डिजिटल इंडिया के इस युग में भी जहां विज्ञान ने इतना विकास कर लिया है कि अब मंगल ग्रह तक पहुंचना संभव हो चुका है, जिस युग में अंतरिक्ष, विज्ञान, विकास, प्रौद्योगिकी इत्यादि की बात की जा रही हो, उस युग में इसी देश में ग्रामीण इलाकों में डायन और काला जादू का वर्चस्व भी देखा जा रहा है. खासकर झारखंड, छत्तीसगढ़, असम और पश्चिम बंगाल के राज्यों में डायन और काला जादू की घटनाओं का भ्रम लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है.
पश्चिम बंगाल में आए दिन डायन अथवा काला जादू के भ्रम में लोगों के द्वारा कुछ लोगों को डायन अथवा काला जादूगर बता कर उन्हें जिंदा जलाने अथवा पीट-पीट कर हत्या करने जैसी घटनाएं देखी सुनी जाती हैं. ऐसे मामलों में पुलिस भी ज्यादा सक्रियता नहीं दिखाती है. ऐसी घटनाएं खासकर आदिवासी इलाकों में अत्यधिक होती है, जहां अशिक्षा और सामाजिक पिछड़ेपन भी इसका जिम्मेदार है. ऐसे इलाकों में डायन और काला जादूगर शब्द काफी चर्चित है. दक्षिण दिनाजपुर जिले में कुछ समय पहले काला जादूगर के संदेह में एक व्यक्ति की कुल्हाड़ी से काटकर हत्या कर दी गयी थी. हत्यारे को जादूगर की हत्या का कोई पछतावा नहीं था. वह जब उसकी हत्या करके थाने में पहुंचा तो खुद को ऐसे अंदाज में पेश कर रहा था जैसे उसने किसी शेर का शिकार किया हो.
इसी साल पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में भी इसी तरह की घटना घटी थी. जहां एक गांव में डायन के संदेह में महिला और पुरुष की बलि चढ़ा दी गई. दोनों पति-पत्नी थे. उनके नाम पांडु और पार्वती थे. यह घटना 26 मार्च 2023 को घटी थी. ग्रामीणों ने स्त्री पुरुष दोनों की पीट पीट कर हत्या कर दी थी. हालांकि पुलिस ने औपचारिक कार्यवाही करते हुए कई लोगों की गिरफ्तारी की थी. परंतु ग्रामीणों को इस बात का कोई अफसोस नहीं था कि उन्होंने दो निर्दोष लोगों की जान ली है.
वर्तमान में असम राज्य में एक दिल दहला देने वाली घटना घटी है. इसमें डायन के संदेह में महिला को गांव वालों ने जिंदा ही जला दिया. यह घटना सोनितपुर जिले की है. महिला कुछ लोगों से अपनी जान की भीख मांग रही थी. लेकिन उसकी याचना पर किसी ने भी रहम नहीं दिखाई और उसे मौत के घाट उतार दिया. यह घटना तेजपुर थाने में हुई है. हालांकि पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 6 लोगों को गिरफ्तार किया है. पर उन्हें क्या सजा होगी और कितनी सजा होगी, यह तो अलग विषय है.पर इसके जरिए समाज में एक नकारात्मक संदेश जा रहा है. हम आज भी सदियों पुरानी सभ्यता में जी रहे हैं, यह सवाल आज ज्वलंत हो चुका है.
सबसे ज्यादा आश्चर्य तो तब होता है, जब ऐसे मामलों में अपराध करने वाला पुलिस के सामने भी सीना ठोकर खड़ा रहता है और उसे अपने अपराध का कोई प्रायश्चित नहीं होता है. उसे लगता है कि उसने जो भी किया,वह उचित था.आज हमारा समाज काफी आगे जा चुका है. इस समाज में दकियानूसी, अंधविश्वास और समाज को तोड़ने वाली परंपराओं का कोई स्थान नहीं है. विज्ञान के इस युग में जब डायन और काला जादूगर जैसे शब्दों का प्रयोग होने लगे, तो कहीं ना कहीं आत्म चिंतन की जरूरत महसूस होती है. ऐसी घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए एक तरफ जहां पिछडे समाज में शिक्षा, विकास और सामाजिक तंत्र को विकसित करने की जरूरत है तो दूसरी तरफ पुलिस और प्रशासन को भी ऐसी घटनाओं पर विराम लगाने का सशक्त कदम उठाए जाने की जरूरत है.