सिलीगुड़ी शहर अपनी हरियाली और प्राकृतिक सुंदरता को खोता जा रहा है. किसी समय सिलीगुड़ी शहर अपनी हरियाली और नैसर्गिक सुंदरता के लिए जाना जाता था. जब यहां हरियाली थी, तो वायु स्वच्छता से लेकर पर्यावरण के मामले में भी यह शहर काफी समृद्ध माना जाता था. लेकिन धीरे-धीरे शहर की आबादी बढ़ती गई और इसके साथ ही हरियाली और प्राकृतिक सुंदरता भी नष्ट होती चली गई.
जनसंख्या के विस्तार के साथ ही शहर का विकास जरूरी होता है. शहर के विकास में कई अच्छी चीजें नष्ट हो जाती हैं, तो कई चीजों को नष्ट करना भी पड़ता है. बहुत पहले जब शहर की आबादी हजारों में थी, तब यहां उस समय की जरूरत के अनुसार इंफ्रास्ट्रक्चर का काम किया गया था. आज आबादी बढ़ने के साथ ही पहले बनी चीजों का पुनर्निर्माण जरूरी हो गया है. उदाहरण के लिए संकीर्ण रास्तों को चौड़ा किया जा रहा है. सड़कों के चौड़ीकरण के क्रम में पुराने पोलों को हटाया जा रहा है. इसके अलावा अंडरग्राउंड केबलिंग का कार्य भी चल रहा है. यह आज की आवश्यकता है.
निर्माण और विकास के इन कार्यों में शहर में वर्षों पुराने पेड़ों को बलि चढायी जा रही है. यह दो तरह से हो रहा है. पहले मामले में सड़कों पर स्थित या तो सीधे पेड़ों को काटा जा रहा है, जबकि दूसरे तरीके से अंडरग्राउंड केबलिंग के लिए सड़कों की खुदाई की जा रही है. इससे सड़कों पर स्थित पेड़ की जड़ें कमजोर होती जा रही हैं. ऐसे में जरा सी बरसात और आंधी में ही पेड़ जड़ से उखड़ जाते हैं. हाल के दिनों में पेड़ गिरने की घटनाओं में वृद्धि हुई है.
जब भी सिलीगुड़ी में पेड़ों को नुकसान पहुंचता है, तो पर्यावरणविदों और राजनीतिक दलों की ओर से हाय तौबा मचाई जाती है और सीधे-सीधे सिलीगुड़ी नगर निगम और प्रशासन को दोषी ठहराया जाता है. हाल के दिनों मे शहर में पुराने पेड़ों के गिरने की घटनाएं अत्यधिक बढ़ गई हैं. इसे लेकर भाजपा नेता और सिलीगुड़ी नगर निगम के विपक्ष के नेता अमित जैन ने अपने बयान ने कहा था कि इसके लिए सिलीगुड़ी नगर निगम की लापरवाही जिम्मेदार है. क्योंकि सिलीगुड़ी नगर निगम शहर के पुराने पेड़ों का रखरखाव ठीक से नहीं कर पा रहा है.
लेकिन उनकी तरफ से यह नहीं बताया जाता है कि विकास के क्रम में पेड़ों को बचाने का युक्ति संगत उपाय क्या है.यह बात ठीक है कि प्रशासन भी नहीं चाहता है कि पेड़ों की कटाई अथवा उसे नुकसान पहुंचाने का काम हो. परंतु कई बार स्थितियां बन जाती हैं कि ना चाहते हुए भी पेड़ों की बलि चढ़ानी पड़ जाती है. उपाय के तौर पर अमित जैन ने कहा है कि जहां-जहां पेड़ गिर रहे हैं, वहां नए पेड़ लगाए जाने चाहिए. यह अच्छी बात है. सिलीगुड़ी नगर निगम को अपने संज्ञान में यह बात जरूर लेनी चाहिए.
आपको बताते चलें कि सिलीगुड़ी में जब भी बरसात होती है, कहीं ना कहीं किसी न किसी पेड़ के गिरने की खबर सुखिया में रहती है. सोमवार की रात को वर्षों पुराना एक विशाल पेड़ हाशमी चौक पर गिर गया था. केवल हिल कार्ट रोड पर ही अब तक तीन बड़े पेड़ गिर चुके हैं. सेवक रोड पर बहुत से पेड़ गिर चुके हैं. अथवा गिराए जा चुके हैं. यह तो गनीमत रही कि कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ.
पेड़ों के काटने से पर्यावरण नुकसान के साथ-साथ शहर की प्राकृतिक सुंदरता को भी धक्का पहुंचता है. इसलिए जितना संभव हो सके, पेड़ो को बचाने के लिए आगे आएं. प्रशासन के साथ-साथ आम नागरिकों का भी इसमें सहयोग जरूरी है.
सिलीगुड़ी शहर शुरू से ही पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है. चाहे दार्जिलिंग हो या सिक्किम या Dooars कहीं भी जाना हो, तो सर्वप्रथम सिलीगुड़ी आना ही पड़ता है. ऐसे में सिलीगुड़ी की प्राकृतिक सुंदरता और हरियाली को बनाए रखने के लिए न केवल सिलीगुड़ी नगर निगम और प्रशासन को ही कदम उठाना चाहिए बल्कि शहर के सामाजिक संगठनों और नागरिकों को भी आगे आना चाहिए.
पेड़ों की रक्षा और शहरों की हरियाली बनाए रखने के लिए कुछ तरीके अपनाए जा सकते हैं. इन उपायों में सड़क खुदाई और निर्माण कार्यों के दौरान यह कोशिश की जानी चाहिए कि पेड़ों की जड़ों को नुकसान न पहुंचे. सिलीगुड़ी नगर निगम और प्रशासन को स्पष्ट तौर पर दिशा निर्देश जारी करना चाहिए. जहां-जहां पेड़ काटे जा रहे हो अथवा गिर रहे हों, वहां नए पेड़ लगाए जाएं. इसके अलावा शहर में बहुत से ऐसे स्थान है जहां पौधारोपण किया जा सकता है. केवल वृक्ष लगा देना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उसकी देखभाल भी जरूरी है.
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