बिहार में वर्तमान घटनाक्रम को देखते हुए नीतीश कुमार के बारे में तो फिलहाल यही कहा जा सकता है. जैसे वह यही कहना चाहते हैं आरजेडी जाए भाड़ में! हम तो चले अपने मीत के घर!
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिन्हें सुशासन बाबू कहा जाता है, ने एक बार फिर से पलटी मार दी है या मारने जा रहे हैं. इसकी संभावना ज्यादा दिख रही है. नीतीश कुमार साफ सुथरी छवि के नेता हैं. लेकिन वह पलटी मारने में सभी राजनेताओं को मात दे चुके हैं.वह एक बार फिर से अपने पुराने घर लौट रहे हैं. मीडिया सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय जनता दल से उनकी दूरियां लगातार बढ़ती जा रही हैं.शनिवार को दोपहर तक बिहार की राजधानी पटना में नई सरकार के गठन को लेकर आरजेडी और जनता दल यूनाइटेड के बीच शक्ति प्रदर्शन चलता रहा. नीतीश कुमार भाजपा के वरिष्ठ नेता अश्विनी चौबे के संग नजर आए.
पल-पल की तस्वीर बदल रही है. दावा किया जा रहा है कि नीतीश कुमार एक बार फिर से आठवीं बार बिहार के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले सकते हैं. पटना में नए मंत्रिमंडल के साथ नीतीश कुमार शपथ ग्रहण कर सकते हैं. भाजपा और जदयू मिलकर सरकार बना सकते हैं. इसके कई संकेत मिल चुके हैं. उधर दिल्ली में भी बिहार की राजनीति को लेकर राजनीतिक गहमागहमी तेज हो गई है. चिराग पासवान का गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ मुलाकात और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का पटना से लेकर दिल्ली तक भाग दौड़, राज्यपाल से मिलना, यह सब कुछ संकेत है कि बिहार की राजनीति में तूफान आ चुका है.
पिछले कई दिनों से नीतीश कुमार और लालू यादव के बीच दूरियां बढ़ती जा रही थी. यह भी कहा जा रहा था कि नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन में खुद को असहाय महसूस कर रहे थे. गठबंधन के नेता उनका सम्मान नहीं कर रहे थे. बिहार में पिछले कुछ दिनों से कई मौके पर नीतीश कुमार की जनता में छवि भी खराब करने की कोशिश की गई थी. कहा जा रहा था कि राजद के कुछ लोगों ने ही मिलकर नीतीश कुमार के खिलाफ साजिश की है. कई बार नीतीश कुमार ने ऐसे ऐसे बयान दिए जिसके कारण उनकी खिल्ली उडाई गई.
बिहार के रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने यहां तक कह दिया था कि अगर नीतीश कुमार तथा उनकी पार्टी जेडीयू विपक्षी गठबंधन में रहेगी तो उसे बिहार में 5 सीटे भी नहीं मिलेगी. प्रशांत किशोर ने यहां तक दावा कर दिया था कि अगर जनता दल यूनाइटेड 5 से ज्यादा सीटें जीतकर दिखाती है तो वह देश के सामने माफी मांग लेंगे. बिहार में चल रहे राजनीतिक उठा पटक के बीच बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी दावा किया था कि 28 जनवरी तक बिहार में खेला होगा.
सवाल यहां यह भी उठ रहा है कि आखिर नीतीश कुमार भाजपा के साथ क्यों जाना चाहते हैं. इसका एक वाक्य में उत्तर बताया जाए तो यही कहा जा सकता है कि अयोध्या में श्री राम लला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के बाद देश भर में भाजपा की जो आंधी चली है, नीतीश कुमार इसका लाभ उठाना चाहते हैं. क्योंकि विपक्षी गठबंधन में रहते हुए यह कदापि संभव नहीं था कि उनकी पार्टी को लाभ मिल पाता. कई विशेषज्ञों ने तो यहां तक कह दिया था कि नीतीश कुमार अपने ही क्षेत्र में चारों खाने चित हो जाएंगे. इन्हीं हालातो और परिस्थितियों के बीच नीतीश कुमार को यही उपयुक्त लगा कि वह भाजपा के साथ जाएं और जैसा कि हालात और संभावनाएं बता रही हैं कि नीतीश कुमार कल तक भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना सकते हैं.