शांता के परिवार में पति विकास के अलावा उसका 10 साल का एक बेटा भी था, जिसे पति पत्नी काफी चाहते थे. विकास कोई छोटा-मोटा काम करता था. उसके घर से जाने के बाद शांता से मिलने प्रवीण आ जाती थी. प्रवीण को देखते ही शांता चहकने लगती थी. दोनों सहेलियां थीं. आपस में सुख-दुख शेयर करती थी. पिछले कई सालों से शांता और प्रवीण की दोस्ती के चर्चे हुआ करते थे. ऐसा कोई भी मौका नहीं आया, जब दोनों सहेलियों में किसी बात को लेकर हल्का भी मनमुटाव हुआ हो.
शांता और प्रवीण अक्सर कमरे में बंद होकर ही बातें करते थे. दोनों देर तक साथ-साथ समय बिताया करते थे. दोनों के बीच क्या संबंध थे, कम से कम पड़ोसियों को यह पता नहीं था. वह तो सिर्फ इतना ही जानते थे कि दोनों पक्की सहेलियां हैं. लेकिन एक दिन इस हंसते खेलते परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा. शांता का 10 साल का बेटा राजू का खून हो गया. पुलिस मौके पर पहुंची. उसका शव घर के बाहर एक बैग में पड़ा था. इन्वेस्टिगेशन के क्रम में पता चला कि राजू के सिर पर गहरे जख्म थे. किसी तेज धार हथियार से उसके हाथ भी काटे गए थे. राजू का खून किसने किया, पुलिस यह पता लगाने में जुट गई. कई दिन बीत गए.
शांता और विकास का रो-रो कर बुरा हाल था. जब पति पत्नी से कोई सहयोग नहीं मिला, तब पुलिस ने मासूम के खूनी का पता लगाने के लिए सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल टावर लोकेशन और फोरेंसिक जांच का सहारा लिया. कड़ियां मिलाते हुए पुलिस आखिरकार हत्यारे का पता लगाने में सफल रही. इसके बाद इस घटना की पृष्ठभूमि में जो कहानी सामने आई, उसने पूरे बंगाल को हैरान कर दिया है. क्या एक मां ऐसी भी होती है, जो अपने शारीरिक सुख के लिए अपने ही बेटे को मौत के घाट उतार देती है?
हुगली पुलिस, पड़ोसियों तथा अन्य सूत्रों पर आधारित इस घटनाक्रम के पीछे एक ऐसी औरत की तस्वीर सामने आती है, जिसके लिए उसका शारीरिक सुख ही महत्वपूर्ण था. कहते हैं कि एक मां के लिए उसकी औलाद ही सबसे बड़ा सुख होता है. लेकिन शांता के लिए उसकी औलाद नहीं बल्कि उसका लेस्बियन सुख ही सर्वोपरि था. शांता नहीं चाहती थी कि उसका खुद पति भी उसके इस सुख से वंचित करे. यही कारण था कि शांता का पति सब कुछ जानते समझते हुए भी वह शांता को रोक नहीं पा रहा था. ना ही वह यह बात लोगों को बता पा रहा था. क्योंकि इसमें उसकी ही बदनामी थी. जब लोग जानेंगे तो क्या कहेंगे?
शांता का अपनी सहेली परवीन से लेस्बियन संबंध था. दोनों ही लेस्बियन थी. जो सुख शांता का पति शांता को नहीं दे पाता था, वह सुख उसे प्रवीण से मिल जाता था. यही कारण था कि शांता परवीन की दीवानी थी. और जैसे ही परवीन उसके घर आती थी, शांता ऐसे मचल उठती, जैसे कोई बच्चा, जब चॉकलेट को देखकर मचल उठता है. शांता का प्रवीण से यह संबंध उसकी शादी से पहले से ही चला आ रहा था. दोनों आपस में शादी भी करना चाहती थीं. लेकिन यह मुमकिन नहीं था.
खैर, विकास से शांता की शादी तो हो गई. लेकिन वह परवीन के प्यार को भूल नहीं सकी. एक दिन विकास को भी पता चल गया कि प्रवीण के साथ शांता का लेस्बियन संबंध है. उसने शांता को काफी समझाया कि वह प्रवीण से अलग रहे, अन्यथा एक दिन पास पड़ोसियों को पता चला तो उनका जीना हराम हो जाएगा. लेकिन शांता तो परवीन की दीवानी हो चुकी थी. वह उसके इश्क में अंधी हो चुकी थी. विकास की कोई बात उसके भेजे में नहीं आयी. वक्त गुजरता रहा. इसके साथ ही शांता और परवीन का आपस में मिलना जुलना और शारीरिक सुख प्राप्त करना जारी रहा.
एक दिन की बात है. उस दिन घर में शांता और प्रवीण आपस में दिन दुनिया को भुलाकर एक दूसरे में खोयी थी, तभी शांता का 10 वर्षीय बेटा राजू वहां आ गया. उसने दोनों को इस अवस्था में देखा तो उसकी भी चीख निकल गई. यह देखकर शांता और परवीन के प्यार का भूत भी उतर गया.कहीं राजू यह बात घर से बाहर पड़ोसियों को ना बता दे, यह सोच कर प्रवीण के दिमाग में एक खतरनाक ख्याल आया. उसने शांता को समझाया कि अगर राजू ने दोनों के संबंध की यह कहानी लोगों को बता दिया तो दोनों समाज में मुंह दिखाने लायक नहीं रह जाएंगी. प्रवीण ने कहा कि राजू को मुंह बंद करना ही होगा और उसने शांता को इसके लिए तैयार भी कर लिया.
हालांकि शांता नहीं चाहती थी कि राजू को ठिकाने लगाया जाए. परंतु उसे अपनी बदनामी भी मंजूर नहीं था. शांता ने सोचा कि किसी न किसी दिन राजू यह बात पड़ोसियों को बता देगा तो उसके बाद दोनों का आपस में मिलना जुलना रुक जाएगा. इसलिए परवीन का आईडिया उसे अच्छा लगा. फिर उसने अपने दिल पर पत्थर रखकर परवीन के साथ मिलकर राजू का खून कर दिया. पुलिस ने बताया कि परवीन एक अपराधी चरित्र की महिला है. खून जैसी वारदातों को अंजाम देना उसके लिए बाएं हाथ का खेल है. शांता की सहमति के बाद प्रवीण ने राजू का सर पटक पटक कर तथा उसके हाथ काट कर उसकी हत्या कर दी और उसके लाश को बैग में भरकर ठिकाने लगाने के लिए दोनों घर से जा ही रहे थे कि किसी आहट की आशंका से राजू की लाश को पिछवाड़े में रखकर वहां से चले गए. यही से हुगली पुलिस ने मासूम की लाश को बरामद किया.
पुलिस ने शांता के साथ-साथ प्रवीण को भी गिरफ्तार कर जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है. दोनों अपने गुनाहों का प्रायश्चित कर रही हैं.
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