चीन किसी न किसी तरीके से दुनिया के देशों में अपना प्रभाव जमाना चाहता है. भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में चीन अपने प्रभाव के लिए भारत के कई क्षेत्रों के नाम चीनी नाम पर रख देता है. जबकि अपने प्रभाव वाले सभी क्षेत्रों को चीन अधिकृत नाम से भारत के सीमावर्ती प्रदेशों में अपना प्रभुत्व जमाना चाहता है.
चीनी सीमा को लेकर भारत से चीन का हमेशा विवाद रहा है. अरुणाचल प्रदेश से लेकर सिक्किम तक लगभग 1400 किलोमीटर तक फैली हुई सीमा को एक सोची समझी योजना के तहत चीन ने चीनी सीमा का नाम दिया है. मनोवैज्ञानिक रूप से चीनी सीमा के निकट भारतीय क्षेत्र के लोग प्रभावित हो जाते हैं. अब चीन के प्रभाव से मुक्ति के लिए यह मांग उठने लगी है कि भारत को भी चीन का इसी तरीके से जवाब देना चाहिए.
यह तरीका है भारतीय क्षेत्र में भारतीय नाम का प्रदर्शन जिसकी गूंज चीन तक सुनाई पड़े. इस मांग को सिक्किम के राज्यसभा सांसद डीटी लेप्चा ने संसद में उठाया है और तर्क प्रस्तुत किया है कि चीन सीमा का नाम बदलना क्यों जरूरी है. केंद्रीय बजट पर चर्चा के दौरान सांसद डीटी लेप्चा ने चीन सीमा का नाम बदले जाने की मांग केंद्र सरकार से की है. उन्होंने केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि चीन सीमा का नाम बदलकर तिब्बत सीमा किया जाना चाहिए. इससे भारतीय क्षेत्र में चीन का प्रभाव कम हो जाएगा. दूसरी तरफ ऐतिहासिक तथ्यों के हिसाब से भी यह सही कदम होगा .
देखा जाए तो डीटी लेप्चा अपनी जगह सही है. चीन की फितरत को भारत भी समझता है. कई बार चीन भारत को नीचा दिखाने की कोशिश कर चुका है. भारत चीन सीमा पर चीनी सेना की बदमाशी किसी से छिपी नहीं है. क्योंकि चीन को लगता है कि भारत चीन सीमा के अंतर्गत भारतीय क्षेत्र पर भी उसका ही प्रभाव है. यही कारण है कि भारतीय क्षेत्र के चीनी प्रभाव वाले नाम को वह बदलता रहता है. सांसद डीटी लेप्चा ने कहा कि अगर चीनी सीमा का नाम तिब्बत सीमा रखा जाए तो चीन का प्रभाव अपने आप कम हो जाएगा.
सांसद डीटी लेप्चा ने कहा कि वैज्ञानिक और भौगोलिक दृष्टिकोण से भी चीन सीमा का नाम तिब्बत सीमा रखा जाना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि लाइन ऑफ कंट्रोल चीन से सटी हुई नहीं है बल्कि यह तिब्बत से सटी हुई है. तो क्यों नहीं इसे तिब्बत सीमा का नाम दिया जाए. सांसद ने सरकार से अपील की है कि नए नाम को चलन में लाने के लिए सरकार सेना, जी आर ई एफ तथा सभी एजेंसियों को आदेश जारी करे.
सिक्किम के सांसद डीटी लेप्चा ने भारत चीन सीमा व्यापार और नाथुला बॉर्डर के जरिए मानसरोवर तीर्थ यात्रा को फिर से खोले जाने पर विचार करने के लिए कहा है. उन्होंने कहा कि चीन ने तिब्बत में अपनी तरफ के सीमावर्ती इलाकों में गांव बसा दिए हैं. ऐसे में भारत सरकार को भी अपनी रणनीति तैयार करने की जरूरत है. सांसद लेप्चा ने इस मौके पर राई, शेरपा, गुरुंग और तमांग की लोक भाषा को सीबीएसई पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग की. जबकि तमांग और लिंबू को राज्य विधानसभा में आरक्षण देने की भी मांग की है.
अब देखना है कि केंद्र सरकार सिक्किम की इस मांग को किस रूप में लेती है!
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