किसी ने भी कल्पना तक नहीं की थी कि महाकुंभ मेले में उत्पन्न हुई एक छोटी सी अफवाह एक बड़े हादसे का कारण बन जाएगी. उत्तर प्रदेश सरकार, केंद्र सरकार, महाकुंभ आयोजन संगठन और पुलिस प्रशासनिक अधिकारी सभी बड़े-बड़े दावे कर रहे थे. लेकिन लाख सावधानी, इंतजाम और सतर्कता के बावजूद आखिरकार हादसा हो ही गया! हादसे में कई लोगों की मौत हो गयी है. घायलों की संख्या का ठीक-ठाक अनुमान लगा पाना काफी मुश्किल काम है. हादसे के बाद परिवार के लोग बिछड़ गए हैं.कौन किस हाल में है, किसी के पास इसकी जानकारी नहीं है. परंतु सिलीगुड़ी के दिनेश पंडित बहुत ही खुश किस्मत है, जो भगदड़ के शिकार हुए और बाल बाल बच गए हैं. वे अब सकुशल हैं और घर लौट रहे हैं.
जानकारी मिल रही है कि सिलीगुड़ी नगर निगम के वार्ड नंबर 12 और वार्ड नंबर 15 से 6 लोग महाकुंभ मौनी अमावस्या का नहान करने गए थे. इनमें दिनेश पंडित भी शामिल थे. उनके परिवार के लोगों ने बताया कि दिनेश पंडित शुक्रवार को अपने 6 दोस्तों के साथ महाकुंभ गए थे. आज तड़के संगम में नहाते समय भगदड़ के शिकार हो गए. लेकिन किसी तरह उन्होंने खुद को बचा लिया. बाद में पुलिस और बचाव दल के लोगों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया जहां इलाज के बाद वह ठीक हो गए. हालांकि इस हादसे में उनके सभी मित्र बिछड़ गए. बाद में वे सभी मिल गए हैं और साथ-साथ सिलीगुड़ी लौट रहे हैं.
सिलीगुड़ी के पंजाबी पाड़ा की रहने वाली दर्शना देवी बंसल भी मौनी अमावस्या स्नान का पुण्य लाभ कमाने के लिए महाकुंभ गई थी. घर वालों ने उन्हें हर्षोल्लास और भक्ति के वातावरण में विदा किया. जब दर्शना देवी बंसल पंजाबी पाड़ा स्थित अपने घर से रवाना हुई तो खुशी के मारे उनके पैर धरती पर नहीं पड़ रहे थे. वह जल्द से जल्द महाकुंभ पहुंच जाना चाहती थी. क्योंकि पूरे 144 वर्षों के बाद महाकुंभ लगा था. उन्होंने सुना था कि मौनी अमावस्या का महाकुंभ स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. आज देर रात को संगम पर हुए हादसे के बाद दर्शना देवी बंसल का पता नहीं चल रहा है. सिलीगुड़ी में उनके परिवार के लोग काफी परेशान और चिंतित है. तथा उनकी तलाश के लिए भटक रहे हैं.
विभिन्न मीडिया सूत्रों और न्यूज़ चैनल्स से जो जानकारी मिल रही है, उसके अनुसार यह हादसा बुधवार की रात लगभग 2:00 बजे हुआ था. उस समय लोग बाग मौनी अमावस्या का नहान करने के लिए सो रहे थे. तभी यह अफवाह उड़ी कि नागा साधुओं का एक जत्था स्नान करने के लिए संगम की ओर बढ़ रहा है. पता चला कि नागा साधु उसी रास्ते से होकर मौनी अमावस्या का स्नान करने जा रहे हैं. इसी हड़बड़ाहट में एक अफरा तफरी मच गई.लोग इधर-उधर भागने लगे और इस तरह से भगदड़ की स्थिति मच गई, जिसने कई लोगों को मौत के मुंह में सुला दिया.
हालांकि अफवाह के अलग-अलग कारण बताए जा रहे हैं. एक अन्य कारण बताया जा रहा है कि अधिकतर पांटून पुल बंद थे. इस कारण संगम पर पहुंचने वाली करोड़ की भीड़ एकत्र होती चली गई. इससे बैरिकेड में फंसकर कुछ लोग गिर गए. यह देखकर भगदड़ की अफवाह फैल गई. एक अन्य कारण के अनुसार संगम नोज पर एंट्री और एग्जिट के रास्ते अलग-अलग नहीं थे. लोग जिस रास्ते से जा रहे थे, उसी रास्ते से वापस आ रहे थे. ऐसे में जब भगदड़ मची तो लोगों को भागने का मौका नहीं मिला. वह एक दूसरे के ऊपर गिरते गए. हालांकि अब तक कोई अधिकृत जानकारी नहीं मिली है. मृतकों की संख्या अत्यधिक है. जबकि घायल दर्जनों लोग हैं. हालांकि हादसे के फौरन बाद प्रशासन ने स्थिति पर नियंत्रण पा लिया है.
संगम हादसे के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों की ओर से तीखी प्रतिक्रिया भी सामने आ रही है. विपक्ष ने हादसे के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को जिम्मेवार ठहराया है.कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि सरकार की बदइंतजामी के कारण हादसा हुआ. समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने कहा है कि महाकुंभ को सेना के हवाले कर देना चाहिए. इत्यादि इत्यादि.
सूत्रों से जो जानकारी मिल रही है, उसके अनुसार अधिकतर घायल लोग दूर दराज के रहने वाले हैं. वे एक दिन पहले ही संगम तट पर पहुंच गए थे. प्रशासन की उम्मीद से भी ज्यादा भीड़ एकत्र हो गई थी. महाकुंभ आयोजन कमेटी की ओर से हालांकि सभी तरह के इंतेजामत किए गए थे, पर जहां करोड़ों की भीड़ हो, वहां अफवाहों को रोकने को लेकर शायद अच्छे इंतजाम नहीं थे. कहीं ना कहीं प्रशासन की इसमें चूक दिख रही है. अगर प्रशासन ने अफवाहों को लेकर सख्त गाइडलाइंस जारी किया होता तो शायद यह हादसा नहीं होता. बहरहाल हादसे के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से बातचीत की और उन्हें फौरन कदम उठाने को कहा. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी ने बहुत ही कम समय के भीतर स्थिति को पूरी तरह संभाल लेने में सफलता पाई है. इ
इस बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोगों से अफवाहों से दूर रहने की अपील की है. उन्होंने लोगों से संयम रखने को कहा है. अखाड़े के साधु संत भी लोगों को समझा रहे हैं कि वे जहां भी हैं, वहीं नदी तालाब पोखर में स्नान करके मौनी अमावस्या का पुण्य लाभ कमा सकते हैं. इसके लिए प्रयागराज आने की आवश्यकता नहीं है. जो भी हो, हादसा तो हो ही गया है. इसके लिए कौन जिम्मेवार है, यह तो बाद की बात है. सबसे पहले प्रशासन और सरकार के लिए चुनौती है, विछडे लोगों और परिवारों को ढूंढ कर मिलाना, घायलों की उपयुक्त चिकित्सा तथा इस हादसे में मारे गए लोगों के शव को उनके घर तक पहुंचाना. फिलहाल प्रशासन और सरकार इस दिशा में जुट गई है.
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