October 18, 2024
Sevoke Road, Siliguri
उत्तर बंगाल घटना सिलीगुड़ी

कैसे हुई थी रंगापानी में कंचनजंगा ट्रेन दुर्घटना?

सीआरसी की जांच रिपोर्ट आ चुकी है. सीआरसी ने माना है कि अगर भविष्य में ट्रेन दुर्घटना को रोकना है तो रेलवे सुरक्षा कवच को लागू करना जरूरी है. आपको बता दें कि कवच को रेलवे द्वारा दुनिया की सबसे सस्ती स्वचालित ट्रेन टक्कर सुरक्षा प्रणाली के रूप में प्रसारित किया जा रहा है. शून्य दुर्घटना के लक्ष्य को प्राप्त करने में रेलवे की मदद के लिए स्वचालित ट्रेन सुरक्षा एटीपी प्रणाली का निर्माण किया गया.

कवच को इस तरह से बनाया गया है कि यह उस स्थिति में एक ट्रेन को ऑटोमेटिक रूप से रोक देगा, जब उसे निश्चित दूरी के भीतर इस लाइन पर दूसरी ट्रेन के होने की जानकारी मिलेगी. इस डिजिटल प्रणाली के कारण मानव त्रुटि जैसे कि लाल सिग्नल को नजरअंदाज करने पर ट्रेन अपने आप रुक जाएगी.

सिलीगुड़ी के नजदीक रंगापानी रेलवे स्टेशन के आसपास पिछले महीने 17 जून को कंचनजंगा ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हुई थी. यह दुर्घटना एक मालगाड़ी के पीछे से टक्कर मारने के कारण हुई थी. सियालदह जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस के तीन डिब्बे पटरी से उतर गए थे. दुर्घटना में मालगाड़ी के लोको पायलट समेत 10 लोगों की मौत हो गई थी. तब से कंचनजंगा ट्रेन दुर्घटना को लेकर कई तरह के सवाल उठाए जा रहे थे.

अब कंचनजंगा ट्रेन दुर्घटना की जांच रिपोर्ट आ चुकी है. जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि कंचनजंगा एक्सप्रेस ने 15 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम गति से चलने तथा प्रत्येक खराब सिग्नल पर 1 मिनट रुकने के नियम का पालन किया था. जबकि दुर्घटना में शामिल मालगाड़ी ने इस नियम की कोई परवाह नहीं की थी. इतना ही नहीं उस दिन बाकी 6 रेलगाड़ियों ने भी इस नियम का कोई पालन नहीं किया था.

ट्रेन दुर्घटना के बाद इस पर राजनीति भी खूब हुई. विपक्ष केंद्र सरकार पर काफी हमलावर दिखा. अलग-अलग एजेंसियों के द्वारा ट्रेन दुर्घटना के अलग-अलग कारण बताए गए. अंतत: रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने इस घटना की जांच करने का फैसला किया. रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने इस दुर्घटना की जांच संबंधी अपनी रिपोर्ट दे दी है. इसके साथ ही रिपोर्ट में स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली कवच को प्राथमिकता पर लागू करने की भी सिफारिश की गई है.

ट्रेन दुर्घटना की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि संबंधित अधिकारियों की तरफ से माल गाड़ी के लोको पायलट को सिग्नल पार करने के लिए गलत पेपर अथॉरिटी अथवा टी/ए 912 जारी किया गया था. पेपर अथॉरिटी में उस स्पीड का उल्लेख नहीं किया जो मालगाड़ी ड्राइवर को सिग्नल पार करते समय ध्यान में रखनी थी.

सीआरएस ने अपनी जांच में यह भी पाया है कि कंचनजंगा एक्सप्रेस और मालगाड़ी के अलावा सिग्नल खराब होने से लेकर उस दिन दुर्घटना होने तक पांच रेलगाड़ियां उस क्षेत्र में दाखिल हुई. समान प्राधिकार जारी करने के बावजूद लोको पायलट की तरफ से अलग-अलग गति पैटर्न का पालन किया गया. सीआरएस की ओर से दावा किया गया है कि केवल कंचनजंगा एक्सप्रेस ने ही 15 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम गति से चलते हुए प्रत्येक खराब सिग्नल पर 1 मिनट रुकने का नियम पालन किया था. जबकि दुर्घटना में शामिल मालगाड़ी और बाकी ट्रेनों ने इस नियम का पालन नहीं किया.

इससे पता चलता है कि उन्हें TA 912 जारी किए जाने के समय की जाने वाली कार्रवाई स्पष्ट नहीं थी. कई लोको पायलट ने 15 किलोमीटर प्रति घंटे के नियम का पालन किया है. अधिकतर लोको पायलट ने इस नियम का पालन नहीं किया. एजेंसी ने सबसे पहले बताया था कि TA 912 में गति सीमा का उल्लेख नहीं था. जिसे CRS ने भी अपनी रिपोर्ट में दुर्घटना का एक प्रमुख कारण बताया है.

सीआरएस ने दुर्घटना को ट्रेन संचालन में त्रुटि श्रेणी में वर्गीकृत करते हुए कहा है कि स्वचालित सिग्नल प्रणाली वाले क्षेत्रों में ट्रेन परिचालन के बारे में लोको पायलट और स्टेशन मास्टर को पर्याप्त परामर्श नहीं दिया गया. इससे नियमों को लेकर गलतफहमी पैदा हुई. सीआरएस की जांच रिपोर्ट से पता चलता है कि अगर ट्रेन दुर्घटना को रोकना है तो सर्वप्रथम कवच को रेलवे सर्वोच्च प्राथमिकता दे. पिछले दिनों कवच सिस्टम को लेकर तृणमूल कांग्रेस की एक नेता ने भी रेलवे और केंद्र सरकार पर हमला बोला था.

उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले समय में भारतीय रेलवे देशभर में कवच सिस्टम को लागू करेगी इससे रेलवे में जान माल को भारी नुकसान से बचाया जा सकता है इसके साथ ही रेलवे की विश्व सुनीता भी विश्वसनीयता भी बनी रहेगी |

(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)

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