December 18, 2024
Sevoke Road, Siliguri
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सिक्किम की जीवनरेखा NH-10 का प्रबंधन केंद्र के हवाले, क्या बंगाल सरकार मान जाएगी?

सिलीगुड़ी और सिक्किम को जोड़ने वाला नेशनल हाईवे 10 सिक्किम की जीवन रेखा माना जाता है. सिलीगुड़ी से सिक्किम समेत पहाड़ के विकास एवं उन्नयन में NH-10 का प्रमुख योगदान रहता है.अगर यह राष्ट्रीय उच्च मार्ग सही सलामत रहता है तो एक साथ सिलीगुड़ी, गंगटोक, दार्जिलिंग, कालिमपोंग आदि शहरों में आवागमन तथा व्यापार का कार्य निर्वाध तरीके से चलता रहता है. लेकिन अगर यह राष्ट्रीय उच्च मार्ग बंद हो जाए तो इन सभी शहरों के जनजीवन और अर्थव्यवस्था पर विपरीत असर पड़ता है. जैसा कि पिछले दिनों सिक्किम और कालिमपोंग में देखा गया था.

वर्तमान में NH-10 का हाल काफी बुरा है. यह उच्च सड़क मार्ग तीस्ता की बाढ़, भूस्खलन और बरसात की मार झेलते हुए अंदर से खोखला हो चुका है. वर्ष 2023 में अक्टूबर महीने में सिक्किम त्रासदी के बाद NH-10 की हालत उस कांच की तरह हो गई है, जहां हल्की सी चोट पड़ते ही टूट जाती है. इसका प्रमाण पिछली बरसात और भूस्खलन में ही मिल चुका है, जब सिक्किम प्रशासन ने NH-10 को बंद कर दिया.NH-10 के बंद होने से सिक्किम सरकार को रोजाना 100 करोड रुपए का घाटा होता है. यह स्वयं सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग कह चुके हैं.

सिक्किम सरकार ने कई बार केंद्र से फरियाद की कि NH-10 को केंद्र सरकार अधिकृत करके उसके प्रबंधन की जिम्मेवारी किसी केंद्रीय एजेंसी को सौंप दे. चाहे सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग हो अथवा सिक्किम के लोकसभा सांसद इंद्र ह॔ग सुब्बा हो, सबने प्रधानमंत्री से लेकर सड़क राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से फरियाद की. वास्तव में NH-10 प्रमुख रूप से दो राज्यों के बीच गुजरता है. ये हैं सिक्किम और पश्चिम बंगाल. गंगटोक से लेकर रंगपु तक का भाग सिक्किम के अंतर्गत है. जबकि रंगपो से लेकर सेवक तक का भाग पश्चिम बंगाल सरकार के अधीन आता है.

सेवक से लेकर रंगपु तक सड़क की देखरेख पश्चिम बंगाल सरकार का पीडब्लूडी करती है. रंगपो से लेकर गंगटोक तक NH10 का भाग पहले से ही केंद्रीय एजेंसी की देखरेख में है. यह भाग भूस्खलन, बाढ़ अथवा अन्य प्राकृतिक आपदाओं से कम क्षतिग्रस्त रहता है, जितना कि सेवक से लेकर रंगपु तक का भाग अक्सर क्षतिग्रस्त पाया जाता है. इसके कारण सिक्किम का सिलीगुड़ी से सड़क संपर्क भंग हो जाता है. दार्जिलिंग और कालिमपोंग का भी यही हाल रहता है. सिक्किम सरकार ने केंद्र से फरियाद की कि इस भाग को भी पीडब्लूडी से लेकर अपने हाथ में कर लिया जाए ताकि उसका कुशल प्रबंधन हो सके. पिछले दिनों सांसद सुब्बा ने केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री से मिलकर अनुरोध भी किया था, जिसका केंद्रीय मंत्री ने अनुमोदन कर दिया है.

सिक्किम सरकार को इस बात की खुशफहमी है कि केंद्र सरकार ने NH-10 के प्रबंधन की जिम्मेदारी ले ली है. परंतु समस्या यह है कि पश्चिम बंगाल सरकार ने अभी इस संबंध में केंद्र से कोई चर्चा तक नहीं की है. यह दो राज्यों का मामला है और जब तक दोनों राज्य इस पर सहमत नहीं होते हैं, तब तक अनुमोदन के बावजूद केंद्र सरकार कुछ नहीं कर सकती है. पश्चिम बंगाल सरकार को इसमें कोई नुकसान तो नहीं है. पर सरकार इसे स्वाभिमान से जोड़कर देख सकती है. क्योंकि सिक्किम सरकार ने भी इससे पहले पश्चिम बंगाल सरकार से कोई चर्चा नहीं की है.

सिक्किम के सांसद सुब्बा भी इस बात को समझते हैं कि यह इतना आसान भी नहीं है. उन्होंने आशंका व्यक्त की है कि उनके इस कदम से पश्चिम बंगाल सरकार और सिक्किम सरकार के बीच टकराव उत्पन्न करने की कोशिश की जा सकती है. सांसद का ख्याल है कि इसमें अहम का भाव ही नहीं आना चाहिए. क्योंकि केंद्रीय एजेंसी द्वारा NH10 की देख-देख होने से बंगाल सरकार को भी लाभ होगा, जितना कि सिक्किम सरकार को. उन्होंने कहा भी है कि बंगाल सरकार को इसे इस भाव से देखा जाना चाहिए कि यह दोनों प्रदेशों की सरकारों के लिए जीत है.

हालांकि पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से अभी इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. परंतु ऐसा लगता नहीं है कि बंगाल सरकार इतनी आसानी से मान जाएगी. क्योंकि वैसे भी केंद्र और राज्य सरकार के बीच 36 का आंकड़ा रहा है. ऐसे में सिक्किम सरकार को भी किसी खुशफहमी को नहीं पालना चाहिए. जब तक कि पश्चिम बंगाल सरकार इस दिशा में अगला कदम रख नहीं देती. भले ही केंद्र सरकार ने NH-10 का भाग्य बदलने का अनुमोदन कर लिया हो, पर अभी पूरी पिक्चर बाकी है.बहरहाल यह देखना होगा कि पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से N H 10 को लेकर क्या बड़ा बयान आता है.

(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)

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