पिछले 1 साल से उत्तर बंगाल, सिक्किम, पूर्वोत्तर भारत की मुख्य सड़क NH-10, जिसे सिक्किम की जीवन रेखा माना जाता है, डिस्टर्ब चल रहा है. पिछले 1 साल में यह मुख्य सड़क कई बार बंद हुई और कई बार खुली. कभी छोटे वाहनों के लिए सड़क को खोला गया तो कभी निजी वाहनों के लिए प्रवेश द्वार के रूप में देखा गया. लेकिन व्यावसायिक तौर पर NH-10 कभी भी सिक्किम, दार्जिलिंग, सिलीगुड़ी अथवा पूर्वोत्तर भारत के लिए लाभकर नहीं रहा. सबसे ज्यादा सिक्किम का नुकसान करने वाला NH-10 एक बार फिर से सिक्किम और दार्जिलिंग का आर्थिक और सामाजिक संकट बढ़ा रहा है.
बरसात के बाद और खासकर अक्टूबर महीने में सिक्किम और दार्जिलिंग घूमने के लिए काफी सारे पर्यटक आते हैं. जो पर्यटक दार्जिलिंग घूमने के लिए आते हैं, वह सिक्किम जाना जरूर पसंद करते हैं. सिलीगुड़ी से ही पर्यटक पहाड़ी क्षेत्रों में जाते हैं. NH-10 बंद होने से सिक्किम जाने के लिए पर्यटकों को दार्जिलिंग होकर जाना पड़ता है. यह यात्रा काफी थकाऊ और परेशानियों से भरी हुई है. इसमें समय भी ज्यादा लगता है और खर्चा भी बढ़ जाता है. कोई सीधा मार्ग नहीं होने से सिक्किम को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है. कुछ समय पहले सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने कहा भी था कि NH-10 बंद हो जाने से सिक्किम को रोजाना 100 करोड रुपए का नुकसान हो रहा है.
NH-10 बंद होने का साइड इफेक्ट दार्जिलिंग पर भी देखा जा रहा है. सिक्किम जाने वाले वाहनों को दार्जिलिंग से होकर जाना पड़ता है. ऐसे में दार्जिलिंग पर यातायात का दबाव बढ़ गया है. जाम और कई तरह की परेशानियों का सामना दार्जिलिंग के लोगों को करना पड़ रहा है. जो पर्यटक दार्जिलिंग घूमने आए हैं, उन्हें भी अन्य प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. सूत्रों ने बताया कि जिस तरह से NH-10 की माली हालत बन चुकी है, उसके बाद अनेक पर्यटक अब सिक्किम अथवा दार्जिलिंग नहीं जाकर नेपाल और दक्षिण भूटान की ओर जाना शुरू कर चुके हैं, जो कि सिक्किम और दार्जिलिंग के लिए एक बड़ी चिंता का कारण है. ऐसे में NH-10 की स्थिति में सुधार, समस्या के स्थाई समाधान और वैकल्पिक निदान की मांग जोर-शोर से उठने लगी है.
कई जानकार लोग बताते हैं कि NH-10 अब कभी भी अपनी स्वाभाविक स्थिति में नहीं लौट सकता है. 4 अक्टूबर 2023 को इस सड़क की मजबूती पर कुदरत की नजर लग गई, जब सिक्किम की लहोनक झील फटी थी और अचानक आई बाढ़ से पहाड़ से लेकर समतल तक तीस्ता नदी के किनारे के क्षेत्र में व्यापक तबाही देखी गई थी. आपको याद होगा कि इसमें घाटी में छह पुल समेत कुल 16 पुल बह गए थे और जगह-जगह NH-10 बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था. उसके बाद से ही इस राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 10 की मुसीबत शुरू हो गई.
29 मई 2024 को एक बार फिर से चक्रवात रेमल के चलते उत्तरी सिक्किम में अभूतपूर्व भारी वर्षा हुई थी, जिसके चलते बाढ और भूस्खलन का शिकार लोगों को होना पड़ा था. इससे उत्तरी सिक्किम में भारी तबाही आई. इसके बाद जब-जब यहां भारी वर्षा और भूस्खलन हुआ, NH10 को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी. 14 जुलाई 2024 को भी यहां मूसलाधार बारिश हुई थी, जिसके चलते तीस्ता नदी में तबाही आ गई थी. उस समय भी NH-10 को भारी तबाही हुई थी. इसके अलावा कई घर भी तीस्ता नदी में समा गए थे. NH10 की माली हालत को देखते हुए सिक्किम सरकार ने केंद्र से फरियाद की. उसके बाद केंद्र ने इस महत्वपूर्ण सड़क मार्ग को एन एच ए आई के अंतर्गत लेने का फैसला कर लिया है.
दरअसल NH-10 का रखरखाव पश्चिम बंगाल पीडब्ल्यूडी और केंद्र सरकार की एजेंसी एन एच ए आई करती है. प्राकृतिक आपदा का शिकार यह महत्वपूर्ण सड़क मार्ग सेवक से लेकर पश्चिम बंगाल की सीमा तक ज्यादा होता है. इसके जिम्मेदार जानकार पीडब्ल्यूडी के कमजोर प्रबंधन को मानते हैं. सिक्किम सरकार और कई संगठनों से यह आवाज बुलंद की जाती रही है कि अगर संपूर्ण सड़क की देखभाल NHAI के सुपुर्द कर दिया जाए तो स्थिति में काफी सुधार होगा और यह स्थाई रूप से फिर से स्वाभाविक स्थिति में लौट सकती है.
NH-10 की खराब अवस्था को देखते हुए कई लोग यह मानते हैं कि अब चाहे जिस तरह से पुनर्निर्माण का कार्य किया जाए, यह महत्वपूर्ण मार्ग पहले जैसा नहीं हो सकता. इसलिए कुछ लोग वैकल्पिक सड़क निर्माण की भी मांग कर रहे हैं. हालांकि यह भी सच है कि NH-10 का कोई विकल्प नहीं हो सकता. बागराकोट होकर अंग्रेजी युग के सर्वे वाले वैकल्पिक मार्ग की जो बात है, वह सैन्य यातायात के लिए बेहतर हो सकता है. लेकिन आम यातायात के लिए यह नहीं है. अगर NH-10 को सही गति और दिशा में लाने की कोई कोशिश कर सकता है तो वह केंद्र सरकार ही है. आलोचक भी यह बात मानते हैं. इसलिए अब सभी की निगाहें केंद्र सरकार के भावी कदमों पर उठ गई है.बहरहाल देखना होगा कि उत्तर बंगाल और सिक्किम के लिए मुसीबत बना NH-10 इन क्षेत्रों का कब भाग्य उदय करता है!
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