पुलिस वैन में तीन कैदी बैठे थे. उनमें से दो महिलाएं थी और एक पुरुष. पुरुष कैदी का नाम सज्जाक आलम था. वह हत्या के एक मामले में आरोपी था. कोर्ट में पेशी के बाद इन विचाराधीन कैदियों को जेल ले जाया जा रहा था. पुलिस वैन में दो पुलिसकर्मी ए एस आई देवेन वैश्य और कांस्टेबल नीलकांत सरकार भी अपने हथियारों के साथ बैठे थे.
कचहरी और जेल के बीच रास्ते में हत्यारोपी कैदी सज्जाक आलम ने कहा, मुझे लघुश॔का जाना है. पुलिस कर्मियों ने गाड़ी रोकने का इशारा किया. इसके बाद सज्जाक आलम वैन से नीचे उतरा. अचानक ही उसने चादर से ढके बदन के नीचे से पिस्तौल निकाला और दोनों पुलिसकर्मियों पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दी. इससे पहले कि पुलिसकर्मी संभल पाते, सज्जाक आलम ने दोनों को ही बुरी तरह घायल कर दिया और वहां से भाग निकला. यह कोई फिल्मी घटना नहीं है, जो आप अक्सर फिल्मों में देखते हैं. बल्कि यह हकीकत है जो सुर्खियों में है.
यह घटना घटी है उत्तर दिनाजपुर जिले में. तीन विचाराधीन कैदियों को रायगंज जेल से इस्लामपुर कोर्ट ले जाया गया था. वहां से पेशी के बाद कैदियों को रायगंज जेल ले जाने के दौरान यह घटना घटी थी. सवाल यह है कि हत्या के आरोपी कैदी सज्जाद आलम के पास पिस्तौल कहां से आई? क्या उसे किसी ने पिस्तौल दी थी या फिर वह जेल से ही चादर में छुपा कर पिस्तौल लेकर आया था? उसकी चादर की जांच क्यों नहीं की गई? अगर वह जेल से ही पिस्तौल लेकर आया था तो जेल में पिस्तौल उसके पास कहां से आई? अब तक की जांच में पुलिस ने यह पता लगा लिया है कि सज्जाक आलम को कचहरी में ही पिस्तौल दी गई थी और उसे पिस्तौल देने वाला अब्दुल हुसैन है, जो ग्वाल पोखर का रहने वाला है. वह फरार बताया जा रहा है.
अगर सज्जाक आलम को इस्लामपुर कोर्ट में पेशी के दौरान पिस्तौल दी गई तो उस समय पुलिसकर्मी कहां थे? इस तरह के कई सवाल उत्पन्न हो रहे हैं. पुलिस सिर्फ कहती है कि मामले की जांच चल रही है. बहरहाल यह घटना बताती है कि बदमाशों के हौसले किस तरह बढ गए हैं. पुलिस की भी इसमें खिंचाई हो रही है कि बदमाशों और अपराधियों को कोर्ट अथवा जेल ले जाते समय पर्याप्त सतर्कता नहीं बरती जाती.
उत्तर बंगाल के आईजी राजेश यादव को भी जवाब देते नहीं बन पा रहा है. घायल पुलिस अधिकारियों को सिलीगुड़ी के अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज चल रहा है. राजेश कुमार यादव अपने स्टाफ कर्मचारियों को देखने के लिए सिलीगुड़ी पहुंचे थे. उन्होंने मीडिया को बताया कि घटना की जांच की जा रही है कि कैदी के पास पिस्तौल कैसे आई. इस पूरी फिल्मी घटना में साफ लगता है कि कैदी ने पहले से ही फरार होने की पुख्ता योजना बना ली थी. पुलिस महानिदेशक राजीव कुमार का यह बयान कि पुलिस कर्मियों पर हमला करने वाले का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा, इस बात की ओर इशारा करता है कि पुलिस ने इस घटना को चुनौती के रूप में स्वीकार किया है.
बहरहाल कैदी सज्जाक आलम और उसे हथियार मुहैया कराने वाला अब्दुल भी फरार हो चुका है. उनकी गिरफ्तारी के लिए सभी संभावित ठिकानों पर पुलिस की छापेमारी चल रही है. उधर इस घटना में घायल दोनों पुलिसकर्मियों का सिलीगुड़ी के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है. फरार कैदी सज्जाक आलम और अब्दुल हुसैन की गिरफ्तारी के लिए पुलिस महकमा की ओर से दो-दो लाख रुपये इनाम की घोषणा की गई है.
यह घटना ऐसी है कि जिसने पुलिसकर्मियों की नींद उड़ा दी है. यही कारण है कि डीजी राजीव कुमार भी विमान से कोलकाता से बागडोगरा हवाई अड्डे पहुंचे. उन्होंने एक निजी अस्पताल में जाकर घायल पुलिसकर्मियों से बातचीत की. पुलिस महानिदेशक ने ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टरों तथा घायल पुलिस कर्मियों के परिजनों से भी पूछताछ की और सीधे घटनास्थल के लिए निकल गए. इससे पहले पुलिस के कई वरिष्ठ अधिकारी भी घायल पुलिसकर्मियों को देखने अस्पताल पहुंचे. एडीजी कानून व्यवस्था जावेद शमीम, सिलीगुड़ी के पुलिस कमिश्नर सी सुधाकर भी अस्पताल पहुंचे.
अब तक पुलिस की जांच में पता चला है कि पुलिस कर्मियों पर गोलीबारी करने वाले आरोपी सज्जाक आलम की पिस्तौल से निकली गोली और कारतूस पुलिसकर्मियों के नहीं थे. इसका सीधा मतलब यह है कि सज्जाक आलम के पास पहले से ही पिस्तौल थी. कहीं ना कहीं पुलिसकर्मियों से भी चूक हुई है. यह कोई पहली घटना नहीं है. इससे पहले भी मालदा जिले में राजनीतिक घटना घट चुकी है, जहां शूटआउट का खेल सुर्खियों में है. मालदा में हुई गोलीबारी में एक टीएमसी नेता की मौत हो गई थी. हालांकि यह हत्याकांड टीएमसी में व्याप्त गुटीय संघर्ष का परिणाम बताया जाता है. जो भी हो, इन घटनाओं से पता चलता है कि अपराधियों में पुलिस और कानून का कोई खौफ नहीं है. उनका दुस्साहस और हौसला लगातार बढ़ता जा रहा है, जो पुलिस, कानून और नागरिकों के लिए चिंता का विषय है.
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