एक बड़ी त्रासदी से उबरे सिक्किम के लिए कई गौरवशाली क्षण हैं. सिक्किम का उत्तरी जिला पूरी तरह दुरुस्त हो चुका है. एक लंबे समय तक यह भाग सिक्किम से कटा रहा था. यहां पर्यटक नहीं आ सकते थे. क्योंकि भूस्खलन व बाढ़ में सब कुछ तबाह हो चुका था. पुल, सड़क, राष्ट्रीय राजमार्ग सब कुछ ध्वस्त हो चुका था. अब सिक्किम के इस भाग में पर्यटक आवागमन कर सकेंगे. 1 दिसंबर से मंगन जिला पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है. सिक्किम के लिए दूसरी बड़ी खुशखबरी स्वयं भारत के रेल मंत्री ने दी है. पहली बार एक जिम्मेदार रेल मंत्री ने संसद में यह बात बताई है. इसलिए सिक्किम और पूरे उत्तर पूर्व भारत को यह जानना जरूरी है.
सेवक रंगपो रेल नेटवर्क का काम तो लगभग समाप्त हो चुका है. अब बात करिए सिक्किम गंगटोक का. गंगटोक भी राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से जुड़ने जा रहा है. सिक्किम की तकदीर रेलवे मंत्रालय लिखने जा रहा है. पूर्वोत्तर का यह इलाका आज विकास और पहचान के लिए मोहताज नहीं है. सिक्किम आज खुश है. मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तामांग और सांसद सुब्बा रेल मंत्रालय और केंद्र सरकार पर मेहरबान दिख रहे हैं.वे केंद्र सरकार की नीतियों की प्रशंसा करते नहीं थक रहे.
रेल मंत्रालय ने संसद में स्पष्टीकरण दे दिया है कि 2025 तक रेल नेटवर्क से गंगटोक जुड़ जाएगा. सेवक रंगपु रेल लाइन का काम लगभग पूरा हो चुका है. केवल 3 किलोमीटर सुरंग खोदने का काम ही बाकी रह गया है. अगला चरण रंगपु से लेकर गंगटोक तक रेल नेटवर्क विस्तार का है. इस परियोजना के लिए फाइनल लोकेशन के सर्वे का काम पूरा हो चुका है.सिक्किम के लिए इससे बड़ी खुशी की बात क्या हो सकती है. यही कारण है कि संसद में सिक्किम के सांसद सुब्बा फूले नहीं समा रहे थे, जब रेल मंत्री सैकड़ो सांसदों की उपस्थिति में बता रहे थे.
44 किलोमीटर लंबी सेवक रंगपो रेल परियोजना पर अनुमानित लागत 12132 करोड़ रुपए अब तक आ चुकी है. मार्च 2024 तक इस पर 7032 करोड रुपए खर्च हो चुका है.वित्तीय वर्ष 2025 के लिए 2330 करोड रुपए का आवंटन किया गया है. इस परियोजना में 39 किलोमीटर सुरंग खुदाई का काम पूरा हो चुका है. केवल 3 किलोमीटर का काम बाकी रह गया है. इस परियोजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है.
अब तक इस परियोजना की प्रगति के बारे में या तो मीडिया रिपोर्ट सामने आई है. या फिर रेलवे बोर्ड के किसी अधिकारी का बयान. पहली बार स्वयं रेल मंत्री ने संसद में बयान दिया है. इसलिए इस बयान का काफी महत्व है. रेल मंत्री ने संसद में बताया है कि इस परियोजना को समय पर पूरा कर लिया जाता, परंतु यह एक ऐसा प्रोजेक्ट है जहां इसे पूरा होने में स्थानीय स्थितियां, पर्यावरण आदि कई कारकों ने प्रोजेक्ट को प्रभावित किया. उन्होंने बताया कि प्रोजेक्ट पूरा होने में क्यों विलंब हो रहा है.
इस परियोजना को अंतिम रूप देने में इसलिए वक्त लग रह रहा है, क्योंकि यहां के हालात, भौगोलिक वातावरण, भूगर्भीय स्थिति, भूमि अधिग्रहण, वन स्वीकृति, इंफ्रास्ट्रक्चर, विभिन्न अधिकरणों से स्वीकृति, कानून व्यवस्था, भौगोलिक और भूगर्भीय स्थितियों ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया है. मजदूरों को काम करते हुए विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. कुछ ही समय पहले यहां भूस्खलन और वर्षा के कारण काम काफी समय तक रुका रहा था.
सिक्किम के मुख्यमंत्री को लगता है कि उनके कार्यकाल में सिक्किम एक इतिहास लिखेगा. सिक्किम में पर्यटन का विस्तार होगा. इससे सिक्किम के लोगों को काम मिलेगा. पहली बार स्वयं रेल मंत्री के द्वारा इस तरह का संसद में बयान दिया जाना इस परियोजना को लेकर सरकार की गंभीरता को दर्शाता है. यही कारण है कि सिक्किम के सांसद सुब्बा मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग की प्रशंसा करते नहीं थक रहे थे. उन्होंने कहा कि यह परियोजना हिमालय क्षेत्र में विकास के लिए सिक्किम को भारत के अग्रणी राज्यों में से एक के रूप में स्थापित करने में मदद करेगी.
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