आज माटीगाड़ा के बहुचर्चित अभया हत्या कांड का फैसला नहीं आ सका. मोहम्मद अब्बास को और एक दिन की मोहलत सुकून से सांस लेने की मिल गयी है. दूसरी तरफ RGकर की ट्रेनी महिला डॉक्टर की हत्या की गुत्थी लगातार उलझती जा रही है. सीबीआई मृतका की डायरी की सूक्ष्मता से जांच कर रही है. आखिर महिला डॉक्टर ने अपनी डायरी में ऐसी क्या बात लिखी है, जो सीबीआई को भी हैरान कर देने वाली है.
सीबीआई अधिकारियों को लगता है कि अगर महिला डॉक्टर द्वारा डायरी लिखने के समय उसकी मनःस्थिति, वातावरण, भाव और अन्य पहलुओं के बारे में पता चल जाए तो सीबीआई का काम आसान बन जाएगा. महिला डॉक्टर ने अपनी डायरी में कई ऐसी बातें लिखी है जिन्हें जानना सीबीआई के लिए अत्यंत आवश्यक है. और यही कारण है कि सीबीआई ग्राफ़ोलॉजी विशेषज्ञों की मदद लेने पर विचार कर रही है.
एक क्लीनिकल ग्राफ़ोलॉजी ही बता सकती है कि कोई बात किस उद्देश्य से अथवा किन परिस्थितियों में लिखी गई है. लिखते समय संबंधित व्यक्ति किसी दबाव में था या नहीं. इसी मामले पर पीड़िता का परिवार कोलकाता पुलिस पर पैसे देने का आरोप भी लगा चुका है.
सीबीआई के अधिकारी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि मृतका ने डायरी में बातें किसी खास उद्देश्य के लिए तो नहीं लिखी? इसके अलावा केंद्रीय एजेंसी पीड़िता के मोबाइल फोन के मैसेज पर भी गौर कर रही है. साथ ही मैसेज का आदान-प्रदान करने वाले लोगों के बारे में भी जानकारी और छानबीन जुटा रही है.
पिछले दिनों पश्चिम बंगाल विधानसभा में ममता बनर्जी की सरकार ने प्रदेश में दूसरा आरजीकर ना हो, इसके लिए एक विधेयक विधानसभा में लाया था. जिसे अपराजिता विधेयक नाम दिया गया था. यह विधेयक सदन में पारित भी हो गया और कानून बनने के लिए विधेयक को नियमानुसार राज्यपाल सी वी आनंद बोस के पास अनुमोदन के लिए भेजा गया.
इस विधेयक का समर्थन विधानसभा में राज्य भाजपा ने भी किया था. इसलिए सरकार को लगता था कि राज्यपाल विधेयक का अनुमोदन कर देंगे और इस तरह से विधेयक कानून बन जाएगा. परंतु ऐसा लगता है कि विधेयक अत्यंत जल्दबाजी में लाया गया है. राज्यपाल ने अपराजिता विधेयक को लेकर ममता बनर्जी की सरकार और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को घेरा है. राज्यपाल ने ममता बनर्जी की सरकार पर चालबाजी का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि विधेयक के साथ तकनीकी रिपोर्ट नहीं भेजी गई है.
राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने राज्य सचिवालय की खिंचाई करते हुए कहा है कि विधेयक के साथ तकनीकी रिपोर्ट क्यों नहीं भेजी गई. उन्होंने इस विधेयक को आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र तथा अरुणाचल प्रदेश की नकल बताया. उन्होंने कहा कि लोगों को गुमराह करने के लिए यह विधेयक लाया गया है. प्रदेश के जूनियर डॉक्टर भी इस विधेयक को लेकर यही दावा कर रहे हैं. उन्होंने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है.
आरजीकर अस्पताल में हुई घटना के खिलाफ आंदोलन कर रहे जूनियर डॉक्टरों ने विधेयक पर आपत्ति जताते हुए इसे सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का हथकंडा बताया है. मंगलवार को दुष्कर्म विरोधी विधेयक सर्व समिति से विधानसभा में पारित हो गया था. जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि आरजीकर कांड में अपनी भूमिका को लेकर राज्य सरकार सवालों के घेरे में है.इसलिए सस्ती लोकप्रियता के लिए सरकार इस तरह का हथकंडा अपना रही है.
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