आपकी व्यक्तिगत जानकारी पर है किसी की नजर. किसी ने आपका वह सब कुछ चुरा लिया है, जो आप किसी से छिपाना चाहते हैं या सार्वजनिक करना नहीं चाहते हैं. जरा सोचिए, ऐसी स्थिति में आप पर क्या बीतेगा? आपकी क्या प्रतिक्रिया होगी? वर्तमान में कुछ इसी तरह की खलबली जनता और सरकार में भी देखी जा रही है. लोग डरे हुए हैं. सहमे हुए हैं. सरकार के भी हाथ पांव फूल गए हैं.
यह पुष्टि हो चुकी है कि 81 करोड़ लोगों का आधार डेटा ब्लैक मार्केट में बिक रहा है. यह कैसे लीक हुआ, किसी के पास भी इसका जवाब नहीं है. ना तो सरकार जवाब दे रही है और ना ही संस्थान. सभी को हैकर्स ने मजबूर कर रखा है और ब्लैकमेल कर रहा है. इस महीने 9 अक्टूबर को डार्क वेब पर 80 करोड़ से ज्यादा लोगों का आधार डेटा लीक हुआ था. PWN 0001 नामक एक हैकर ने चोरी के डेटा को डार्क वेब पर बेचने के लिए 80000 डॉलर यानी 66.5 लाख रुपए मांगा था. अब सीबीआई इसकी जांच कर रही है.
आपको बताते चलें कि डार्क वेब का इस्तेमाल इंटरनेट पर नियम कानून से बचने और आम लोगों को ठगने के लिए हैकिंग के उद्देश्य से किया जाता है. इस प्लेटफार्म पर देश के 81 करोड लोगों के नाम, पता, फोन नंबर ,आधार कार्ड, पासपोर्ट के डिटेल्स हैकर्स के हाथ लग गए हैं. कल्पना करिए कि इस स्थिति में आपकी पर्सनल लाइफ गोपनीय नहीं रह जाती है, जिसका फायदा कोई भी उठा सकता है. यह सब कुछ अमेरिका की साइबर सिक्योरिटी कंपनी ने एक रिपोर्ट में प्रकाशित किया है. इसके बाद से देश भर में भूचाल आ गया है. एजेंसियां और सरकार तक हिल गई है.
इस डेटा लीक में एक लाख से ज्यादा कंप्यूटर फाइल्स है. सरकारी पोर्टल के वेरीफाई आधार फीचर के साथ डेटा को वेरीफाई किया गया. इसके बाद डेटा लीक का प्रमाण भी मिल गया. जिन व्यक्तियों ने कोविड-19 के दौरान डोज लेने के लिए अपना पर्सनल डिटेल्स आईसीएमआर को दिया था, उन्हीं डेटा को साइबर हैकर्स ने चुराया है. यह कम हैरानी वाली बात नहीं है कि देश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान एम्स से डेटा चोरी की गई है.
हालांकि डेटा लीक का यह कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले 2023 के आरंभ में भी एम्स के सर्वर को हैक कर लिया गया था. इसके बाद देश के बड़े चिकित्सा संस्थान में 15 दिनों तक मैन्युअल काम हुआ था. जिसके कारण रोगी, चिकित्सा, मेडिकल, ऑपरेशन सब कुछ अस्त व्यस्त हो गया था. एम्स असहाय हो गया और हैकर्स से रिलीज की गुहार की थी. बदले में हैकर्स ने फिरौती की मांग की थी.
दिसंबर 2022 में भी एम्स का डेटा लीक हुआ था. चीन के हैकर्स ने इसे चुराया था. बदले में उसने क्रिप्टोकरेंसी में 200 करोड रुपए की मांग की थी. लेकिन ताजा डेटा लीक का मामला अब तक का सबसे बड़ा लीक मामला है. सरकार के भी हाथ पांव फूल गए हैं. क्योंकि यह 81 करोड़ भारतीयों के पर्सनल डिटेल्स सार्वजनिक होने का खतरा बढ़ गया है. यह देश की सुरक्षा के लिए भी अत्यंत घातक साबित हो सकता है. कल्पना करिए कि आज देश में साइबर अपराधियों का जो इतना बड़ा आतंक है, ऐसे में अगर उन्हें 81 करोड़ भारतीयों का पर्सनल डिटेल्स हाथ लग जाता है तो ऐसी स्थिति में साइबर अपराधियों द्वारा बड़े खेल को अंजाम दिया जा सकता है. उस समय कोई भी सुरक्षित नहीं होगा.
सरकार भी इस बात को अच्छी तरह समझती है. हैकर्स के मंसूबे को विफल करने के लिए एजेंसियां जुट गई है. उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार सभी भारतीयों की सुरक्षा और गोपनीयता का पूरा प्रबंध करेगी तथा जल्द से जल्द मौजूदा समस्या का समाधान ढूंढ निकालेगी.