सिलीगुड़ी में अग्निकांड की बढती घटनाओं के बीच पश्चिम बंगाल फायर सेफ्टी और इमरजेंसी विभाग के सर्वेक्षण, अध्ययन और रिपोर्ट से कुछ ऐसी बातें सामने आई है, जहां पूरे सिस्टम पर सवालिया निशान खड़ा हो जाता है. सिलीगुड़ी में आए दिन अग्निकांड की छोटी बड़ी घटनाएं घटती रहती है. इन घटनाओं में व्यापारियों का तो नुकसान होता ही है, इसके साथ ही पर्यावरण और प्रशासन को भी झटका लगता है. फायर सेफ्टी रिकमेंडेशन इकाई के गाइडलाइंस का पालन ना तो निर्माण के समय किया जाता है और ना ही निर्माण के बाद. यही कारण है कि दुकानों में अग्निकांड की घटनाएं बढ़ रही हैं
सिलीगुड़ी में एक से बढ़कर एक माॅल और शॉपिंग कंपलेक्स है. यहां स्थित छोटी बड़ी दुकानों की सजावट ग्राहकों को ध्यान में रखकर की जाती है. लेकिन ग्राहकों की जान की सुरक्षा का यहां कम ही ख्याल रखा जाता है. माॅल के भीतर कई ऐसी दुकाने होती है, जहां फायर सेफ्टी का कोई इंतजाम नहीं होता है. दुकानदारों का एकमात्र उद्देश्य पैसे कमाना होता है.उनके दिमाग में दूर-दूर तक नहीं होता कि उनकी दुकान में आग भी लग सकती है. विडंबना यह है कि कई दुकानों में तो आग लगने पर आग बुझाने का सटीक यंत्र भी उपलब्ध नहीं है. या फिर वे इतने पुराने हो गए हैं कि मात्र दुकान के शोपीस बनकर रह गए हैं. अग्निकांड होने पर इनका कोई उपयोग नहीं रह जाता है. उनके रखरखाव का कभी कोई प्रयास ही नहीं किया गया है.
आपको याद होगा, कुछ समय पहले विधान मार्केट और उससे पहले इंटरनेशनल मार्केट में अग्निकांड की कई बड़ी घटनाएं घटी थी. अग्निकांड की घटनाओं के बाद जब इनका समीक्षा अध्ययन किया गया तो पता चला कि कई दुकानदारों ने अपनी दुकान की अग्नि सुरक्षा की कोई व्यवस्था ही नहीं की थी. ना तो प्रशासन ने यहां निगरानी ही की. मात्र खाना पुरी के अलावा कोई इंतजाम नहीं किया गया था और जहां कागजों पर ही सब कुछ होता हो, वहां ऐसी घटनाएं घटना अस्वाभाविक नहीं कहा जा सकता है.
सिलीगुड़ी में जब-जब अग्निकांड की घटनाएं होती है, प्रशासन और दुकानदार की बद इंतजामी की पोल खुल जाती है. ऐसा नहीं है कि अग्निकांड केवल सामान्य अथवा छोटी दुकानों में ही होता है. बड़े-बड़े मॉल, शॉपिंग कांप्लेक्स भी इसके दायरे में आते हैं. सेवक रोड, माटीगाड़ा के नजदीक सिटी सेंटर स्थित माॅल के भीतर स्थित कई दुकानों की संरचना और व्यवस्था कुछ ऐसी है, जहां आग लगने पर दमकल के परिवहन की भी मानक व्यवस्था नहीं है. फिर भी प्रशासन ने कभी इन पर ध्यान नहीं दिया. हालांकि कागजों पर सब कुछ ओके हो जाता है.
बरसों से ही दुकानें ऐसे ही चल रही है. ना तो प्रशासन को इसकी सुध है और ना ही दुकानदार और मॉल प्रबंधन को. प्रशासन तभी इसकी सुध लेता है जब अग्निकांड होता है. तब दमकल की गाड़ियां भी आती है और अग्निशमन विभाग भी मीन मेख निकालने में जुट जाता है. सवाल यह है कि आखिर अग्निशमन विभाग इतने समय तक चुप क्यों रहता है? शुरू में ही इस पर ध्यान क्यों नहीं दिया जाता? यह हमारे सिस्टम का भी दोष है. दोषी वे लोग भी हैं जो इतनी बड़ी लापरवाही करते हैं. अगर शुरू में ही तत्परता दिखाई जाती तो अग्निकांड के हादसों से बचा जा सकता है.
सेवक रोड स्थित प्लेनेट मॉल को लक्ष्य में रखकर पश्चिम बंगाल अग्निशमन सुरक्षा विभाग और आपातकालीन सेवाओं के द्वारा जो अध्ययन अनुशंसा रिपोर्ट सामने आई है, उससे बहुत सी बातों की पोल खुल जाती है. व्यापारी, दुकानदार और प्रशासन कोई भी इकाई अपनी जिम्मेदारी का पालन नहीं करती. यहां स्थित कई दुकानों को नोटिस दिया गया है. लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या अग्निशमन विभाग की ओर से इन पर कभी कार्रवाई भी होती है? इस तरह के नोटिस पहले भी कई माॅल और प्रतिष्ठानों को मिल चुके हैं. लेकिन फिर भी उनकी सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा है. अध्ययन से पता चलता है कि 2016 के बाद प्लैनेट मॉल के कई दुकानदारों ने अग्नि यूनिट प्रमाण पत्र का नवीकरण ही नहीं कराया है. फिर भी वे बिना किसी रूकावट के चल रहे हैं.
प्लैनेट मॉल तथा यहां स्थित कई दुकानों की संरचना दूसरे मॉल की तरह ही है, जहां अग्निशमन दस्ते के आवागमन और परिवहन में निर्धारित मानकों का ध्यान नहीं रखा गया है. इसके लिए कौन जिम्मेदार है? क्या ऐसा नहीं लगता है कि केवल कागजों पर ही सब कुछ ठीक दिखाई देता है. जबकि वास्तविकता में कुछ और ही सामने नजर आता है. आज प्लेनेट मॉल चर्चा के केंद्र में है. कल सेवक रोड के कुछ और मॉल भी चर्चा के केंद्र बनेंगे. इसके बाद माटीगाड़ा और दूसरे माल भी चर्चा के केंद्र बनेंगे.
अगर इन स्थितियों से बचना है तो सभी को अपनी अपनी जिम्मेदारी लेनी होगी. दुकानदार अपनी दुकान की अग्नि सुरक्षा के माकूल उपाय करें. प्रशासन अपना काम करे और निगरानी बढ़ाए. संबंधित अधिकारी अपने कर्तव्य का पालन करें. तब जाकर स्थिति में सुधार होगा. केवल दुकानदारों को नोटिस देने और उनका जवाब लेने से समस्या का हल नहीं होगा. ठोस प्रयास करने होंगे और सभी को अग्नि सुरक्षा के प्रति अपने कर्तव्यों और दायित्व को समझना होगा. पूरे शहर के व्यापारिक प्रतिष्ठानों और दुकानों की अग्नि सुरक्षा की ठोस व्यवस्था करने के लिए एक समवेत पहल करने की जरूरत है. क्या संबंधित लोग अथवा इकाई इस ओर ध्यान देंगे?
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