आज सिलीगुड़ी महकमा अदालत ने एक बहु चर्चित हत्याकांड में अनोखा फैसला सुनाया. अपने फैसले में अदालत ने एक तरफ पति की हत्या करने का अपराध पत्नी पर साबित करते हुए उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई, तो दूसरी तरफ पत्नी के प्रेमी जिसके चलते ही यह हत्याकांड हुआ था, को सबूत के अभाव में बरी कर दिया. वास्तव में यह पूरा मामला अवैध संबंध और हत्याकांड पर आधारित था.
जब पति-पत्नी के रिश्ते के बीच किसी तीसरे की एंट्री होती है तो पति पत्नी का रिश्ता टूटने लगता है. इससे परिवार बिखर जाता है. पति और पत्नी एक छत के नीचे नहीं रह सकते. पति-पत्नी और वो से जुड़ी ऐसी अनेक कहानियां और घटनाएं हैं, जो यह बताती है कि इससे परिवार और दांपत्य का नाश हो जाता है. सिलीगुड़ी में इस तरह की कई घटनाएं पूर्व में भी घट चुकी हैं और उसका अंजाम देखा भी गया है.
एक ऐसे ही मामले में आज अदालत ने फैसला सुनाया और दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. घटना 18 अगस्त 2023 की रात की है, जब सुबोध कुमार मंडल नामक एक व्यक्ति की रहस्यमय स्थितियों मे मौत हो गई थी. पुलिस ने अस्वाभाविक मौत मानकर घटना की जांच शुरू की थी. लेकिन जब मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने आई तो पूरा मामला ही पलट गया. इस रिपोर्ट से साफ हो गया कि मृतक की हत्या उसका गला दबाकर की गई थी.
15 अक्टूबर 2023 को मृतक के भाई रविंद्र मंडल ने बिधाननगर थाने में एक प्राथमिकी दर्ज कराई, जिसमें उसने मृतक की पत्नी मंजू मंडल तथा उसके प्रेमी मोहम्मद नफरुल को नामजद किया. उसने लिखित शिकायत में अपने भाई की हत्या के लिए दोनों को आरोपी बनाया. इस प्राथमिकी के बाद पुलिस ने मंजू मंडल और उसके प्रेमी मोहम्मद नफरूल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. बिधाननगर पुलिस ने मामले की जांच शुरू की तो पता चला कि मृतक सुबोध की पत्नी मंजू मंडल और नफरुल के बीच अवैध संबंध थे.
बताया जाता है कि इसी बात को लेकर सुबोध मंडल और मंजू मंडल में रोज लड़ाई झगड़े होते थे. रोज-रोज की कलह से छुटकारा पाने के लिए मंजू मंडल ने अपने प्रेमी नफरुल के साथ मिलकर सुबोध मंडल को रास्ते से हटा दिया. घटना की रात मंजू मंडल ने घर का दरवाजा खुला छोड़ रखा था. इसी दरवाजे से होकर मंजू मंडल का प्रेमी नफरुल घर में घुसा. उसने सुबोध मंडल के गले में गमछा लपेट दिया और उसकी हत्या कर दी. फिर दोनों ने मिलकर इसे आत्महत्या में तब्दील करने की कोशिश की.
हालांकि अदालत में पुलिस यह साबित नहीं कर सकी कि मोहम्मद नफरुल ने सुबोध मंडल के गले में गमछा लपेटा था. पुलिस की चार्ज शीट तथा अदालत में प्रस्तुत किए गए साक्ष्य और दावों के अनुसार मंजू मंडल ने ही अपने पति के गले में गमछा लपेटा और उसकी हत्या की थी. सबूत और साक्ष्य के अभाव में अदालत ने नफरुल को बरी कर दिया. आरंभ में मंजू मंडल ने पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की.लेकिन जैसे-जैसे पुलिस ने मामले की जांच की तह में जाना शुरू किया, वैसे-वैसे मंजू मंडल के झूठ भी सामने आते गए.
फिर पोस्टमार्टम रिपोर्ट और मामले की गहन जांच के बाद यह स्पष्ट हो गया कि दोषी नफरुल नहीं, बल्कि मंजू मंडल थी. अंततः अदालत ने 16 महीने बाद मामले का फैसला सुना दिया है. अदालत का यह फैसला पति पत्नी और वो के मामले में एक सख्त संदेश है कि अपराध चाहे जितना भी छुपा कर किया जाए, उसका भंडाफोड़ हो ही जाता है.सच को कुछ देर के लिए छुपाया जा सकता है. झूठ कुछ देर के लिए ही सच पर भारी होता है. मगर अंततः सच की ही जीत होती है.
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