May 7, 2024
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सिक्किम में जाएं तो बंदरों को खाना न खिलाएं, अन्यथा देना पड़ सकता है जुर्माना!

पर्वतों और हरियाली से घिरा प्रदेश सिक्किम में बंदरों की बहुतायत है. बंदर एक जंगली पशु है.लेकिन बंदर जंगलों से निकल कर बस्ती क्षेत्र, मानव के निवास स्थान, पिकनिक स्पॉट, ऑफिस,बाजार और धार्मिक स्थलों में भी मंडराने लगे हैं. अनेक धार्मिक प्रकृति के लोग बंदरों को केले, खाने के पैकेट आदि खिलाते हैं. कई ऐसे लोग भी होते हैं जो मनोरंजन के लिए बंदरों को खाना खिलाने के क्रम में शरारत भी करते हैं. ताकि बंदर उस तरह का रिएक्ट करे जिससे उनका मनोरंजन हो सके. यह सभी सही बात नहीं है.

आपने ऐसी घटनाएं काफी सुनी होंगी, जब बंदरों के आतंक तथा बस्ती क्षेत्र में लोगों पर हमले करने तथा बच्चों को काटने के कारण लोग विभिन्न समस्याओं से ग्रसित हो जाते हैं. ऐसे कई वायरस है जो मानव और पशु के संपर्क से विकसित होते हैं. पशुओं के द्वारा मानव में वायरस पहुंचाए जाते हैं जबकि मानव के द्वारा पशुओं में भी वायरस पहुंचाए जाते हैं. जंगली पशुओं का स्थान जंगल ही होता है. जहां का पर्यावरण उनके शरीर और भोजन के हिसाब से सूटेबल होता है.

अगर जंगली पशु मानव का भोजन करने लगे तो यह भी पारिस्थितिक असंतुलन को बढ़ावा देता है.इसके कई दुष्परिणाम भी सामने आते हैं. पशु का व्यवहार बदलता है. इसके साथ ही जंगल की पारिस्थितिकी भी असंतुलित होती है. जो लोग बंदरों तथा जंगली जानवरों को भोजन खिलाते हैं, वह दरअसल वन एवं पर्यावरण के नियमों एवं आदर्श नीतियों का उल्लंघन करते हैं. ऐसा करने से जंगली पशु मानव के प्रति आकर्षित होते हैं. इससे उनका जेनेटिक एवं वन्यीय आचरण भी बदलता है. साथ ही उनके व्यवहार में भी बदलाव देखा जाता है.

जानकार मानते हैं कि मानव का भोजन उच्च कैलोरी का होता है. यह भोजन कई तत्वों से युक्त होता है.जंगली पशु खासकर बंदर जब ऐसा भोजन करते हैं तो उनमें आक्रामकता आ जाती है. क्योंकि यह भोजन मानव का होता है जिसे जंगली पशुओं के द्वारा पचाना आसान नहीं होता.इसके अलावा भी मानव का भोजन पशुओं के लिए उपयुक्त नहीं होता. सिक्किम सरकार, वन एवं पर्यावरण विभाग द्वारा एक अधिसूचना जारी की गई है, जिसमें सिक्किम की जनता से अपील की गई है कि वह बंदरों को खाना नहीं खिलाए, अन्यथा उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है.

इन दिनों सिक्किम के विभिन्न क्षेत्रों में बंदरों का आतंक बढ़ता जा रहा है. बंदर भोजन की तलाश में दफ्तर, मानव बस्ती, दुकान, बाजार,संस्थान,घर सब जगह चले आते हैं और अनाज तथा अन्य चीजों की बर्बादी करते हैं. उनके द्वारा मानव को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है. बंदरों को मानव के द्वारा भोजन खिलाने के कारण ही यह नौबत देखी जा रही है. यही कारण है कि सिक्किम सरकार, वन एवं पर्यावरण विभाग ने कड़ा कदम उठाया है और सिक्किम के लोगों से बंदरों को भोजन नहीं देने का निर्देश दिया है. यह पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी एक अच्छा कदम माना जा रहा है.

वन्य जीव एक्ट 1972 तथा पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम 1986 के अनुसार बंदरों तथा जंगली जानवरों को मानव के द्वारा भोजन खिलाना तथा खाद्य पदार्थ की बर्बादी करना एक कानूनन अपराध है. और इसके लिए ₹5000 तक का जुर्माना किया जा सकता है.सिक्किम सरकार का वन एवं पर्यावरण विभाग इस अधिसूचना के जरिए सिक्किम के लोगों को वन एवं पर्यावरण की रक्षा के लिए जागरूक करता है. इसलिए अगर आप सिक्किम की धरती पर बंदरों को खाना खिलाते हैं तो ऐसा ना करें अन्यथा आपके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई हो सकती है.

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