भारतीय सेना की 107 इन्फेंट्री बटालियन टेरिटोरियल आर्मी 11 गोरखा राइफल्स का इतिहास, विश्वास और राष्ट्रभक्ति अद्भुत है. यह बटालियन न केवल सैनिक कार्यों में विशिष्ट स्थान रखता है, बल्कि भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर, सुरक्षा, संसाधनों की देखभाल और संचार को बनाए रखने में अपनी पूरी ताकत लगा देता है.
मणिपुर भारत का गौरव बन गया है. यहां नोनी पुल के निर्माण में गोरखा टेरियर्स ने जो मदद की है, उसकी मिसाल अन्यत्र देखने को नहीं मिलेगी. मिलिट्री सेवा के अलावा गोरखा ट्रेरियर्स का समर्पण, उत्साह और देश के प्रति जज्बा ने एक प्रेरणा दी है.
भारत की विशेषताओं में एक और विशेषता जुड़ गई है. यह विशेषता है नोनी पुल, जो दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पियर ब्रिज है. यह पुल मणिपुर में है और पुल संख्या 164 पर बना है. दुनिया में सबसे ऊंचा पुल मोंटेगरो में है, जो 139 मीटर ऊंचा है. जबकि यह पुल 140 मीटर ऊंचा है और 703 मीटर लंबा. पुल को बनाने में 374 करोड रुपए खर्च किए गये हैं.
इस पुल के निर्माण में भारतीय सेना के गोरखा टेरियर ने कमाल की बहादुरी दिखाई है. सेना की 107 इन्फेंट्री बटालियन टेरिटोरियल आर्मी 11 गोरखा राइफल्स, जिसे गोरखा ट्रेरियर्स के नाम से जानते हैं, मिलिट्री सेवा के अलावा पुल के निर्माण और बुनियादी ढांचे की सुरक्षा में अद्भुत पराक्रम का परिचय दिया है. इस रेलवे bridge के निर्माण में सुरक्षा उपलब्ध कराने वाली गोरखा टेरियर की जितनी तारीफ की जाए, कम है.
रेलवे पियर ब्रिज का निर्माण बीबीजे कंस्ट्रक्शन कंपनी की देखरेख में हुआ है. इस ब्रिज को पूर्वोत्तर की रणनीतिक जीवन रेखा माना जाता है. इसे 25 अप्रैल 2025 को अंतिम रूप दिया गया. यह सिविल इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना है. यह गोरखा राइफल्स के राष्ट्रीय संकल्प, देशभक्ति और समर्पण का एक उत्कृष्ट उदाहरण है.
इस सेतु के तैयार हो जाने से पूर्वोत्तर राज्यों को शेष भारत से जोड़ने और विकास के लिए एक सुंदर मॉडल प्रस्तुत करने में सफलता मिली है. जानकार मानते हैं कि नोनी पुल के बन जाने से मणिपुर और आसपास के क्षेत्र में विकास को एक नई गति मिलेगी. यहां बेरोजगारी दूर होगी और उद्योग के क्षेत्र में भी निवेश आएगा. भारत की प्रतिष्ठा, विश्वास, एकता और विकास के प्रतीक नोनी ब्रिज पूर्वोत्तर राज्यों को एक नई गति एक नया संकल्प और एक नई राष्ट्रपति राष्ट्रीय भक्ति की सीख देने के लिए तैयार है देने के लिए तैयार है.
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