होने लगी है जैसे चावल का एक दाना देखकर ही उसके पकने का अनुमान लगाया जा सकता है वैसे ही आगामी विधानसभा चुनाव का परिदृश्य कैसा होगा, यह तस्वीर साफ होने लगी है.
एक तरफ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस में भी सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. कल्याण बनर्जी ,महुआ मोइत्रा इत्यादि का मुद्दा सुर्खियों में है. ममता बनर्जी जहां भी जाती हैं, अंदरुनी मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए बांग्ला भाषा और बंगाली अस्मिता पर फोकस करने लगती है. उन्होंने इस बात पर जोर देना शुरू कर दिया है कि बांग्ला भाषा के साथ खिलवाड़ या उसका अपमान करने की कोशिश को सफल होने नहीं दिया जाएगा. वह एक ही बात अपनी सभाओं में कहती है कि क्या बंगाल के बिना भारत की कल्पना की जा सकती है?
ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस द्वारा शुरू की गई चुनावी रणनीति की काट को भाजपा के द्वारा न केवल ढूंढ लेने का दावा किया जा रहा है, बल्कि भाजपा पूरी तरह आश्वस्त है कि इसके जरिए तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी को मात दी जा सकती है. यह चुनावी काट है नरेंद्र मोदी, जिनकी लोकप्रियता को भाजपा बंगाल में भुनाना चाहती है. बंगाल में नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता काफी है. यही कारण है कि प्रदेश भाजपा ने नरेंद्र मोदी के चेहरे का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने की रणनीति तैयार की है. सूत्र बता रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी इस साल दिसंबर तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लगभग 10 जनसभाएं आयोजित कर सकती हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इससे पहले अलीपुरद्वार और दुर्गापुर में दो जनसभाएं कर चुके हैं. अलीपुरद्वार में उन्होंने 29 मई और दुर्गापुर में 18 जुलाई को जनसभा की थी. इसके अलावा प्रधानमंत्री ने बंगाल के लिए कई सरकारी परियोजनाओं का उद्घाटन तथा शिलान्यास भी किया है. प्रदेश भाजपा के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीसरी जनसभा दमदम में होने जा रही है. जिसके लिए भाजपा के द्वारा जोर-शोर से तैयारी की जा रही है.
2026 में नरेंद्र मोदी की कितनी जनसभाएं होंगी, 2026 में बंगाल विधानसभा चुनाव करण क्षेत्र कैसा होगा इसकी कल्पना आप इस बात से लगा सकते हैं कि भाजपा ने चुनाव में करो या मरो की तरह उतरने की योजना बनाई है.