बंगाल और सिक्किम के बीच की जीवन रेखा नेशनल हाईवे 10 है. पिछले लगभग 1 महीने से राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 10 भूस्खलन और बारिश की चपेट में जर्जर हो चुकी है. इस मार्ग से होकर सुगम यातायात बंद है. सिक्किम जाने वाले वाहनों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. ये वाहन कोरोनेशन ब्रिज होते हुए उदलाबारी, गोरुबथान जाते हैं और फिर वहां से सिक्किम जाना होता है. ऐसे में आप समझ सकते हैं कि सिक्किम जाना कितना कठिन हो गया है.
यह कोई पहला मामला नहीं है. हर साल बरसात के समय सिक्किम की जीवन रेखा NH 10 लगभग बंद हो जाती है. एक तरह से सिक्किम सिलीगुड़ी और देश के शेष भाग से कट जाता है. जबकि सिक्किम देश का गौरव है और सुरक्षा के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण भी है. सिक्किम और दार्जिलिंग के सांसदों ने हमेशा NH 10 को लेकर लोकसभा में भी आवाज उठाई है. चाहे राजू विष्ट हों, अथवा सुब्बा या फिर सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग समेत सिक्किम के लोग, सभी यही चाहते हैं कि NH 10 ऐसी हालत में हो कि मौसम , बारिश और भूस्खलन का इस पर कोई असर ना हो.
पिछले साल सिक्किम में आई भयानक त्रासदी के बाद तो यह जीवन रेखा NH10 बुरी तरह तबाह हो चुकी है और जर्जर हो चुकी है. यही कारण है कि मानसून की पहली बरसात में ही NH10 का हाल कई बार ऐसा बुरा रहा कि सरकार को आवागमन के लिए इसे बंद करना पड़ा. आज भी यह बंद है. सिक्किम में इस राष्ट्रीय राजमार्ग पर भूस्खलन की घटनाएं अधिक होती हैं. खासकर सेल्फी डांड़ा, मल्ली बाजार के आसपास, लिखूभीर, कालीझोड़ा इत्यादि स्थानों में थोड़ी सी बरसात में ही भूस्खलन और रास्ता टूटने की खबरें आती रहती है. इसका यह मतलब हो सकता है कि NH 10 अंदर से खोखला हो चुका है.
ऐसे में सिक्किम को बचाने और उत्तर बंगाल खासकर कालिमपोंग और सिलीगुड़ी को राहत दिलाने के लिए कुछ ठोस कदम उठाने की जरूरत है, जो प्रदेश सरकार के अधिकार के वश की बात नहीं है. बंगाल सरकार भी नहीं कर सकती. यह काम केवल केंद्र ही कर सकता है. सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने इस स्थिति को समझा है और यही कारण है कि वे जब भी दिल्ली जाते हैं, इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्रियों से चर्चा करना नहीं भूलते हैं. दार्जिलिंग के सांसद राजू बिष्ट ने भी कई बार संसद में इस मुद्दे को उठाया है. आज दिल्ली में इस मुद्दे पर चर्चा शुरू हो चुकी है. दरअसल सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने इस पर विचार करने और सिक्किम की जीवन रेखा को बचाने के लिए उच्च स्तरीय पहल शुरू कर दी है.
इस बैठक में NH10 की वर्तमान स्थिति सिलीगुड़ी से रंगपो तक सड़क को हुए नुकसान, सड़क का रखरखाव, तीस्ता नदी के कारण सड़क का कटाव के साथ ही तीस्ता नदी की क्षमता को बढ़ाने के लिए नदी को गाद मुक्त करना और सभी मुद्दों पर चर्चा की जा रही है. इस बैठक में पश्चिम बंगाल और सिक्किम के लोक निर्माण विभाग, सिंचाई और अन्य विभाग के साथ ही एनएचपीसी, एनएफ रेलवे, निर्माण के अधिकारी भी भाग ले रहे हैं. बैठक की अध्यक्षता सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव कर रहे हैं.
आपको बताते चलें कि मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग के अनुरोध पर केंद्रीय सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्रालय और केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने इस पर उच्च स्तरीय विचार विमर्श के लिए आज ही का दिन निर्धारित किया था. प्रेम सिंह तमांग पिछले दिनों इसी मुद्दे को लेकर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री और केंद्रीय सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्री से मिले थे. केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन विभाग ने तीस्ता नदी की स्थिति पर अध्ययन के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन कर दिया है. इस समिति का उद्देश्य बाढ़ से पहुंची क्षति का मूल्यांकन, मार्गदर्शन, संसाधन के बारे में सुझाव प्रदान करना इत्यादि है. ताकि कोई स्थाई निदान ढूंढा जा सके.
यह समिति हिमनद झील के फटने से आई बाढ़ के बाद नदी में हुए परिवर्तनों पर भी अध्ययन करेगी. यह समिति दो महीने के भीतर अंतरिम रिपोर्ट और 6 महीने के भीतर अंतिम रिपोर्ट पेश करेगी. इस समिति में तीस्ता और भागीरथी दामोदर बेसिन ऑर्गेनाइजेशन के मुख्य अभियंता, अध्यक्ष, जलवायु परिवर्तन निदेशालय नई दिल्ली के निदेशक सदस्य, जांच वृत्त, जीएंड बी डी बीओ के अधीक्षण अभियंता, सदस्य और सचिव शामिल हैं. अब देखना है कि इस बैठक का क्या नतीजा निकलता है और दिल्ली किस तरह से सिक्किम की जीवन रेखा मानी जाने वाली NH10 और तीस्ता नदी का हल निकाल पाती है. सब की नजर इसी पर टिकी है.
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