आमतौर पर लोगों की यह धारणा होती है कि सेना और सुरक्षा बलों में पारदर्शिता ज्यादा होती है और भ्रष्टाचार की शिकायत बहुत कम देखी जाती है. सशस्त्र सीमा बल के जवान पूरी ईमानदारी और मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी का निर्वाह करते हैं, इसमें कोई शक नहीं है. लेकिन सेना अथवा सशस्त्र सीमा बल की वर्दी में कुछ जवान ऐसे भी होते हैं,जिनका मकसद भारत के स्वाभिमान और सुरक्षा के लिए समर्पण नहीं, बल्कि उनका मकसद अपना व्यक्तिगत हित साधने का होता है. जब ऐसे लोग अपने फर्ज, धर्म और कर्तव्य से विमुख होकर स्वार्थ पूर्ति में लग जाते हैं, तो पूरी बटालियन पर ही दाग लगने लगता है.
पर सेना में आज भी कर्तव्य परायण और अपनी ड्यूटी के लिए समर्पित अधिकारियों और जवानों की कोई कमी नहीं है. अगर विभाग में किसी तरह की कोई त्रुटि सामने आती है अथवा किसी जवान या सैनिक कर्मी के खिलाफ कोई शिकायत सामने आती है, तो यह अधिकारी खुद ही अपने लोगों का ‘कोर्ट मार्शल’ करने के लिए तैयार हो जाते हैं. कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है सशस्त्र सीमा बल 8 बटालियन खपरैल यूनिट में, जहां कांस्टेबल अमित कुमार सिंह के खिलाफ विभाग ने माटीगाड़ा थाने में वित्तीय अनियमितता और गबन की शिकायत दर्ज कराई.
इसके आधार पर माटीगाड़ा पुलिस ने कांस्टेबल अमित कुमार सिंह को गिरफ्तार करके सिलीगुड़ी कोर्ट में पेश किया है. कांस्टेबल अमित कुमार सिंह SSB खपरैल,8 बटालियन में अकाउंट विभाग (वेतन विभाग) में तैनात थे. उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद की गरिमा को गिराया है और वित्तीय गबन किया है. विभाग ने अपनी जांच में पाया कि अमित कुमार सिंह ने अपने पीएनबी के वेतन खाते से अपने विभिन्न व्यक्तिगत खातों में एक मोटी धनराशि जमा कराई है. इसे उन्होंने स्वीकार भी किया. अमित कुमार सिंह ने विभिन्न भत्तों के बारे में कोई उपयुक्त उत्तर नहीं दिया, इसके बाद ही उनके खिलाफ गृह मंत्रालय की अनुशंसा पर यह कार्रवाई की गई है.
माटीगाड़ा थाने में दर्ज कराई गई शिकायत और FIR की प्रति के अनुसार जुलाई 2024 से लेकर नवंबर 2024 तक अमित कुमार सिंह ने बहुत सारे भत्तों को अपने सैलरी अकाउंट में ट्रांसफर करवाया. जो कि यह पूरी तरह गैर कानूनी था. इसके बारे में विभाग को कोई जानकारी नहीं दी गई. उन्होंने दिसंबर 2024 में फिर से ऐसा ही करने की कोशिश की. लेकिन तब तक विभाग को उन पर शक होने लगा. इसलिए विभाग ने भत्तों का पैसा रोक दिया और उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू हुई. इसमें पाया गया कि अमित कुमार सिंह ने 2594674 रू का गबन किया है.
जुलाई 2024 से लेकर नवंबर 2024 तक कांस्टेबल अमित कुमार सिंह का वेतन व भत्ते मिलाकर कुल 371405 रुपए बनते हैं. अगर यह राशि घटा दी जाती है तो कुल 21 लाख 83 हजार 875 रुपए का वित्तीय गबन सामने आता है. इस धोखाधड़ी के बाद अधिकारियों ने कांस्टेबल अमित कुमार सिंह से पूछताछ की तो उन्होंने अपना अपराध स्वीकार कर लिया.
FIR कॉपी के अनुसार कांस्टेबल अमित कुमार सिंह ने अधिकारियों को बताया कि उन्हें क्रिप्टो तथा शेयर मार्केट में निवेश करने का चस्का लग गया था. उन्होंने अपने वेतन के सारे पैसे इन क्षेत्रों में निवेश कर दिए. हालांकि उन्हें भारी घाटे का सामना करना पड़ा. इसकी क्षतिपूर्ति के लिए उन्होंने यह रास्ता अपनाया, जो कि एक अपराध भी है. 25 दिसंबर को की गई विभागीय जांच में यह पाया गया है. उसके बाद ही उनके खिलाफ पुलिस कार्रवाई की गई. अमित कुमार सिंह ने विभिन्न स्रोतों से अवैध तरीके से अपने विभिन्न खाते में राशि जमा करवाई है, जिसका उनके पास कोई वैधानिक आधार नहीं है.
जब सेना अथवा सशस्त्र सीमा बल में इस तरह की शिकायत सामने आती है तो कहीं ना कहीं लोगों के मन में निराशा उत्पन्न होती है. क्योंकि आम जनता सैनिकों और जवानों को देखकर गर्व की अनुभूति करती है. लेकिन जब वही सैनिक और जवान इस तरह की हेरा फेरी करने लगे तो किसी का भी शर्म से सर झुक जाता है. हालांकि कांस्टेबल अमित कुमार सिंह के खिलाफ यह आरोप है. अदालत का काम उन्हें अपराधी घोषित करना है. अब देखना होगा कि अदालत कांस्टेबल अमित कुमार सिंह के खिलाफ क्या कार्रवाई करती है.
जो भी हो, एक बात तो सत्य है कि गलत रास्ते से ज्यादा समय तक पैसे नहीं बनाए जा सकते हैं. एक न एक दिन पोल खुल ही जाती है. उस दिन व्यक्ति ना घर का और ना घाट का रह जाता है. अमित कुमार सिंह को जरूर पछतावा हो रहा होगा. अगर उसने लालच नहीं किया होता तो शायद यह दिन देखने नहीं पड़ते. तारीफ सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों की भी करनी होगी, जिन्होंने विभाग में भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया और उसे सार्वजनिक कर विभाग में पारदर्शिता और स्वच्छता का भरोसा बनाए रखा है.
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