पहाड़ में बिमल गुरुंग और सीबीआई को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. क्या बिमल गुरुंग को सीबीआई गिरफ्तार करने वाली है? क्या विमल गुरुंग जेल जाएंगे? क्या विमल गुरुंग को अदालत से बेल मिल सकती है? भाजपा पार्टी के स्तर पर राजू बिष्ट विमल गुरुंग को बचाने के लिए क्या करेंगे? जब से कोलकाता हाई कोर्ट का सीबीआई को निर्देश मिला है, तभी से दार्जिलिंग पहाड़ की राजनीति गरमा गई है. ऐसा लगता है कि आने वाले समय में बिमल गुरुंग के दिन भारी पड़ने वाले हैं. हाल ही में लोकसभा चुनाव में जिस तरह से विमल गुरुंग ने भाजपा और भाजपा सांसद राजू बिष्ट के पक्ष में प्रचार किया था और राजू बिष्ट को जिताने में उनकी अहम भूमिका भी रही थी. इसे देखते हुए राजनीतिक विश्लेषक यह कयास लगा रहे हैं कि भाजपा और भाजपा सांसद राजू विष्ट संकट मोचक बनकर विमल गुरुंग को बचा लेंगे. 2010 के मदन तमांग हत्याकांड मामले में कोलकाता हाई कोर्ट ने सीबीआई को विमल गुरुंग का नाम चार्जशीट में शामिल करने का आदेश दिया है.
2010 में अखिल भारतीय गोरखा लीग के अध्यक्ष मदन तमांग की हत्या कर दी गई थी. इस मामले में पुलिस ने जांच करते हुए कई लोगों को आरोपी बनाया था. उनमें से गोरखा जन मुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो विमल गुरुंग का भी नाम शामिल था. यह मामला सेशन कोर्ट में चल रहा था. 2017 में कोलकाता कोर्ट ने मदन तमांग की हत्या के आरोपी व्यक्तियों की सूची में से विमल गुरुंग का नाम हटाने का सीबीआई को निर्देश दिया था. निचली अदालत के फैसले के विरोध में मदन तमांग की पत्नी भारती ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर रखी थी. इसी पर सुनवाई करते हुए कोलकाता हाई कोर्ट ने सीबीआई को उपरोक्त मामले में विमल गुरुंग का नाम शामिल करने और चार्जशीट तैयार करने का आदेश दिया है.
आपको बताते चलें कि अखिल भारतीय गोरखा लीग के नेता मदन तमांग की 21 मई 2010 को दार्जिलिंग में उस समय हत्या कर दी गई थी,जब वह एक सार्वजनिक जनसभा की तैयारी देखने के लिए पहुंचे थे. कई लोगों के अनुसार मदन तमांग सार्वजनिक जनसभा में भाषण देने वाले थे. उस समय पहाड़ में विमल गुरुंग के नेतृत्व वाले मोर्चे का बड़ा दखल था. दार्जिलिंग की राजनीति में विमल गुरुंग का व्यापक प्रभाव था.
विमल गुरुंग के नेतृत्व में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा पहाड़ में गोरखालैंड की मांग में आंदोलन कर रहा था. उस समय गोरखालैंड के आंदोलन में पहाड़ को व्यापक क्षति हुई थी. कई जगह छोटे बड़े विस्फोट भी हुए थे. कई लोग घायल हुए. व्यापार और कारोबार को भारी नुकसान पहुंचा था. मदन तमांग की हत्या के मामले को सीआईडी ने अपने हाथ में लिया. सीआईडी ने मामले की जांच करते हुए गोरखा जन मुक्ति मोर्चा के एक नेता निकोल तमांग को प्रथम दृष्ट्या दोषी माना और मदन तमांग की हत्या का आरोपी बनाया. निकोल तमांग को सीआईडी ने अपने कस्टडी में लिया. लेकिन निकोल तमांग सीआईडी की कस्टडी से भाग निकले… बाद में इस मामले को सीबीआई के सुपुर्द कर दिया गया.
सीबीआई ने 29 मई 2015 को अदालत में एक चार्जशीट दाखिल किया. इस चार्ज शीट में विमल गुरुंग और 47 अन्य लोगों के नाम शामिल किए गए थे. इनमें से विमल गुरुंग की पत्नी आशा का भी नाम शामिल था.इसके अलावा चार्जशीट में रोशन गिरी और विनय तमांग के नाम का भी उल्लेख है. 2017 में कोलकाता सिटी सेशन कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई. तब सेशन कोर्ट के जज ने यह कहते हुए कि सीबीआई के पास हत्याकांड मामले में विमल गुरुंग के खिलाफ कोई पर्याप्त साक्ष्य नहीं था, लिहाजा चार्ज शीट में से विमल गुरुंग का नाम हटाने का निर्देश दिया.
कोलकाता हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए निचली अदालत के फैसले को पलट दिया है. न्यायाधीश शुभेंदु सामंथा ने हत्या के आरोपियों में से विमल गुरुंग के नाम को उल्लेख में नहीं लेने को एक भूल बताया और सीबीआई को निर्देश दिया है कि चार्ज शीट में विमल गुरुंग का नाम भी शामिल करे.
2010 के पुराने मामले में विमल गुरुंग का नाम घसीटे जाने को लेकर पहाड़ की राजनीति गर्म हो गई है. कुछ लोग इसे राजनीतिक बदले की भावना की कार्रवाई बता रहे हैं. कई लोगों का यह भी मानना है कि आने वाले समय में पहाड़ में कुछ और बड़ी हलचल हो सकती है.क्योंकि विमल गुरुंग भाजपा के काफी करीब हैं और केंद्र में भाजपा की सरकार है. राजू बिष्ट को जिताने में विमल गुरुंग ने काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
ऐसे में भाजपा भी चुप नहीं रहेगी. भाजपा दूसरे तरीके से राज्य और पहाड़ के विपक्षी नेताओं को परेशान कर सकती है. बहरहाल यह देखना होगा कि विमल गुरुंग पर अदालत का फैसला आने के बाद उनकी तरफ से क्या प्रतिक्रिया सामने आती है और पहाड़ की राजनीति में इसका क्या असर पड़ता है. क्या विमल गुरुंग को जेल जाना होगा या विमल गुरुंग को मिलेगी बेल? क्या करेगी सीबीआई? इस तरह के ढेरों सवाल हैं जिनका जवाब भविष्य के गर्भ में छिपा है.
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