सिक्किम के आपदा पीड़ित अब नहीं होंगे परेशान.सिक्किम सरकार है उन पर मेहरबान. मुख्यमंत्री प्रेम सिंह गोले ने अपने दिल के दरवाजे खोल दिए हैं. बहुत बड़ी उदारता दिखाई है. खोला राज्य के खजाने का मुंह. घर मिलेगा. घर में रहने के लिए सारे सामान मिलेंगे. जैसे बिस्तर, पहनने के कपड़े, किचन के सामान. सब मुफ्त मिलेगा. और ऊपर से आर्थिक मदद. जो जैसा है, उसके लिए उस तरह की मदद ताकि उनका जख्म जल्द से जल्द भर सके. दुख और मुसीबत की घड़ी में लोगों को अपनों के सहयोग की आवश्यकता होती है. मुख्यमंत्री प्रेम सिंह गोले के द्वारा यह सब आपदा पीड़ितो के लिए की गई घोषणा, उनके दुख को जरूर कुछ कम कर रही है.
राज्य में रहने वाले सभी उम्र व वर्ग के आपदा पीड़ितों का ख्याल मुख्यमंत्री ने रखा है. बच्चों के लिए, घर के बड़े बुजुर्गों के लिए, कारोबार करने वालों के लिए, मकान मालिकों के लिए, किराएदारों के लिए, राहत कैंप में रह रहे लोगों के लिए, यानी सभी वर्गों और उम्र के व्यक्तियों का मुख्यमंत्री प्रेम सिंह गोले के द्वारा ख्याल रखे जाने की घोषणा की गई है.
सिक्किम में धीरे-धीरे जनजीवन पटरी पर लौट रहा है. सिक्किम सरकार आपदा पीड़ितों के पुनर्वास और उनके जीवन को पटरी पर लाने के लिए सभी तरह के कदम उठा रही है. इसके अलावा राज्य में क्षतिग्रस्त पुलों और सड़कों के निर्माण और स्वाभाविक यातायात व्यवस्था के लिए भी काम तेजी से चल रहा है. मुख्यमंत्री प्रेम सिंह गोले ने तीस्ता आपदा पीड़ितों के लिए महत्वपूर्ण घोषणा की है.
राज्य सरकार ने ऐलान किया है कि पुनर्वास आवास योजना के तहत राज्य में 2100 घर बनाए जाएंगे. ऐसे मकानों में उन लोगों को रहने का अधिकार होगा, जिनका तीस्ता की आपदा में मकान खत्म हो गया है या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गया है या फिर ऐसे मकान रहने लायक नहीं है. ऐसे लोग अगर सिक्किम के नागरिक हैं तथा उनके पास सिक्किम का निवास प्रमाण पत्र है तो उन्हें मुफ्त में घर मिलेगा. इतना ही नहीं उन्हें 3 साल तक सरकार को कुछ भी नहीं देना होगा. ऐसे व्यक्तियों को अपनी जमीन होने का प्रमाण प्रस्तुत करना जरूरी होगा.
सिक्किम राज्य के निवासी जिनके पास अपना मकान नहीं है और वह किराए पर रहते हैं, वर्तमान में वे आपदा सहायता केंद्र में रह रहे हैं, ऐसे लोगों के जीवन को पटरी पर लाने के लिए सरकार हर महीने 3 महीने तक पांच-पांच हजार रुपए देगी. इसके अलावा उनके लिए सरकार जनता हाउसिंग कॉलोनी बनाएगी. सभी किराएदारों को एक-एक मकान अलॉट किए जाएंगे. आरंभ के 3 महीने तक उन्हें किराया नहीं देना होगा. लेकिन उसके बाद उन्हें हर महीने किराया देना होगा. ऐसे किराएदारों के लिए बिस्तर, चादर, किचन के सामान और अन्य सुविधाएं सरकार मुफ्त में देगी.
मुख्यमंत्री प्रेम सिंह गोले ने राज्य के आपदा प्रभावित बच्चों के लिए भी कई घोषणाएं की है. उनकी सरकार बच्चों की पढ़ाई लिखाई, स्टेशनरी, फीस आदि सारा खर्च उठाएगी.प्रत्येक बच्चे को ₹10000 की सहायता उपलब्ध कराई जाएगी ताकि उनकी पढ़ाई बाधित न हो सके. उनके लिए ड्रेस, जूते और सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी. मुख्यमंत्री ने जिला कलेक्टर को निर्देश दिया है कि वह सभी आपदा प्रभावित केंद्र पर जाएं और यह पता लगाएं कि आपदा में किन लोगों के दस्तावेज अथवा प्रमाण पत्र खो गए हैं. जो लोग सहायता केदो में रह रहे हैं,उनके मूल प्रमाण पत्र अथवा कोई भी दस्तावेज खो गया हो तो फिर से उनके प्रमाण पत्र बनाए जाएं.
हालांकि मुख्यमंत्री ने सहायता राशि का ऐलान तो नहीं किया है लेकिन उन्होंने यह जरूर कहा है कि जिन लोगों की गाड़ी या वाहन आपदा में नष्ट हो गया है, उन्हें भी सहायता दी जाएगी. लेकिन यह सहायता राशि कब मिलेगी और कितनी मिलेगी, यह पता नहीं चला है. प्रेम सिंह गोले ने ऐसे लोगों को भारी राहत दी है, जिनका व्यवसाय जैसे दुकान,उद्योग आदि आपदा की भेंट चढ़ गया है. उन्होंने कहा कि ऐसे आपदा पीड़ितों को आत्मनिर्भर बनाने तथा उनके व्यवसाय को फिर से खड़ा करने के लिए सरकार 10 लाख रुपए तक का लोन उपलब्ध कराएगी. ऐसे व्यवसाईयों को अगले 2 साल तक ली गई रकम पर कोई ब्याज नहीं देना होगा. सरकार उनका ब्याज चुकता करेगी.
इस तरह से मुख्यमंत्री प्रेम सिंह गोले ने राज्य के आपदा पीड़ितों के जीवन को वापस पटरी पर लाने के लिए सभी तरह के कदम उठाए हैं. इसके साथ ही मुख्यमंत्री प्रेम सिंह गोले ने घोषणा की है कि चुंगथांग डैम टूटने के कारणों की जांच के लिए एक आयोग बैठाया जाएगा. क्योंकि उन्हें लगता है कि चुंगथांग डैम का पूर्ववर्ती सरकारों ने सही तरीके से देखभाल नहीं किया गया था. उन्होंने कहा कि 9 सितंबर 2023 को चुंगथांग डैम को लेकर एक सर्वे हुआ था. इसमें यह पता चला कि चुंगथांग डैम में कुछ कमी रह गई है. पूर्ववर्ती सरकारों ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया, जिसके कारण यह विनाश हुआ है.
जिन लोगों के मकान आपदा में आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं या फिर अंदर से जर्जर हो चुके हैं, ऐसे मकानों में आपदा प्रभावित मालिक तब तक नहीं रह सकते जब तक कि उनका निरीक्षण नहीं कर लिया जाता. निरीक्षण के पश्चात ही यह पता चलेगा कि ऐसे मकानों में रहा जा सकता है या नहीं. इसके अलावा मुख्यमंत्री ने और भी कई छोटी-मोटी घोषणाएं की है जो आपदा प्रभावित लोगों को फिर से अपने पैरों पर खड़ा होने में सहयोग करेगा.