केंद्रीय बलों की उपस्थिति में बंगाल की 6 सीटों पर चुनाव होने जा रहा है. 13 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. चुनाव के लिए तृणमूल कांग्रेस, बीजेपी,कांग्रेस और वाममोर्चा ने तैयारी कर ली है. लगभग सभी प्रमुख दलों के उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. तृणमूल कांग्रेस के लिए यह चुनाव काफी महत्वपूर्ण है. क्योंकि राज्य में आरजीकर का मुद्दा एक तरह से सत्ता विरोधी बन चुका है. आरोप है कि कम से कम शहरी मध्यम वर्ग तृणमूल कांग्रेस से नाराज है. यह चुनाव साबित करेगा कि क्या आरजीकर का मुद्दा राजनीति को कितना प्रभावित कर रहा है.
मिली जानकारी के अनुसार सभी 6 सीटों पर केंद्रीय बलों की 108 कंपनियां तैनात की जा रही है. केंद्रीय बल पहुंच भी चुके हैं और फ्लैग मार्च करके लोगों के बीच व्याप्त भय को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं. जिन 6 सीटों के लिए मतदान होना है, उनमें से पांच TMC और एक बीजेपी के पास है. हालांकि TMC का दावा है कि वह सभी 6 सीटों पर जीत हासिल करेगी. लेकिन मदारीहाट सीट भाजपा के लिए काफी महत्वपूर्ण है. क्योंकि यह चाय बागान इलाका है और ऐसा माना जाता है कि चाय बागानों के मतदाता भाजपा की ओर जा सकते हैं.
अगर उपरोक्त सभी सीटों की भौगोलिक स्थिति और जनसंख्या के राजनीतिक रुझान की बात करें तो कोलकाता के पास स्थित नैहाटी, अल्पसंख्यक बहुल हरोवा, आदिवासी बहुल तालडांगरा, अल्पसंख्यक और राजवंशी वोटो वाला सिताई जबकि चाय बागान वाला क्षेत्र मादारीहाट और मेदिनीपुर शामिल है. इन सभी सीटों पर तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी का प्रभाव दिख रहा है. अगर मदारीहाट की बात ना करें तो बाकी पांच सीटों पर तृणमूल कांग्रेस का अधिक प्रभाव दिख रहा है.
भाजपा के लिए मदारीहाट सीट जीतना उसका आत्मविश्वास बढ़ाने वाला होगा. क्योंकि भाजपा लगातार उपचुनाव हारती आ रही है. मदारीहाट में भाजपा का प्रदर्शन पिछले लोकसभा चुनाव में खराब रहा था. टीएमसी ने इन सभी 6 सीटों के लिए अपने उम्मीदवार अपने एमपी के भरोसे उतारे हैं. तृणमूल सांसदों ने ममता बनर्जी को भरोसा दिया है कि सभी 6 सीटों पर टीएमसी की ही जीत होगी. लेकिन जहां तक आरजीकर का मुद्दा है, वह भी एक महत्वपूर्ण फैक्टर हो सकता है. तृणमूल कांग्रेस इस बात को समझती भी है.
टीएमसी नेता कुणाल घोष कहते हैं कि विपक्ष के पास आरजीकर के अलावा कोई मुद्दा नहीं है. विपक्ष आरजीकर मुद्दे का दुरुपयोग कर रहा है और मतदाताओं को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि मतदाता विपक्ष के झांसे में नहीं आएंगे और तृणमूल कांग्रेस को वोट करेंगे. उन्होंने कहा कि मतदाता सोच समझ कर वोट करेंगे. पहली बार उपचुनाव में वाम मोर्चा और कांग्रेस अलग-अलग लड़ रहे हैं. पिछले चुनाव में दोनों पार्टियां एक साथ थी. माकपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा है कि उपचुनाव की तैयारी पार्टी की ओर से अच्छी तरह की गई है और उन्हें विश्वास है कि मतदाता भाजपा और टीएमसी के पक्ष में नहीं जाएंगे. बहरहाल यह देखना होगा कि 13 नवंबर को मतदाता किस पार्टी पर ज्यादा भरोसा करते हैं और यह भी साबित हो जाएगा कि आरजीकर का मुद्दा चुनाव पर कितना भारी पड़ा है.
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