एक जमाना था, जब विज्ञान विकसित नहीं था. उस समय शिक्षा का ज्यादा विकास नहीं हुआ था. तब लोग भूत प्रेत की बातें करते थे. अगर किसी को कोई बीमारी हो जाती तो यह समझा जाता कि उस पर भूत प्रेत का साया है. इसके बाद लोग उस व्यक्ति को डॉक्टर अथवा अस्पताल में नहीं, बल्कि ओझा और तांत्रिकों के पास ले जाते थे. जहां ओझा तांत्रिक ऐसे रोगियों का इलाज झाडफूंक के माध्यम से करते थे.
आज के विद्यार्थियों को भूत प्रेत की बातें कपोल कल्पित लगती है. क्योंकि उन्होंने विज्ञान की बातें स्कूलों में सीखी है. आज के बच्चे भूत प्रेत से नहीं डरते. क्योंकि वह जानते हैं कि यह सभी डरने और डराने वाली बातें हैं. ऐसे में जब यह बात सुनने को आती है कि भूत ने 12वीं के किसी परीक्षार्थी को पेपर देने से रोक दिया तो बड़ा अजीब सा लगता है. लेकिन यह सच्ची घटना है और सिलीगुड़ी से ज्यादा दूर की भी नहीं है.
अलीपुरद्वार जंक्शन के निकट स्थित एक हाई स्कूल में पढ़ने वाली छात्रा बबीता (कल्पित नाम) 12वीं का एग्जाम दे रही थी. उसका सेंटर श्यामा प्रसाद विद्या मंदिर में पड़ा था. जब बबीता पेपर देने के लिए विद्यालय में पहुंची तभी वह बीमार हो गई. आनन फानन में बबीता को एंबुलेंस से अस्पताल ले जाया गया. लेकिन जब बबीता के परिजनों को पता चला तो वह बबीता को अस्पताल नहीं ले जाकर उस ओझा के पास ले गए, जो पहले भी बबीता का इलाज कर चुका था.
बबीता की कम उम्र में ही शादी हो गई थी. वह ससुराल में रह रही थी और ससुराल से ही अपनी पढ़ाई पूरी कर रही थी. बबीता को जिला अस्पताल में लेकर केंद्र के दो कर्मचारी और शिक्षक भी आए थे. बबीता की सास ने कहा कि बबीता पर प्रेत का साया सवार है. इसलिए अस्पताल में उसका इलाज नहीं हो सकता. बबीता का इलाज तो ओझा ही कर सकता है. अस्पताल के डॉक्टर, शिक्षक व अनुभवी लोगों ने उसकी सास को समझाया कि आज के जमाने में यह सभी बातें बकवास हैं. इसलिए वे चिंता नहीं करें. इलाज के बाद बबीता ठीक हो जाएगी और वह अपना बाकी पेपर आराम से दे सकेगी.
लेकिन बबीता के परिजन और उसकी सास नहीं मानी और बबीता को लेकर वे लोग ओझा के पास पहुंचे. ओझा ने पहले की तरह ही बबीता की झाड़ फूक शुरू कर दी. ओझा ने कहा कि बबीता को प्रेत परेशान कर रहा है. आज मैं इस प्रेत को भगाकर ही दम लूंगा. यह कहकर ओझा ने बबीता की बेरहमी से पिटाई कर दी. बबीता चीखती चिल्लाती रही. ओझा ने कहा कि बबीता ठीक हो गई है. उसे घर ले जा सकते हैं. अलीपुरद्वार के नॉर्थ प्वाइंट इलाके में यह घटना लोगों के आश्चर्य और हैरानी का विषय बन चुकी है.
शायद कोई भी पढ़ा लिखा व्यक्ति यह मानने को तैयार नहीं होगा कि किसी भूत के कारण बालिका परीक्षा नहीं दे पाई. लेकिन उसके परिजन तो यही कहते हैं. यह घटना इलाके में एक सनसनी की तरह तेजी से वायरल हो रही है. उच्च माध्यमिक शिक्षा परिषद के अलीपुरद्वार जिला सलाहकार बोर्ड के संयुक्त संयोजक भास्कर मजूमदार इसे अंधविश्वास से जोड़कर देख रहे हैं. उन्होंने बबीता तथा उसके घर वालों को काफी समझाने की कोशिश की. लेकिन इसका कोई असर नहीं पड़ा. जबकि बालिका के परिजन आज भी यह मानने को तैयार नहीं है कि बबीता को कोई बीमारी थी. जो भी हो, भूत पिशाच के चक्कर में के साथ के चक्कर में बबीता उच्च माध्यमिक की परीक्षा नहीं दे पाई है
इस परिवार के बारे में बताया जा रहा है कि यह परिवार अंधविश्वास और भूत प्रेत में विश्वास करता है. बबीता की सास निर्मला देवी बताती है कि कुछ समय पहले यहां कई लोगों की अकाल मौत हो गई थी. उनकी आत्मा भूत बनकर भटक रही है. मेरी बहू भी आत्मा की शिकार बन चुकी है. ओझा ने कहा है कि बबीता को ज्यादा घूमने फिरने नहीं देना है. इसलिए हम उसे घर से बाहर जाने नहीं दे रहे हैं. विज्ञान मंच के जिला सचिव शांतनु दत्त का कहना है कि इन घटनाओं के कारण विज्ञान के विकास का हमें लाभ नहीं मिल पाता है. यह सभी घटनाएं प्रगति की राह में बाधक हैं. यह विज्ञान का युग है और इस युग में भूत प्रेत की बातें नहीं की जा सकती हैं.
जो भी हो, इस इलाके में यह चर्चा शुरू हो गई है कि भूत ने बबीता को उच्च माध्यमिक की परीक्षा देने से रोक दिया!
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