श्राद्ध चल रहा है. अगले 2 अक्टूबर तक इस दौरान कोई भी शुभ कार्य न करें. यह पितर पक्ष होता है. इस दौरान पितर लोग धरती पर आते हैं और अपने परिवार, वंश व संबंधियों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं. पितरों का आशीर्वाद लेने के लिए पितरों का आह्वान किया जाता है तथा शुद्ध मन से उन्हें याद किया जाता है.
शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि घर के बड़े बुजुर्ग, पूर्वज साल में एक बार अपने घर वालों से मिलने के लिए धरती पर आते हैं. घर में सुख शांति और प्रसन्नता देखकर उन्हें भी सुख मिलता है. पितरों का स्वागत करने के लिए इस दौरान उनका पूरा ख्याल रखा जाता है. यह पितर लोग किसी भी रूप में आपके घर आ सकते हैं और आपकी स्थिति का पता लगा सकते हैं.अगर पितर प्रसन्न हुए तो आप पर कृपा बरसा कर चले जाएंगे. लेकिन अगर नाराज हुए तो आपके घर की सुख शांति छिन जाएगी.
हमारे समाज में पितृ पक्ष का बड़ा महत्व है. अनेक लोग इस दौरान पितरों का श्राद्ध कर्म करवाते हैं तथा अनुष्ठान करवाते हैं. ब्राह्मणों को बुलाकर दान दक्षिणा कराया जाता है. उन्हें सप्रेम भोजन कराया जाता है. ऐसी मान्यता है कि ब्राह्मण जितने तरह के भोजन करेंगे, पितरों को वह सब प्राप्त होता है. आपके पूर्वज खुश हो जाते हैं. इसलिए ब्राह्मण का खूब सत्कार करें और उन्हें प्रसन्न करके ही घर से विदा करें. इस साल पितृ पक्ष 17 सितंबर से शुरू हो गया है. हालांकि आज से इसकी पहली तिथि मानी जा सकती है. यह 2 अक्टूबर को समाप्त होगा.
पितृ पक्ष के दौरान लोगों को तामसिक भोजन से दूर रहना चाहिए. शुद्ध शाकाहारी भोजन करना चाहिए. अपने भोजन में से कुछ अंश पक्षी और जानवरों के लिए निकाल देना चाहिए. जब तक पितर पक्ष रहेगा तब तक नए वस्त्र नहीं पहनना चाहिए. उसके अलावा कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए.जैसे भवन निर्माण, जमीन की खरीद, मुंडन, संस्कार,शादी विवाह ,सगाई आदि कोई भी शुभ कार्य न करें. यहां तक कि नई दुकान, रेस्टोरेंट का भी उद्घाटन इस दौरान नहीं होना चाहिए.
पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण करने के लिए आप सुबह-सुबह उठ जाएं. स्नान करने के बाद जल में काले तिल डालकर सूर्य भगवान को जल दें. उसके पश्चात भोजन बनाएं.पितरों के लिए भोजन अलग रखें. उसके पश्चात भोजन करें. पूर्व दिशा में मुंह रखकर ही पितरों का तर्पण करना चाहिए.अनेक लोग पितरों का तर्पण करने के लिए गया जाते हैं. जबकि कई लोग नदी में स्नान करते हैं. प्रत्येक दिन पितरों को याद करने के लिए समय निकाले और उस दौरान पितरों का ही स्मरण करें. अगर आपसे कोई भूल चूक हो गई हो तो पितरों से क्षमा याचना कर ले.
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