May 8, 2024
Sevoke Road, Siliguri
उत्तर बंगाल लाइफस्टाइल सिलीगुड़ी

बदल रहा है सिलीगुड़ी शहर!

कभी जंगल और वन क्षेत्रों की कोख से पैदा सिलीगुड़ी अब शहर से एक कदम आगे नगर का रूप धारण करता जा रहा है. यहां बड़ी-बड़ी मॉल और बिल्डिंगें बन गई हैं. बिग बाजार, शॉपिंग मॉल, थिएटर से लेकर जीवन और उद्यम के सभी क्षेत्रों में बदलाव आ रहा है. यहां आबादी भी बढी है.

पिछले कई वर्षों में सिलीगुड़ी शहर का हुलिया भी बदला है. यहां महानंदा सेतु पर पुल, सड़क ,ओवर ब्रिज, पार्क और ढेरों संपर्क सड़कों का निर्माण हुआ है. वर्तमान में बर्दवान रोड पर ओवर ब्रिज का काम चल रहा है. इसके बाद रिंग रोड का काम चलेगा. बालासन ब्रिज से लेकर सालूगाड़ा और आगे सेवक तक का फोर लेन और सिक्स लेन का काम चल ही रहा है. जिस तरह से सिलीगुड़ी शहर के विकास की योजना बनाई गई है, उसके अंतर्गत बस स्टैंड, पार्किंग, रोड लाइट और विभिन्न तरह के इंस्ट्रक्चर खड़ा होने वाला है. इस तरह से आने वाले 2- 3 सालों में सिलीगुड़ी शहर नगर में तब्दील हो जाएगा.

इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास के क्षेत्र में सिलीगुड़ी शहर बदल रहा है जरूर. लोगों की जीवन शैली में भी परिवर्तन देखा जा रहा है. लेकिन बदलते समाज में अपराध और नशा भी उतनी ही तेजी से घुलता जा रहा है. मजे की बात यह है कि सिलीगुड़ी मेट्रोपॉलिटन पुलिस नशा एवं अपराध मुक्त सिलीगुड़ी शहर के लिए अभियान चला रही है. लेकिन इस अभियान का अपराधियों और धंधेबाज पर कितना असर पड़ रहा है, यह इसी बात से समझा जा सकता है कि लगभग हर दिन कहीं ना कहीं नशे की सिरप, टेबलेट, गांजा, भांग जैसे नशीले द्रव्य पदार्थ विभिन्न थानों की पुलिस के द्वारा बरामद किए जाते हैं तथा गिरफ्तारियां भी की जाती है.

लेकिन इन सबके बावजूद शहर में अपराध का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है. चोरी, अपहरण, तस्करी, हत्या, मारपीट, लूट, जिस्मफरोशी इत्यादि आपराधिक घटनाएं लगभग रोज ही हो रही हैं. पिछले एक हफ्ते की घटनाएं ऐसी हैं जो सिर्फ महानगरों में ही घटित होती है. हालांकि सिलीगुड़ी मेट्रोपॉलिटन पुलिस इन सभी मामलों में अपराधियों की धरपकड़ कर रही है. पर सवाल यह है कि आखिर अपराधियों में पुलिस और कानून का खौफ क्यों नहीं पैदा हो रहा है.

क्या यह समझा जाए कि यह नगर की संस्कृति बन गई है? क्योंकि जानकारों का मानना है कि जब कोई शहर नगर में तब्दील होता है तब उसके साथ अपराध और अपराधी भी फलते फूलते हैं. क्योंकि उनके छिपने का ठिकाना मिल जाता है. वैसे भी सिलीगुड़ी शहर की भौगोलिक संरचना ऐसी है कि यहां अपराधी अपराध करने के बाद खुली सीमाओं से फरार हो सकते हैं या फिर विभिन्न राज्यों से लगी सीमा से पार जा सकते हैं. इस बात को प्रशासनिक अफसर भी कबूल करते हैं. पिछले दिनों सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर गौतम देव ने भी यह बात कही थी, जब चंपासारी के एक व्यवसाई का अपहरण हो गया था.

कुछ लोगों का यह भी मानना है कि अपराध और अपराधियों के साथ ही सिलीगुड़ी शहर बदल रहा है. यही बदलाव है. पहले अपराधी छोटी मोटी वारदातों को अंजाम देते थे. अब बड़ी वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. पुलिस की कार्यशैली में परिवर्तन तो आया है. परंतु उस हद तक नहीं, जहां अपराधी पुलिस की डाल डाल से पात पात की ओर चल रहे हैं. पुलिस की कार्यशैली पर गहरी नजर रखने वाले कुछ लोगों का यह भी कहना है कि पुलिस कम संसाधनों के कारण आपराधिक घटनाओं को रोकने में लाचार है. कारण चाहे जो भी हो, पर वर्तमान अपराधिक घटनाओं को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि सिलीगुड़ी शहर बदल रहा है. अब इसे आप नकारात्मक रूप में लें या फिर सकारात्मक रूप में, यह आप पर निर्भर करता है!

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