बिहार में विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है. पिछले कुछ दिनों से सदन में राबड़ी देवी और नीतीश कुमार के बीच सीधा टकराव देखने को मिल रहा है. आज तो तब हद हो गई,जब नीतीश कुमार और राबड़ी देवी के बीच चल रही तू तू मैं मैं के बीच राबड़ी देवी की बेटी रोहिणी आचार्य मैदान में आई और नीतीश कुमार पर हमले करने शुरू कर दिए. रोहिणी आचार्य ने कुछ ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया जो एक मुख्यमंत्री के लिए उचित नहीं कहा जा सकता है.
रोहिणी आचार्य ने अपने एक्स पर नीतीश को लेकर एक तीखी टिप्पणी की. उसमें उसने भोजपुरी भाषा में लिखा है कि अरे तू चुप रह, ज्यादा मुंह मत फाड़…तू ओकरे गोदी में बैठा, जो तुम्हारे डीएनए को खोट बता रहा था.. तू तो सही हस्बैंड भी ना है, तू अपन गाड़ी चलावे की फेर में अपने परिवार का नाश कर लिया, तू तो जुगाड़ के दम पर कुर्सी चमकावत है… तीन नंबर पार्टी के तीन नंबर जुगाड़ू नेता.
आज की घटना की शुरुआत उस समय हो गई जब विधान परिषद की कार्यवाही में भाग लेने के लिए विपक्ष के एमएलसी आरक्षण के मुद्दे वाली टी-शर्ट पहनकर सदन में पहुंचे थे. इसका नेतृत्व पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी कर रही थी. उनकी तरफ से 65% आरक्षण को 9वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर हंगामा किया जा रहा था. इस पर नीतीश कुमार को गुस्सा आ गया और उन्होंने राबड़ी देवी पर अपनी भड़ास निकालनी शुरू कर दी. नीतीश कुमार ने कहा कि अरे बैठो ना, तेरे हस्बैंड का है… तेरा क्या चीज है, जो है वह तुम्हारे हस्बैंड का है… ए बेचारी को तो कुछ आता ही नहीं. पति जब रिजेक्ट हुआ तो इसको सीएम बना दिया.
इसे पहले भी नीतीश कुमार राबड़ी देवी पर कई बार भड़ास उतार चुके हैं. नीतीश कुमार और राबड़ी देवी के बीच अक्सर कहा सुनी होती रही है. 20 मार्च को विपक्ष के द्वारा हंगामा करने पर नीतीश कुमार ने राबड़ी देवी की ओर इशारा करते हुए कहा कि उनके पति की जब सरकार थी, तब बिहार का क्या हाल था. कोई काम भी बिहार में नहीं हुआ. अगर कोई घटना घटी है तो जांच होगी. जब उनके पति की सरकार थी तो कोई जांच होती ही नहीं थी. बिहार के राजनीतिक घटनाक्रमों को देखते हुए ऐसा लगता है कि एक नौटंकी चल रही है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आजकल तनाव में रहने लगे हैं. विपक्ष उन्हें ज्यादा से ज्यादा भड़काना चाहता है, ताकि भाजपा और जदयू का गेम बिगड़ जाए. इसी साल बिहार में विधानसभा का चुनाव होना है. राष्ट्रीय जनता दल तेजस्वी यादव के नेतृत्व में बाजी मारने के लिए जोर-शोर से चुनाव प्रचार में जुट गया है. एक सोची समझी राजनीति के तहत नीतीश कुमार की छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है, जिसको लेकर नीतीश कुमार कदाचित सीरियस नहीं है. विपक्ष जैसा चाहता है नीतीश कुमार उसके जाल में फंसते जा रहे हैं. यह ना तो उनकी पार्टी के लिए और ना ही भाजपा के लिए अच्छा होगा.
जहां तक बात नैतिकता की है तो लालू राबड़ी के परिवार से तो इसकी उम्मीद ही नहीं की जा सकती है. जिसकी भाषा गाली गलौज और मारधाड़ वाली हो वह भला नैतिकता की क्या बात कर सकता है. रोहिणी आचार्य द्वारा मुख्यमंत्री पर किए गए तीखे वार और गाली गलौज वाली भाषा का इस्तेमाल से राजद की छवि खराब हुई है. इस समय बिहार की जनता नीतीश कुमार को बेचारा मुख्यमंत्री के रूप में देख रही है, जबकि लालू राबड़ी परिवार का दोहरा चरित्र भी धीरे-धीरे जनता के बीच उजागर हो रहा है और इसका भविष्य में राजद को नुकसान भी हो सकता है. दोनों ही पार्टियों अथवा गठबंधन दलों को बिहार की जनता का दिल जीतना है, तो संयम, सम्मान, भरोसा और सदाचार से ही एक दूसरे का मुकाबला करना होगा अन्यथा नुकसान तो लालू राबड़ी परिवार का ही होने वाला है. क्योंकि नीतीश कुमार यह साबित कर देंगे कि लालू के शासनकाल में जंगल राज था. अगर भूल से भी तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बन गए तो वह जंगल राज अध्याय 2 की शुरुआत कर सकते हैं.
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