पश्चिम बंगाल में अभी तक ईडी और सीबीआई अधिकतर दक्षिण के जिलों तक ही सीमित थी. लेकिन धीरे-धीरे केंद्रीय जांच एजेंसियां उत्तर बंगाल की तरफ भी बढ़ रही है. आज कोलकाता हाई कोर्ट की ओर से राज्य सरकार को एक करारा झटका दिया गया है. समझा जाता है कि यह एक ऐसा झटका है जो उत्तर बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की राजनीति को काफी प्रभावित कर सकता है.
कोलकाता हाई कोर्ट ने राज्य सरकार पर 50 लाख का जुर्माना लगाया है. हाई कोर्ट के जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने सीआईडी को तगड़ी फटकार लगाई है. उन्होंने सीआईडी पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि मैं जानता हूं कि पैसे का गबन किसने किया. जो लोग साइकिल चलाकर गरीबों का पैसा खाते थे, वह अब कार चला रहे हैं. वह कोर्ट के साथ खेल खेल रहे हैं. सीआईडी राज्य सरकार के अधीन काम करने वाली एक जांच एजेंसी होती है.
अलीपुरद्वार महिला क्रेडिट यूनियन एसोसिएशन राजनीति के केंद्र में एक ऐसा जाना माना पात्र है,जिस पर भारी गबन का आरोप लगा था. यह मामला लगभग 3 साल पहले का है. अलीपुरद्वार महिला क्रेडिट यूनियन संगठन पर 50 करोड रुपए के गबन का आरोप लगा था. इसको लेकर विपक्षी पार्टियों ने राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा किया था. जब मामला तूल पकड़ता गया तो सरकार ने मामले की सीआईडी जांच का आदेश दे दिया. सीआईडी पिछले 3 साल से भ्रष्टाचार की जांच कर रही थी. लेकिन अभी तक इस मामले में सीआईडी ने कुछ भी हासिल नहीं किया.
शुक्रवार को केस की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश गंगोपाध्याय ने सीआईडी से पूछा कि इतने लंबे समय तक अपने जांच की. लेकिन कुछ हासिल क्यों नहीं हुआ? हाई कोर्ट ने सीआईडी की जांच से असंतोष जताते हुए मामला सीबीआई और ईडी के हाथों में सौंप दिया. कोर्ट में सीबीआई ने दावा किया कि अदालत के आदेश के बावजूद सीआईडी ने इस मामले में उन्हें कोई दस्तावेज नहीं सौपा है. इसके बाद जस्टिस गंगोपाध्याय ने आदेश दिया कि 18 सितंबर तक सभी दस्तावेज सीबीआई को सौंप दिए जाएं.
जैसे ही अदालत में मामले की सुनवाई शुरू हुई, सीआईडी ने जस्टिस गंगोपाध्याय के फैसले की समीक्षा की मांग की. राज्य जांच एजेंसी ने मामले की जांच उन्हें सौंपने का अनुरोध किया. लेकिन जस्टिस गंगोपाध्याय ने सीआईडी की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि अगर सीबीआई को 18 सितंबर तक सभी दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं तो वह गृह सचिव को तलब करेंगे.
जस्टिस गंगोपाध्याय ने सीआईडी को फटकार लगाते हुए कहा कि यह 50 करोड़ का भ्रष्टाचार है. यह पैसा कहां से आया, किनका पैसा है,कभी इस पर विचार किया गया है? उन्होंने कहा कि यह गरीबों का पैसा है. गांव के लोग सब्जियां बेचकर पैसे रखते थे. उन्हें धोखा दिया गया है. जस्टिस गंगोपाध्याय ने ईडी से कहा कि जो भी इस मामले में जुड़े लोग हैं, उन सभी को गिरफ्तार किया जाए. उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ की जाए. जितनी जल्दी हो सके मामले की जांच शुरू करें.
आपको बताते चलें कि पिछले साल अगस्त में जलपाईगुड़ी सर्किट बेंच ने इस मामले की सुनवाई की थी.इस सुनवाई में वादियो में से एक कल्पना दास ने आरोप लगाया कि सरकार ने अलीपुरद्वार महिला क्रेडिट यूनियन संगठन में 21163 रू का निवेश किया था. उनका दावा है कि इतने सारे निवेशकों ने कुल 50 करोड रुपए का निवेश किया. कंपनी ने दावा किया था कि यह पैसा बाजार में विभिन्न लोगों को ऋण के रूप में दिया जाएगा. लेकिन जब पैसा वापस पाने का समय आया तो कंपनी ही बंद हो गई.
3 साल तक मामले की जांच के बावजूद सीआईडी यह पता नहीं लगा सकी कि कर्ज के रूप में पैसा किसे दिया गया था. इसके बाद याचिकाकर्ता ने कोर्ट से शिकायत की कि अगर लोन दिया गया होता तो कर्ज लेने वालों का नाम भी बताया जाता. लेकिन 3 साल में सीआईडी को किसी का भी नाम नहीं मिला है. इसका मतलब यह है कि पैसा किसी को दिया ही नहीं गया है. बल्कि पैसे की तस्करी की गई है. जस्टिस गंगोपाध्याय ने माना कि इस वित्तीय घोटाले में बहुत बड़ा फर्जीवाड़ा किया गया है.