October 23, 2025
Sevoke Road, Siliguri
International

नेपाल के नागरिकों को बंधक बनाकर किया जा रहा था शारीरिक और मानसिक शोषण, तीन आरोपी गिरफ्तार !

नेपाल हमारा पड़ोसी देश है और भारत हमेशा उसकी मदद के लिए खड़ा रहता है, लेकिन जब उसी देश के नागरिकों को हमारे ही घर में बंधक बनाकर प्रताड़ित किया जाए, तो यह न सिर्फ रिश्तों पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि मानवीय संवेदनाओं को भी झकझोर कर रख देता है। उत्तराखंड के उधमसिंह नगर जिले के काशीपुर क्षेत्र से 35 नेपाली नागरिकों को एक नाटकीय और साहसिक संयुक्त अभियान में मुक्त कराया गया, जिसमें नेपाल दूतावास, सामाजिक संगठन KIN इंडिया और उत्तराखंड पुलिस ने मिलकर कार्रवाई की।

यह मामला तब सामने आया जब नेपाल दूतावास को सूचना मिली कि, कुछ नेपाली युवक भारत में फंसे हुए हैं और उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है। जांच में पता चला कि इन युवकों को नौकरी का झांसा देकर काशीपुर लाया गया था, जहां उन्हें एक घर में बंधक बनाकर शारीरिक और मानसिक शोषण किया जा रहा था। उनसे जबरन पैसे वसूले गए, और फिर उन्हें ‘लीड विजन ट्रेडिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ के प्रोडक्ट बेचने के लिए मजबूर किया गया।

पुलिस की छापेमारी में कुल 32 नेपाली युवक मिले, जिनमें से तीन नाबालिग थे। युवकों ने बताया कि, नेपाल के धनगढ़ी निवासी बीरेंद्र शाही ने उन्हें रोजगार का लालच देकर भारत बुलाया था। न केवल उनसे 10,000 से 30,000 रुपये तक ऐंठे गए, बल्कि कोई भी नौकरी न देकर उन्हें मानसिक गुलामी की स्थिति में धकेल दिया गया।

युवकों के अनुसार, शाही के साथ गाजीपुर (उत्तर प्रदेश) निवासी सचिन कुमार और रुद्रपुर निवासी मनीष तिवारी भी शोषण में शामिल थे। तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की कई गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

पुलिस की पूछताछ में सामने आया कि आरोपी ‘लीड विजन ट्रेडिंग’ नामक कंपनी से जुड़े थे, जिसका मुख्यालय दिल्ली के जनकपुरी में है। हालांकि, उन्होंने कंपनी के संस्थापक चेतन हांडा को जानने से इनकार किया और दावा किया कि वे केवल उनके निर्देशों का पालन कर रहे थे।

नेपाल दूतावास ने इस घटना को एक गंभीर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार उल्लंघन बताया और भारत सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि ऐसे मामले दोहराए गए, तो यह भारत-नेपाल संबंधों की गरिमा को ठेस पहुंचा सकता है।

यह घटना एक बार फिर दर्शाती है कि, कैसे लालच और धोखे की चक्की में इंसानियत को पीस दिया जाता है। पुलिस और दूतावास की तत्परता से इन युवकों को तो आज़ादी मिल गई, लेकिन यह सवाल अभी भी कायम है — क्या हमारी व्यवस्था ऐसे मानव तस्करों को जड़ से मिटा पाएगी?

(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)

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