दार्जिलिंग संसदीय सीट के लिए मुख्य रूप से तीन उम्मीदवार चुनाव मैदान में है, जिनके बीच मुकाबला होना है. भाजपा की ओर से राजू बिष्ट, तृणमूल कांग्रेस की ओर से गोपाल लामा और कांग्रेस की तरफ से मुनीष तमांग चुनाव लड़ रहे हैं. तीनों ही उम्मीदवारों के द्वारा पर्चा दाखिल करने के बाद चुनाव प्रचार जोर पकड़ता जा रहा है.अगर चुनाव प्रचार की बात करें तो तृणमूल कांग्रेस पहाड़ से लेकर समतल तक प्रचार में सबसे आगे चल रही है. उसके बाद भाजपा और फिर कांग्रेस का नंबर आता है.
लेकिन किसी भी दल के प्रचार में आगे रहने से यह कयास नहीं लगाया जा सकता कि वह दल चुनाव में भी बाजी मार लेगा. कम से कम दार्जिलिंग संसदीय क्षेत्र के लिए तो ऐसा नहीं कहा जा सकता, जहां पिछले 15 सालों से भाजपा का कब्जा रहा है. वर्ष 2009 में भाजपा के उम्मीदवार जसवंत सिंह ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार जीवेश सरकार को भारी मतों से हराया था. 2014 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने भारी मतों से जीत हासिल की थी.
जसवंत सिंह के बाद भाजपा ने इस सीट से एस एस अहलूवालिया को टिकट दिया. अहलूवालिया ने लगभग 42.73% वोट हासिल किया. उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी थे कांग्रेस के बाइचुंग भूटिया. भूटिया को 25.47% वोट मिले थे. लेकिन अहलूवालिया का काम काज 5 सालों में अच्छा नहीं रहा. इसलिए भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में अहलूवालिया को टिकट न देकर यहां से एक नौजवान उम्मीदवार राजू बिष्ट को उतारा. राजू बिष्ट ने एक नए रिकॉर्ड के साथ यहां से जीत दर्ज की.
राजू बिष्ट ने 2019 के लोकसभा चुनाव में लगभग 60% वोट के साथ 750000 से अधिक वोट हासिल किया. उनके निकटतम प्रतिद्वंदी तृणमूल कांग्रेस के अमर सिंह राई को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था. 2024 के चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर से राजू बिष्ट को मैदान में उतारा है. लेकिन क्या इस बार राजू विष्ट के जरिए भाजपा हैट्रिक लगा पाएगी? यह सवाल पहाड़ से लेकर समतल तक उठने लगा है. लगभग तीनों ही प्रमुख दलों के उम्मीदवार जनता के बीच वोट मांगने के लिए जा रहे हैं. लेकिन जनता खामोश है. हालांकि उम्मीदवारों के अपने-अपने दावे हैं.
तृणमूल कांग्रेस अपनी जीत का दावा कर रही है तो दूसरी तरफ भाजपा राजू बिष्ट से ज्यादा नरेंद्र मोदी का चेहरा सामने ला रही है. राजू बिष्ट को फिर से पहाड़ में विमल गुरुंग का साथ मिल गया है. जबकि तृणमूल कांग्रेस को अनित थापा का पूरा समर्थन प्राप्त है. प्रकट में तो पहाड़ बंटा हुआ नजर आ रहा है. लेकिन मतदाताओं के द्वारा अभी किसी भी दल अथवा उम्मीदवार में दिलचस्पी नहीं दिखाई जा रही है. ऐसे में उम्मीदवार भी संशय की स्थिति में है. हालांकि प्रकट में वे सभी अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं.
कांग्रेस में उम्मीदवार मुनीष तमांग को पहाड़ में विनय गुट का समर्थन नहीं मिल रहा है. विनय गुट के द्वारा थोपा गया उम्मीदवार के रूप में इसे लिया जा रहा है. हालांकि अजय एडवर्ड कांग्रेस उम्मीदवार का समर्थन कर रहे हैं. परंतु उनकी ही पार्टी के अनेक कार्यकर्ता व नेता उनके इस फैसले के खिलाफ जंग छेड़ रखे हैं. राहत की बात यह है कि माकपा कांग्रेस उम्मीदवार का समर्थन कर रही है. गोपाल लामा के लिए यह पहला चुनाव है. जबकि राजू बिष्ट पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र के सांसद रहे हैं. 5 सालों में राजू बिष्ट ने दार्जिलिंग की जनता के लिए क्या-क्या किया है, इस पर जनता बंटी हुई नजर आ रही है.
ऐसे में यह सवाल बड़ा महत्वपूर्ण है कि इस बार दार्जिलिंग सीट पर भाजपा हैट्रिक लगाएगी या फिर तृणमूल कांग्रेस इतिहास लिखेगी? मुख्य मुकाबला दोनों ही पार्टियों के बीच में है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस इस सीट पर इतिहास लिखने के लिए बेकरार हैं. पहाड़ से लेकर समतल तक पार्टी के द्वारा व्यापक प्रचार अभियान चलाया जा रहा है, तो दूसरी तरफ भाजपा के स्टार कैंपेनर नेता और स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दार्जिलिंग सीट बरकरार रखने के लिए राजू बिष्ट के जरिए अपनी रणनीति को परवान चढ़ाने में जुट गए हैं. आज प्रधानमंत्री की जलपाईगुड़ी में जनसभा है. उम्मीद की जा रही है कि प्रधानमंत्री दार्जिलिंग संसदीय सीट के लिए भी कुछ महत्वपूर्ण बात कर सकते हैं. यह भाजपा की जीत के लिए उनकी रणनीति का ही एक हिस्सा होगा बहरहाल, बाजी किसके हाथ लगेगी, इसका फैसला तो 26 अप्रैल को जनता ही करेगी.
(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)