सिलीगुड़ी: दुर्गा पूजा पंडाल में ढाक बजाना यह बंगाल की विरासत है और जब तक दुर्गा पूजा पंडाल में ढाक ना बजे तब तक दुर्गा पूजा अधूरी सी महसूस होती है | देखा जाए तो सिलीगुड़ी के विभिन्न पूजा पंडालों में दुर्गा माँ की प्रतिमा विराजमान हो चुकी है | वही ढाक बजाने वाले भी राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से सिलीगुड़ी पहुंच रहे हैं | ढाक बजाने वाले कलाकार भी दुर्गा पूजा का इंतजार करते हैं, क्योंकि इसी समय वे कमाई के साथ-साथ अपने कला का भी प्रदर्शन करते हैं | सिलीगुड़ी में विभिन्न क्षेत्रों से ढाक बजाने वाले कलाकार पहुंच चुके हैं और वे पूजा पंडालों की ओर अपना रुख कर रहे हैं | गौर करें तो जैसे-जैसे समाज विकास की ओर बढ़ रहा है वैसे-वैसे यह ढाक बजाने वाले कलाकार भी विलुप्त होते जा रहे हैं, क्योंकि एक कलाकार सिर्फ ढाक बजाकर अपने परिवार और अपना भरण पोषण नहीं कर पा रहे हैं | ऐसी स्थिति में ढाक बजाने वाले वर्ष घर दुर्गा पूजा का इंतजार करते हैं, क्योंकि इस समय उन्हें भी रोजगार के साथ अपने कला का प्रदर्शन करने का भी मौका मिल जाता है |
(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)