पश्चिम बंगाल में चुनाव के इतिहास के अध्ययन से पता चलता है कि यहां जब-जब भी चुनाव हुए, खून और रक्तपात की पटकथा लिखी गई. कांग्रेस, वाम मोर्चा समेत पश्चिम बंगाल में किसी भी पार्टी की सरकार रही हो, इतिहास गवाह है कि चुनाव के समय यहां खून बहा है. यही कारण है कि यहां निष्पक्ष, निर्भीक और शांतिपूर्ण मतदान कराना चुनाव आयोग के लिए हमेशा चुनौती भरा काम रहा है. चुनाव आयोग हमेशा कुछ ना कुछ विशेष कदम उठाता रहा है. हालांकि यह अलग बात है कि चुनाव आयोग के कडे इंतजाम के बावजूद चुनाव में हिंसा थमी नहीं है.
लेकिन इस बार चुनाव आयोग पश्चिम बंगाल चुनाव के खूनी इतिहास को बदलने के लिए पूरी तरह तैयार है. यही कारण है कि मुख्य चुनाव आयुक्त ने इस बार बहुत कड़े कदम उठाए हैं और संबंधित अधिकारियों को निष्पक्ष, शांतिपूर्ण और निर्भीक मतदान सुनिश्चित करने का दायित्व सौंपा है. 19 अप्रैल को पहले चरण का चुनाव कूचबिहार, जलपाईगुड़ी और अलीपुरद्वार संसदीय क्षेत्र में हो रहा है. यहां शांतिपूर्ण, निष्पक्ष और निर्भीक मतदान कराने के लिए चुनाव आयोग ने एक तरफ अवकाश प्राप्त आईपीएस अधिकारी अनिल कुमार शर्मा को विशेष पुलिस पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त किया है, तो दूसरी तरफ 100 से ज्यादा केंद्रीय बलों की कंपनियों को 15 अप्रैल से पहले तैनात करने का निर्देश दे दिया है.
इसके अलावा राज्य चुनाव आयोग की ओर से और क्या-क्या प्रबंध किए जा रहे हैं, यह भी जान लेना जरूरी है. इसके बाद आप निश्चित रूप से कहेंगे कि इस बार पश्चिम बंगाल में चुनाव पूरी तरह हिंसा मुक्त और शांतिपूर्ण होगी. यहां राजनीतिक दलों की ओर से आरोप लगते रहे हैं कि मतदान संपन्न होने के बाद EVM व वीवीपैट जैसी महत्वपूर्ण वस्तुओं को डीसी आरसी से मतदान केंद्र तक ले जाते समय उनके साथ छेड़छाड़ की जाती है. बीच सड़क पर कहीं वाहनों से EVM लूटने की कोशिश होती थी. इस बार राज्य चुनाव आयुक्त ने चुनाव के समय इस्तेमाल होने वाली सभी गाड़ियों में जीपीएस लगाने का फैसला किया है.
इससे यह पता चल जाएगा कि गाड़ियां सही रूट पर जा रही हैं अथवा नहीं. कहीं और तो नहीं पहुंच गई या किसी तरह की कोई छेड़छाड़ ना हो, इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा. इस नई तकनीक का उपयोग करने का फैसला इसलिए लिया गया है कि ताकि कोई भी राजनीतिक दल मतदान प्रक्रिया को लेकर चुनाव आयोग के खिलाफ निष्क्रियता की शिकायत ना कर सके. हाल ही में मुख्य चुनाव आयुक्त ने पश्चिम बंगाल समेत सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कानून व्यवस्था और चुनाव संबंधी तैयारियों की समीक्षा की थी.
मुख्य चुनाव आयुक्त के निर्देश के बाद केंद्र सरकार ने 15 अप्रैल से पहले 100 से ज्यादा केंद्रीय बलों की कंपनियों को पश्चिम बंगाल के चुनाव में तैनात करने का आदेश जारी कर दिया है. इनमें से 55 कंपनियां सीआरपीएफ की होगी. जबकि 45 कंपनियां बीएसएफ की होंगी. दूसरी तरफ अवकाश प्राप्त आईपीएस अधिकारी अनिल कुमार शर्मा जो विशेष पुलिस पर्यवेक्षक हैं, आज से जलपाईगुड़ी कूचबिहार और अलीपुरद्वार का दौरा कर रहे हैं. यह जानकारी राज्य के निर्वाचन अधिकारी अरिंदम नियोगी ने एक संवाददाता सम्मेलन में दी है.
आपको बता दें कि इन तीनों ही संसदीय सीटों पर कई संवेदनशील बूथ हैं, जहां चुनाव के समय भयानक गड़बड़ी की आशंका जताई जा रही है. उत्तर बंगाल की सभी आठ लोकसभा सीटों पर कुछ ऐसी ही स्थिति है. चुनाव आयोग के द्वारा अनेक संवेदनशील बूथों की पहचान की गई है. ताकि मतदान केदो पर शांतिपूर्ण मतदान हो सके, इसके लिए मुख्य चुनाव आयुक्त के द्वारा प्रचुर संख्या में केंद्रीय बलों की कंपनियां तैनात की जा रही हैं. अनिल कुमार शर्मा पहले चरण के इन लोक सभा केंद्र में कानून व्यवस्था तथा संवेदनशील मतदान केंद्र का जायजा लेने जा रहे हैं. वह विभिन्न जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों के साथ भी बैठक करेंगे.
आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल में कुल सात चरणों में चुनाव हो रहे हैं. 19 अप्रैल को पहले चरण का चुनाव होगा. दूसरे चरण का चुनाव 26 अप्रैल को होगा. तीसरे चरण का चुनाव 7 मई को होगा. चौथे चरण का चुनाव 13 मई को होगा. पांचवें चरण का चुनाव 20 मई को, छठे चरण का चुनाव 25 मई को और सातवें चरण का चुनाव 1 जून को संपन्न होगा.
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