पहाड़ में एक से बढ़कर एक प्रतिभाएं हैं. बस उन्हें मौका मिलना चाहिए. उसके बाद दुनिया को मुट्ठी में करने का उनका जुनून देखा जाता है. खासकर पहाड़ की बेटियां बुलंद हौसलों के साथ अपने सपने को साकार करने में जुट गई हैं. पहले सिक्किम के रिंचेंगपोंग की बेटी फुटबॉलर निमिता गुरुंग ने हाल ही में एएफसी वीमेंस चैंपियनशिप लीग के एडवांस्ड वर्ग में उड़ीसा एफसी टीम का हिस्सा बनकर सिक्किम का नाम रौशन किया था. सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने फेसबुक के जरिए निमिता को बधाई भी दी है. अब यह लड़की लीग के मैच खेलने के लिए वियतनाम जाएगी.
सिक्किम की निमिता गुरुंग के बाद अब कालिम्पोंग की एक और बेटी ने अपने सपनों की उड़ान भरी है.ध्यान से देखिए इस बालिका को, जो महज 15 साल की है. लेकिन इस लड़की ने लेह लद्दाख के आसमान में एक ऐसा इतिहास रचा है, जिससे पूरा पहाड़ गौरवान्वित महसूस कर रहा है. इस लड़की के हौसले व मजबूत इरादों ने दूसरी लड़कियों को भी रोमांचक कौशल दिखाने की प्रेरणा दी है. प्रत्येक कालिमपोंग निवासी गर्व महसूस कर रहा है.
पहाड़ की इस बेटी का नाम श्रेयसी तमांग है. वह अभी पढ़ाई कर रही है. मां का एक सपना था. अपनी मेहनत, लगन और जिद की बदौलत उसने मां के सपने को साकार कर दिया है. श्रेयसी तमांग को बचपन से ही पैराग्लाइडिंग में कुछ करने का जुनून था. उसने लद्दाख के लेह में 24 अगस्त से 28 अगस्त तक चले लद्दाख ऐरो फेस्टिवल प्री पैराग्लाइडिंग एक्यूरेसी वर्ल्ड कप 2024 में भाग लिया और महिलाओं के वर्ग में सिल्वर मेडल प्राप्त किया है. ऐसा करने वाली वह दुनिया की सबसे कम उम्र की पायलट बन गई है.
श्रेयसी तमांग के पिता रिंचें तमांग कालिमपोंग में पैराग्लाइडिंग कंपनी चलाते थे. लेकिन कोविद-19 के दौरान उनकी मृत्यु हो गई. उसके बाद श्रेयसी की मां लीला तमांग ने रोजी-रोटी के लिए उनकी पैराग्लाइडिंग कंपनी चलाना शुरु कर दिया. श्रेयसी ने बताया कि बचपन से ही इस क्षेत्र में कुछ करने का हौसला था. मां भी चाहती थी कि मैं कुछ स्पेशल करूं. वह चाहती थी कि मैं पैराग्लाइडिंग में उड़ान भरूं. मैंने फैसला कर लिया कि मां के सपनों को साकार करूंगी. इसके बाद मां ने मेरा कदम कदम पर उत्साह बढ़ाया और मुझे समर्थन दिया.
जब श्रेयसी 9 साल की थी, तब उसके पिता ने पैराग्लाइडिंग के बारे में उसे बताया और इस क्षेत्र में आने के लिए उसका उत्साह बढ़ाया. इस समय से उसने पैराग्लाइडिंग में रोमांचक करतब करने शुरू कर दिए थे. उसकी पहली सिंगल सोलो फ्लाइट दिसंबर 21 में कंपलीट हुई थी. कुछ स्पेशल करने के लिए उसने 18 दिसंबर 2022 को हिमाचल प्रदेश स्थित एक ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट में ट्रेनिंग लेने के लिए दाखिला लिया. उसने 6 घंटे के लिए ग्राउंड ट्रेनिंग कार्यक्रम में भाग लिया.
श्रेयसी तमांग ने बताया कि पिछले साल उम्र कम होने के कारण वह इवेंट में क्वालीफाई नहीं कर पाई. लेकिन इस साल इस इवेंट में भारत, नेपाल, इंडोनेशिया, थाइलैंड और सऊदी अरब से महिला पुरुष मिलाकर कुल 109 प्रतियोगियों ने प्रतियोगिता में भाग लिया था. श्रेयसी ने एक्यूरेसी प्रतियोगिता में दूसरा स्थान प्राप्त किया है. उसने 14400 फीट की ऊंचाई पर उड़ान भरी है और लक्ष्य प्राप्त किया है. हर प्रतियोगी को उड़ने के लिए 12 मौके दिए गए थे.
श्रेयसी तमांग सेंट जोसेफ कॉन्वेंट स्कूल की क्लास 10वीं की छात्रा है. उसके सपने बड़े-बड़े हैं. स्कूल से भी समर्थन मिलता है. वह कहती है कि मैं अपना ध्यान लक्ष्य पर रखती हूं और उसके बाद मैं सब कुछ भूल जाती हूं. निश्चित रूप से निमिता गुरुंग और श्रेयसी तमांग जैसी लड़कियों ने पहाड़ की लड़कियों की हौसला अफजाई की है.
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