सिलीगुड़ी: यदि कोई मरा हुआ व्यक्ति लोगों की भीड़ में आकर खड़ा हो जाए तो क्या होगा ? उसे दौरान लोगों के पसीने छूट जाएंगे, पेंट गीली हो जाएगी और रोंगटे खड़े हो जाएंगे और भकदड़ मच जाएगी, लेकिन यदि कोई जिंदा व्यक्ति वोट देने मतदान केंद्र पहुंचे और मतदाता सूची में उसे मृत घोषित कर दिया जाए और वह मतदान ना कर पाए तब क्या होगा ? क्या उस सूची को देखते हुए जिंदा खड़े व्यक्ति को मृत घोषित कर दिया जाएगा, उसे भूत मान लिया जाएगा, कुछ इसी तरह का कमाल मतदाता सूचि ने किया जिसके कारण जिंदा व्यक्ति अपने मताधिकार से वंचित रह गए |
देखा जाए तो हमारा भारत देश एक लोकतांत्रिक देश है और भारत का संविधान ही भारतीय नागरिक को मताधिकार देता है, जिसमें भारतीय नागरिक अपने मताधिकार का प्रयोग कर अपने प्रतिनिधि को चुनता है | लोकसभा चुनाव को लेकर पहले चरण का मतदान हो चुका है, लेकिन मतदान के दौरान कुछ ऐसी घटना घटित हुई जो काफी आश्चर्यचकित करने वाली थी | बता दे कि, सिलीगुड़ी नगर निगम के 34 नंबर वार्ड के वाल्मीकि विद्यापीठ स्कूल के 336 नंबर बूथ पर कल मतदान की प्रक्रिया चल रही थी | उस दौरान गोविंद राय नामक व्यक्ति जब मतदान करने पहुंचे, तो उनका नाम मतदाता सूची में नहीं था | यह देखकर उनके पांव तले जमीन खिसक गई, क्योंकि मतदाता सूची से उन लोगों का नाम काट दिया जाता है जो इस दुनिया को अलविदा कर चुके है, लेकिन गोविंद राय तो जिंदा है और उनका नाम मतदाता सूची में नहीं था | गोविंद राय के परिवार में कुल 14 वोटर है, जिन्होंने मतदान किया, बस गोविंद राय ही मतदान से वंचित रह गए | प्रशासन की लापरवाही से गोविंद राय काफी निराश हुए, काफी देर तक लाइन में खड़े होने के बाद जब उनकी पारी आई तो, उन्हें बताया गया वह मृत है | उन्होंने सवाल भी उठाया कि, मैं कैसे मर सकता हूं मैं तो अपने पांव पर चलकर यहां मतदान करने आया हूं, वही इस मामले को लेकर स्थानीय वार्ड पार्षद विमान दफादार ने कहा कि, यह प्रशासन की घोर लापरवाही का नतीजा है | बीएलआरओ ने सही तरीके से काम नहीं किया, इसी वजह से यह समस्या हुई | प्रशासन को इस मामले में और सजक होना होगा , उन्होंने आश्वासन देते हुए कहा गोविंद राय का नाम वोटर लिस्ट में शामिल करने की व्यवस्था की जाएगी | वहीं इस तरह की घटना अलीपुरद्वार क्षेत्र में भी घटित हुई, जहां सुनील साहा जो फालाकाटा ब्लॉक के जेटेश्वर क्षेत्र के निवासी है | वे भी जब मतदान करने बूथ पर पहुंचे तो, मतदान सूची में उनका नाम नहीं था | जब उन्होंने पूछा तो उन्हें कहा गया की, मृतक का नाम सूची से हटा दिया जाता है | सुनील साहा को भी बिना मतदान किए मायूस होकर घर लौटना पड़ा | इस तरह की घटना ने प्रशासन की लापरवाही को उजागर कर दिया है | जहां लोग मतदान को लेकर काफी उत्साहित रहते हैं क्योंकि मतदान के जरिए ही वह अपने प्रतिनिधि को चुनते हैं लेकिन जब वह उत्सुकता से मतदान केंद्र में मतदान करने पहुंचते हैं जब उनका नाम मतदान सूची में नहीं रहता है तो वे मायूस और निराश हो जाते हैं |
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