महात्मा गांधी ने कहा था कि अन्याय व अत्याचार करने वाला व्यक्ति तो दोषी होता ही है, लेकिन उससे ज्यादा दोषी वह व्यक्ति होता है जो अन्याय और अत्याचार होते देखता है. गांधी जी ने यह भी कहा था कि बुरा न करिए, बुरा ना देखिए और बुरा ना सुनिए. गांधी जी के इसी सिद्धांत को तीन बंदर की संज्ञा दी गयी है.
यूं तो अन्याय व अत्याचार पूरे देश ही नहीं, बल्कि एक वैश्विक समस्या है. अगर गांधी जी के पहले सिद्धांत की बात करें तो किसी पर होते अन्याय और अत्याचार का विरोध करना जरूरी है. परंतु वर्तमान समय में ऐसा करना कभी-कभी जानलेवा भी बन सकता है. दो व्यक्ति के बीच आपसी विवाद को सुलझाने की कोशिश करने वाला अथवा किसी गलत कार्य को होते देखकर उसे रोकने की कोशिश करने वाला कभी-कभी बड़ी मुसीबत में पड़ जाता है. सिलीगुड़ी में इसकी बानगी देखे जाने के बाद शायद ही कोई किसी अन्य के मामले में मुंह, कान और आंख खुला रखे. कम से कम सिलीगुड़ी में तो फिलहाल लोग सोच भी नहीं सकते हैं.
सिलीगुड़ी के 36 नंबर वार्ड स्थित पंचानन कॉलोनी इलाके में रहने वाले एक व्यक्ति के घर में विवाह कार्यक्रम था. इसमें डीजे बजाया जा रहा था. रात्रि का लगभग 1:00 बज गया था. लेकिन घर वालों ने प्रशासन के निर्देशों की अवहेलना करते हुए डीजे बजाना जारी रखा था. इससे पड़ोस में रहने वाले लोगों को सोने में परेशानी हो रही थी. इसी इलाके में एक शिक्षक महोदय भी रहते थे. उनसे जब रहा नहीं गया तो उन्होंने उस व्यक्ति के घर में जाकर डीजे बंद करने का आग्रह किया.
आशीघर चौकी में दर्ज कराई गई रिपोर्ट के अनुसार इसी बात को लेकर परिवार के लोगों ने शिक्षक महोदय की पिटाई कर दी. शिक्षक का नाम अभिजीत सरकार है. बुरी तरह घायल अवस्था में अभिजीत सरकार को सिलीगुड़ी जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया. उनका मोबाइल फोन भी तोड़े जाने का आरोप है. आशीधर चौकी की पुलिस ने शिक्षक के साथ मारपीट के आरोप में दो लोगों को हिरासत में लिया है.
एक अन्य घटना में खुलेआम शराब पीने का विरोध करने पर दो भाइयों पर जानलेवा हमला किया गया. यह घटना सिलीगुड़ी के 38 नंबर वार्ड स्थित संगहित मोड इलाके की है. कुछ दिन पहले की यह घटना है. स्थानीय पार्षद के कार्यालय के पास कुछ लोग बैठकर शराब पी रहे थे. वहां से गुजर रहे स्थानीय निवासी प्रसनजीत सेन नामक व्यक्ति को यह अच्छा नहीं लगा तो उसने इस पर आपत्ति जताई. उस समय तो बात आई गई हो गई.
पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई गई प्राथमिक के अनुसार प्रसेनजीत सेन अपने भाई के साथ स्कूटी पर घर लौट रहे थे. कुछ लोगों ने प्रसेनजीत की स्कूटी को रोक लिया और उनके साथ मारपीट करने लगे. किसी ने उन पर चाकू से हमला कर दिया. घायल अवस्था में दोनों भाइयों को उपचार के लिए सिलीगुड़ी जिला अस्पताल ले जाया गया. प्रसेनजीत सेन को प्राथमिक उपचार के बाद छोड़ दिया गया. लेकिन उनके भाई को गंभीर चोटें आई है. वह सिलीगुड़ी जिला अस्पताल में भर्ती है. प्रसेनजीत सेन ने आरोप लगाया है कि खुलेआम शराब पीने का विरोध करने पर उनपर जानलेवा हमला किया गया है.
सवाल अत्यंत महत्वपूर्ण है और उतना ही ज्वलंत भी. समस्या केवल सिलीगुड़ी की ही नहीं है. बल्कि ऐसी स्थिति से लोगों को रोज ही दो चार होना पड़ता रहता है. तो क्या किसी मजलूम और बेबस व्यक्ति पर अत्याचार होते देख कर चुप रहना अच्छा है? क्या किसी गलत कार्य करने वाले व्यक्ति को देखकर अनदेखा कर देना उचित है? अगर समाज में ऐसी प्रवृत्ति उत्पन्न होने लगे तो समाज पर इसका क्या असर होगा? ऐसे में महात्मा गांधी के उस सिद्धांत और आदर्श का क्या होगा, जिसमें उन्होंने कहा था कि गलत करने वाला और गलत सुनकर चुप रहने वाला दोनों ही दोषी हैं? यह सवाल प्रशासन, नागरिक और कानून तीनों के लिए है.
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