September 16, 2024
Sevoke Road, Siliguri
उत्तर बंगाल राजनीति

नहीं होने दूंगी बंगाल का एक और बटवारा-ममता बनर्जी!

पिछले कई दिनों से उत्तर बंगाल बंटवारे को लेकर चल रही चर्चा के बीच आज मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि चाहे केंद्र कितना ही जोर लगा ले, भाजपा के मंसूबे पूरे नहीं होंगे. बंगाल का एक और बटवारा मैं बर्दाश्त नहीं करूंगी. इसके लिए मुझे जो भी कदम उठाना पड़ेगा, वह उठाऊंगी.

पिछले कुछ दिनों से उत्तर बंगाल को नॉर्थ ईस्ट काउंसिल में शामिल करने की मांग हो रही है. चर्चा यह भी है कि बंगाल के दो जिलों और बिहार के कुछ जिलों को मिलाकर एक केंद्र शासित प्रदेश तथा उत्तर बंगाल को पूर्वोत्तर का हिस्सा घोषित किया जाए. सुकांत मजूमदार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर इस मांग को उठाया था. इसका उत्तर बंगाल की राजनीति पर गहरा असर पड़ा है. आए दिन कोई ना कोई नेता इस मुद्दे को हवा देते रहते हैं. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश स्तर के कई नेताओं ने भी इस पर मिली जुली प्रतिक्रिया दी है. तृणमूल कांग्रेस पहले ही भाजपा के बयान से असहमति जता चुकी है.

आज मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य विधानसभा में कहा कि बंगाल को विभाजित करने का कोई भी साहस नहीं कर सकता. मुख्यमंत्री दिल्ली में हुई नीति आयोग की बैठक में भारत भूटान नदी आयोग के गठन की मांग कर चुकी है. मुख्यमंत्री ने बंगाल में भूमि कटाव नियंत्रण और बाढ़ की रोकथाम से संबंधित एक प्रस्ताव पर यह बात कही थी. तीस्ता जल वितरण समझौते को लेकर पिछले दिनों दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के साथ एक बैठक हो चुकी है. जिसको लेकर मुख्यमंत्री नाराज हैं. मुख्यमंत्री का कहना है कि इस बैठक में बंगाल को भी आमंत्रित करना चाहिए.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का तर्क कुछ हद तक उचित भी है. भूटान से पानी छोड़ा जाता है. वह पहले बंगाल आता है और फिर बांग्लादेश को जाता है.भूटान से लगभग 25-30 छोटी बड़ी नदियां भारत से होकर गुजरती है. बरसात के दिनों में तीस्ता समेत सहायक नदियों में बाढ़ की स्थिति बन जाती है. इससे पश्चिम बंगाल को भारी नुकसान पहुंचता है. जान माल की भारी हानि पहुंचती है. यही कारण है कि ममता बनर्जी भारत भूटान नदी आयोग के गठन की वकालत कर रही है. इसी तरह से झारखंड और बिहार में जब बाढ आती है तो इसका असर बंगाल की नदियों पर भी पड़ता है. कई तटबंध टूट जाते हैं.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा भी है कि झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश में बाढ़ आने से मालदा में हर साल कटाव होता है. 2005 से अब तक 3373 हेक्टर भूमि नदी में समा चुकी है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का गुस्सा होना स्वाभाविक भी है. क्योंकि केंद्र सरकार ने तीस्ता नदी के समाधान के लिए सिक्किम को तो राशि आवंटित की है परंतु उत्तर बंगाल को कुछ नहीं दिया. जबकि उत्तर बंगाल भूटान और पड़ोसी राज्यों बिहार,झारखंड और उत्तर प्रदेश की नदियों में बाढ़ आने से सबसे पहले प्रभावित होता है. वहीं तीस्ता जल वितरण को लेकर ममता बनर्जी ज्योति बसु का हवाला दे रही थी, जब 1996 में बांग्लादेश के साथ समझौते के दौरान केंद्र ने ज्योति बसु से सलाह ली थी.

मुख्यमंत्री को लगता है कि भारत बांग्लादेश तीस्ता जल वितरण के मामले में उनसे राय ना लिया जाना एक तरह से उनका अपमान है. आपको बताते चलें कि विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस नीति आयोग की बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का माइक बंद करने के विरोध में एक निंदा प्रस्ताव लाना चाहती थी लेकिन इसके विरोध में भाजपा विधायकों ने वाक आउट किया. इसके बाद वे विधानसभा के बाहर प्रदर्शन करने लगे.

भाजपा का कहना है कि ममता बनर्जी नीति आयोग की बैठक से बाहर आई और झूठ बोला. उन्हें बोलने के लिए 5 मिनट का समय दिया गया था. सिलीगुड़ी के विधायक शंकर घोष ने कहा कि नीति आयोग की बैठक से बाहर आने के बाद ममता बनर्जी ने पत्रकारों से जो कहा था, उस पर विधानसभा में आधिकारिक रूप से चर्चा नहीं की जा सकती है. शंकर घोष ने कहा कि मुख्यमंत्री झूठ बोलने में माहिर है. उन्होंने इसे एक नाटक करार दिया.

(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)

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