तीस्ता नदी, बारिश और भूस्खलन के कारण सिक्किम की जीवन रेखा कही जाने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 10 तबाह हो चुकी है. इसे यातायात के लिए बंद कर दिया गया है. राष्ट्रीय राजमार्ग बंद हो जाने से सिक्किम को 100 करोड रुपए से अधिक का नुकसान हो चुका है. हालांकि सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने कहा है कि NH10 बंद होने से सिक्किम को रोजाना 100 करोड रुपए का नुकसान हो रहा है. उन्होंने केंद्र से मदद मांगी है.
सबसे पहले यह समझते हैं कि सिक्किम के लिए NH10 इतना महत्वपूर्ण क्यों है. सिक्किम और सिलीगुड़ी,समतल, Dooars आदि को जोड़ने वाला NH-10 एक महत्वपूर्ण मार्ग है. सिक्किम और इन क्षेत्रों के लोग इसी मार्ग से होकर आवागमन करते हैं. यह मार्ग पूर्वोत्तर भारत को शेष भारत से जोड़ने का काम करता है. चीन सीमा के नजदीक यह मार्ग गुजरता है. इसलिए यह सामरिक रूप से भी काफी महत्वपूर्ण है. सिक्किम,दार्जिलिंग, सिलीगुड़ी, तराई और Dooars क्षेत्र के बीच यह जीवन रेखा की तरह है. वर्तमान में यह मार्ग बुरी तरह तबाह हो चुका है. पिछले साल सिक्किम की लहोनक झील फटने के बाद से ही मार्ग की तबाही जारी है.
इस तरह से केवल सिक्किम के लिए ही नहीं, बल्कि कालिमपोंग, दार्जिलिंग, सिलीगुड़ी, समतल, Dooars आदि क्षेत्रों के लोगों के लिए भी NH-10 काफी महत्वपूर्ण है. सिक्किम के मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से इसकी सुधि लेने के लिए कहा है. केंद्र सरकार ने इस मार्ग के भविष्य को बचाने को लेकर काम करना भी शुरू कर दिया है. विशेषज्ञों से विचार विमर्श किया जा रहा है. उनका निर्णय भी लिया जा रहा है. इस बीच सिक्किम के मुख्यमंत्री ने NH 10 सड़क के रख रखाव और प्रबंधन को केंद्रीय एजेंसी के सुपुर्द कर देने की सलाह दी है. केंद्र सरकार ने इसे मंजूर भी कर लिया है.
पर सवाल यहां यह भी है कि NH10 की जैसी संरचना है और यह महत्वपूर्ण सड़क जिन-जिन क्षेत्रों से होकर सिक्किम की चीन सीमा से लगती है, उसमें अधिकांश भाग तीस्ता नदी से जुड़ा हुआ है. यही कारण है कि बाढ़ और भूस्खलन में सड़क कई जगह पर कट जाती है. केंद्रीय एजेंसी नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया द्वारा इसे हाथ में लिए जाने के बावजूद भी तीस्ता के कहर से इसे कैसे बचाया जा सकेगा. क्या ऐसा नहीं हो सकता कि NH-10 का वैकल्पिक मार्ग ढूंढा जाए और उस पर सरकार काम करे.
प्रेम सिंह तमांग ने केंद्र सरकार को एक सुझाव दिया है कि अगर NH-10 के वैकल्पिक मार्ग पर काम किया जाए तो बहुत हद तक सिक्किम को आर्थिक नुकसान से बचाया जा सकता है. यह वैकल्पिक मार्ग क्या है. पश्चिम बंगाल के बागराकोट से सिक्किम के रोड़ाथांग के बीच हिमालयन रेलवे के समानांतर वैकल्पिक मार्ग तैयार करने की सिक्किम के मुख्यमंत्री ने सलाह दी है. उनका विचार है कि अगर केंद्र सरकार इस पर काम करे तो सिक्किम तक जाए तो समस्या का काफी हद तक समाधान हो सकता है.
दरअसल 1917 में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने पश्चिम बंगाल के बागराकोट से सिक्किम के रोड़ाथांग तक एक वैकल्पिक मार्ग का पता लगाया था. प्रस्तावित मार्ग की रूपरेखा भी तैयार कर ली गई थी. किन्हीं कारणों से इस पर काम शुरू नहीं हो सका. प्रेम सिंह तमांग चाहते हैं कि केंद्र सरकार इस योजना पर काम करे. यह क्षेत्र तीस्ता नदी से दूर है और वहां बाढ़ का खतरा भी कम रहेगा. ऐसे में वैकल्पिक सड़क निर्माण होने से सिक्किम का देश के शेष भाग से सड़क संपर्क कभी भी भंग नहीं होगा.
केंद्र सरकार की ओर से इस पर उच्च स्तरीय पहल शुरू हो चुकी है. समिति का गठन पहले ही हो चुका है. लेकिन इसका कोई सर्वमान्य रास्ता निकले,इसके लिए जरूरी यह है कि बंगाल सरकार को भी भरोसे में लिया जाए. क्योंकि राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 10 का रखरखाव बंगाल में लोक निर्माण विभाग करता है. ऐसा नहीं लगता कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी सहमत हों. क्योंकि पश्चिम बंगाल प्रदेश और केंद्र के बीच हमेशा से ही टकराव देखा गया है. इस बात को प्रेम सिंह तमांग भी समझते हैं. यही कारण है कि उन्होंने कहा है कि NH10 केवल सिक्किम के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि दार्जिलिंग, कालिमपोंग, सिलीगुड़ी, समतल और Dooars के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है.
हालांकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आज ही एक बयान में उत्तर बंगाल में बाढ़ की स्थिति के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा है कि भूटान के जल विद्युत केंद्र से पानी छोड़े जाने का खामियाजा हर साल बंगाल को भुगतना पड़ता है. इसी कारण जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार आदि इलाकों में कई गांव पानी में डूब चुके हैं. भूटान जब अपने यहां जल विद्युत केंद्र का निर्माण कर रहा था, तब उस समय केंद्र सरकार ने बंगाल की स्थिति पर क्यों नहीं विचार किया. खैर, देखना होगा कि बदली हुई परिस्थितियों में पश्चिम बंगाल सरकार की इसमें क्या भूमिका रहती है.
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