January 30, 2025
Sevoke Road, Siliguri
उत्तर बंगाल लाइफस्टाइल सिलीगुड़ी

सिलीगुड़ी में अधिकांश अस्पताल और नर्सिंग होम मरीज को लूट रहे, अनुभवी डॉक्टरों की है भारी कमी!

सिलीगुड़ी शहर में बड़े-बड़े डिग्री डिप्लोमा धारी और तकनीकी डॉक्टर मिल जाएंगे. नए और पुराने नर्सिंग होम तथा अस्पतालों में ये डॉक्टर उपलब्ध हैं. जो ज्यादा बड़े डिग्री वाले जैसे एमडी, डीएम,एमएस, गोल्ड मेडलिस्ट इत्यादि, उनकी उतनी ही ज्यादा महंगी फीस होती है. आमतौर पर उनकी कंसलटेंसी फीस ₹700 से शुरू होती है. लेकिन जब एक बार रोगी डॉक्टर तथा अस्पताल के संपर्क में आता है, तब रोगी को पता चलता है कि तबीयत तो सुधरी नहीं, अलबत्ता जेब जरूर कंगाल हो गई.

इस तरह के सिलीगुड़ी में कई उदाहरण भरे पड़े हैं. ताजा उदाहरण सिलीगुड़ी के नौकाघाट के निकट रहने वाले एक मरीज का है, जिसका इलाज सिलीगुड़ी के एक सुप्रसिद्ध डॉक्टर का चल रहा है, इसलिए हम उसका नाम प्रकाशित नहीं कर रहे हैं. रोगी ने बताया कि अचानक एक रात उसके पेट में भयंकर दर्द उठा और उसकी बेचैनी लगातार बढ़ती चली गई. जब तकलीफ बर्दाश्त नहीं हुई तो वह सबसे पहले उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल गया. ड्यूटी पर कार्यरत एक मेडिकल स्टूडेंट ने सर्वप्रथम मरीज का प्राथमिक इलाज करते हुए दर्द निवारक इंजेक्शन दिया. मरीज की तकलीफ कुछ कम हुई तो वह घर वापस लौट गया.

अगले दिन मरीज के सर में तकलीफ बढ़ गई. दर्द निवारक गोलियों से भी आराम नहीं मिला. हालांकि पेट दर्द आराम था. पर पेट भारी-भारी सा महसूस हुआ. मरीज सिलीगुड़ी के एक चर्चित निजी अस्पताल में एक सुप्रसिद्ध डॉक्टर को दिखाने गया. डॉक्टर से पूछा कि पेट दर्द आराम होने के बाद अचानक उसका सर दर्द क्यों होने लगा? दोनों का आपस में कनेक्शन क्या है? डॉक्टर ने मरीज की बात सुनी और प्रिस्क्रिप्शन पर कम से कम 12 बॉडी टेस्ट, खून टेस्ट अल्ट्रासाउंड इत्यादि लिखा और मरीज को हिदायत देकर कहा कि सबसे पहले सारे टेस्ट कराये. अगले दिन टेस्ट रिपोर्ट लेकर दिखाने आएं.

अगले दिन मरीज ने डॉक्टर की हिदायत के अनुसार सारे टेस्ट कराए. और उसके अगले दिन सारे टेस्ट रिपोर्ट लेकर डॉक्टर को दिखाने पहुंचा. डॉक्टर ने मरीज की रिपोर्ट देखी और कहा कि इससे बीमारी का पता नहीं चलता है. कुछ और टेस्ट कराने होंगे. मरीज ने कहा, जिस समस्या को लेकर वह उनके पास आया है, उसका तो समाधान होना चाहिए. आप दवा लिख दीजिए ताकि आराम तो हो सके. इसके जवाब में डॉक्टर ने कहा कि प्राथमिक रिपोर्ट में कोई बीमारी है नहीं. ऐसे में दवा कैसे लिखी जा सकती है. उन्होंने कहा कि रोग को डायग्नोज करने के लिए कुछ जरूरी टेस्ट और कराने होंगे. उसके बाद ही उपयुक्त इलाज हो सकेगा.

अब तक मरीज के काफी पैसे सिर्फ टेस्ट पर ही खर्च हो चुके थे. लेकिन रोग क्या था, यह पता नहीं चला. इसलिए मरीज की बीमारी का इलाज शुरू नहीं हुआ. रोगी ने बताया कि सिलीगुड़ी के अधिकांश निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम में ऐसा ही होता है, इसलिए वह कहीं और ना जाकर उसी डॉक्टर के निर्देश के अनुसार जरूरी टेस्ट करा रहा है. पर मजे की बात तो यह है कि अभी तक उसकी बीमारी के उपयुक्त कारणों का पता नहीं चल सका है. हां डॉक्टर ने एक अनुमान के आधार पर उसका इलाज करना जरूर शुरू किया है.

इस तरह के अनुभव सिलीगुड़ी के अन्य रोगियों को भी होंगे जरूर. वास्तव में उच्च पढ़े लिखे डिग्री डिप्लोमा धारी डॉक्टर के पास सैद्धांतिक ज्ञान तो बहुत है, पर उनके पास अनुभव की भारी कमी है. किसी भी बीमारी का संपूर्ण व सटीक इलाज के लिए टेस्ट रिपोर्ट के साथ-साथ डॉक्टर का अनुभव भी जरूरी होता है. एक जमाने में डॉक्टर या वैद्य रोगी की नब्ज पकड़ कर उसकी बीमारी बता देते थे. आज रोगी की बीमारी बताने के लिए नर्सिंग होम और निजी अस्पतालों में बड़े-बड़े आधुनिक मशीनें लगी हुई है. एक साधारण सी बीमारी जैसे सर्दी जुकाम या बुखार होने पर जब आप महंगे डॉक्टर से संपर्क करेंगे,तो डॉक्टर सर्वप्रथम बीमारी का इलाज शुरू करने से पहले विभिन्न तरह के टेस्ट कराने को सलाह देगा. डॉक्टर प्रिसक्रिप्शन तैयार कर नर्स को थमा देना है. नर्स रोगी को लेकर काउंटर पर जाती है. पर्ची बनवाती है और फिर शुरू होती है उसी अस्पताल अथवा नर्सिंग होम में टेस्ट प्रक्रिया.

मरता क्या नहीं करता! रोगी को बीमारी ठीक होने की चिंता रहती है, इसलिए वह पैसे की परवाह नहीं करता. दूसरी तरफ बहुत से डॉक्टर और निजी अस्पताल या नर्सिंग होम रोगी को लूटने रहते हैं. कुछ साधारण बीमारियों के लिए मेडिकल स्टोर्स की दवाइयां ही काफी होती है और रोगी चंगा हो जाता है. लेकिन इन महंगे अस्पताल में अथवा नर्सिंग होम में एक बार में चंगा होने वाली दवाइयां जानबूझकर नहीं दी जाती हैं.

सिलीगुड़ी के सभी निजी अस्पतालों अथवा नर्सिंग होम की एक ही कहानी हो, यह तो पता नहीं. परंतु अधिकांश नर्सिंग होम और निजी अस्पताल मरीज की जेब खाली करने में जरूर जुट गए हैं. ऐसा करके वे मरीज के जीवन से भी खिलवाड़ कर रहे हैं. यही कारण है कि अधिकांश रोगी इलाज के लिए इन दिनों दक्षिण भारत के अस्पतालों की ओर रुख कर रहे हैं.

(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)

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