देशभर की मीडिया में यह कयास लगाया जा रहा है कि भारतीय चुनाव आयोग 16 अप्रैल को लोकसभा का चुनाव कराएगा. हालांकि भारतीय चुनाव आयोग ने मीडिया में चल रही इस कयास चर्चा को लेकर एक स्पष्टीकरण दिया है और कहा है कि यह लोकसभा चुनाव की कोई तारीख नहीं है. वास्तव में यह भारतीय चुनाव आयोग की लोकसभा चुनाव के संदर्भ में तैयारी के रूप में देखा जाना चाहिए.
लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय चुनाव आयोग को बहुत से काम करने होते हैं. देश भर में जिला निर्वाचन अधिकारियों और रिटर्निंग अधिकारियों के साथ तैयारी करनी होती है. जैसे मतदाता सूची पर्यवेक्षण, अधिकारियों की नियुक्ति और विभिन्न तरह की गतिविधियां शुरू करनी होती है. चुनाव आयोग राज्यों के चुनाव आयोग अधिकारियों से बातचीत करता है. प्लानिंग करनी पड़ती है. और सभी क्षेत्रों में एक समन्वय बनाना पड़ता है. जब तक यह सब काम नहीं होता है, तब तक चुनाव आयोग चुनाव कराने की स्थिति में नहीं होता है.
भारतीय चुनाव आयोग का संदर्भ यही है. इसलिए लोकसभा चुनाव के लिए इसे वास्तविक तारीख नहीं समझना चाहिए. हां यह भी तय है कि चुनाव तो अप्रैल में ही होंगे. जिसकी तैयारी में भारतीय चुनाव आयोग जुट गया है और सभी राज्यों के जिला निर्वाचन अधिकारियों और रिटर्निंग अधिकारियों को इस संदर्भ में पत्र भेजा है. केंद्रीय चुनाव आयोग की ओर से पश्चिम बंगाल की नवीनतम संशोधित मतदाता सूची जारी कर दी गई है.
जारी मतदाता सूची के अनुसार फिलहाल पश्चिम बंगाल में कुल 7 करोड़, 58 लाख, 37 हजार 778 मतदाता है. इनमें से 3 करोड़,85 लाख, 30 हजार 981 पुरुष और तीन करोड़, 73 लाख, 4 हजार 960 महिला मतदाता है. लोकसभा चुनाव से पहले 14 लाख, 30 हजार, 998 नए मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में जोड़े गए हैं. चुनाव आयोग ने 9 लाख, 79292 मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए हैं.
पश्चिम बंगाल में निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग सभी तरह की तैयारी कर रहा है. अतीत में हुई घटनाओं के मध्येनजर इस बार राष्ट्रीय चुनाव आयोग ने नई रणनीति पर काम करने का मन बना लिया है. केंद्रीय वाहिनी के जवानों को बूथों पर भेजने के अलावा अति संवेदनशील इलाकों की पहचान करने का काम भी शुरू हो गया है. इस बार पुलिस पर्यवेक्षकों की संख्या भी बढ़ाई जा सकती है.
मिली जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय चुनाव आयोग शहर तथा ग्रामीण अंचलों में सभी बूथो पर वेब कास्टिंग की व्यवस्था करेगा. बताया जा रहा है कि राज्य पुलिस किसी भी तरह से बूथ के पास नहीं जा सकेगी. राज्य चुनाव आयोग को यह विशेष रूप से निर्देश दिया जा सकता है. विशेष पर्यवेक्षक इस बार शांतिपूर्ण और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए सभी तरह के कदम उठा सकते हैं.