मालीगांव: पूर्वोत्तर सीमारेलवे (पू. सी. रेलवे) के अधीन यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे (डीएचआर) पूरे वर्ष भर दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करता है। इस अद्वितीय चमत्कार को बढ़ावा देने और संरक्षित करने हेतु एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, पू. सी. रेलवे ने सौ साल पुराने विंटेज स्टीम इंजन को पुनर्बहाल किया है, जिसे ‘बेबी सेवक’ के नाम से जाना जाता है और इसे डीएचआर के कई आकर्षणों में शामिल किया है। इस उल्लेखनीय जीर्णोद्धार प्रयास का अनावरण 07 दिसंबर, 2024 को घूम विंटर फेस्टिवल के दौरान किया गया, जहाँ स्टीम इंजन को आधिकारिक तौर पर पू. सी. रेलवे के महाप्रबंधक श्री चेतन कुमार श्रीवास्तव ने हरी झंडी दिखाई। ‘बेबी सेवक’ को अब घूम में गर्व के साथ प्रदर्शित किया गया है, जो पर्यटकों को रेलवे की समृद्ध विरासत से एक मजबूतलगाव प्रदान करता है।
स्टीम इंजन ‘बेबी सेवक’ की शुरुआत एक सौ साल से भी पहले जर्मनी के ओरेनस्टीन एंड कोप्पेल के एक कंट्रेक्टर के लोकोमोटिव इंजन के रूप में हुई थी।ऐसा माना जाता है कि डीएचआर की तीस्ता घाटी और किशनगंज शाखाओं के निर्माण में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है, जिसका नाम तीस्ता घाटी लाइन पर स्थित सेवक स्टेशन से पड़ा।दशकों की सेवा के बाद, इंजन 1970 के दशक में सेवा से बाहर हो गया और 1990 के दशक के अंत में सिलीगुड़ी में प्रदर्शित किया गया था। वर्ष 2000 सेयह घूम स्टेशन पर एक बाहरी प्रदर्शनी थी, जहाँ यह धीरे-धीरे जीर्ण-शीर्ण हो गई। इसके ऐतिहासिक महत्व को पहचानते हुए, स्टीम इंजन को तिनधरिया कारखाना लाया गया, जहाँ पू. सी. रेलवे के अपने कुशल कर्मचारियों द्वारा काफी बारीकी से जीर्णोद्धार किया, जिससे इसके मूल आकर्षण को संरक्षित करते हुए इसे पुनर्जीवित किया गया।
‘बेबी सेवक’ स्टीम इंजन की बहाली डीएचआर की विरासत के संरक्षण के क्षेत्र में एक माइलस्टोन है। यह प्रयास न केवल इतिहास के एक मूर्त टुकड़े को संरक्षित करता है, बल्कि अतीत के इंजीनियरिंग चमत्कारों का उत्सव मनाने के लिए एक केंद्र बिंदु के रूप में भी कार्य करता है। घूम में इसका प्रदर्शन पर्यटकों के अनुभव को समृद्ध करता है, जिससे दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे की अनूठी विरासत की सराहना करने का अवसर मिलता है। डीएचआर के निरंतर संरक्षण और प्रोत्साहन को सुनिश्चित करने के लिए, पू. सी. रेलवे सक्रिय रूप से विभिन्न स्टेकधारकों, जिनमें टूर ऑपरेटर, सांस्कृतिक समूह और स्थानीय आबादी शामिल हैं, के साथ जुड़ता है। ये सहयोगी प्रयास इस क्षेत्र के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक मूल्य को बढ़ाते हुए विरासत संरक्षण के महत्व पर जोर देते हैं।
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